रांचीः नई दिल्ली स्थित आईसीएआर और कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) के सौजन्य से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अरहर शोध परियोजना चलाई जा रही है. इस परियोजना के तहत खरीफ मौसम में रांची जिले के चान्हो प्रखंड के कुल्लू और चुटिया गांंव के 50 किसानों के कुल 7 हेक्टेयर भूमि और मांडर प्रखंड के ब्राम्बे गांव के 12 किसानों के कुल 3 हेक्टेयर भूमि में अरहर किस्म आईपीए- 203 का अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) कराया जाएगा.
अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) कराया जाएगा
अरहर शोध परियोजना के तहत जनजातीय उपपरियोजना (टीएसपी) के अधीन चान्हो प्रखंड के कंजागी और मंडिया गांव के 40 जनजातीय किसानों के कुल 7 हेक्टेयर भूमि और मांडर प्रखंड के सकरपदा गांव के 30 किसानों के कुल 3 हेक्टेयर भूमि में अरहर के 5 किस्म जैसे आईपीए–203, बीएयू पीपी 9-22, बहार, बिरसा अरहर-1 और जेकेएम -189 पर अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) कराया जाएगा.
अरहर के 5 उन्नत किस्मों के बीज वितरित
बुधवार और गुरुवार को परियोजना अन्वेंशक डॉ नीरज कुमार के नेतृत्व में बीएयू वैज्ञानिकों ने चान्हो प्रखंड के कुल्लू, चुटिया, कंजागी और मंडिया गांव और मांडर प्रखंड के सकरपदा और ब्राम्बे गांव का दौरा कर एफएलडी के लिए 62 प्रगतिशील किसान और 70 जनजातीय किसानों का चयन किया. इस दौरान किसानों को एफएलडी के लिए अरहर के 5 उन्नत किस्मों के बीज वितरित किए गए.
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उर्वरकों के प्रयोग की तकनीकी जानकारी
मौके पर बीएयू वैज्ञानिकों के दल ने किसानों को टांड़ भूमि में अरहर का सही समय पर बुआई के फायदे, अरहर बुआई से पहले कतार में चुने का प्रयोग, बीजोपचार और राईजोबियम कल्चर से बीज का उपचार और खेतों में संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग की तकनीकी जानकारी दी. वैज्ञानिकों ने बताया कि बुआई के 10 दिन बाद बीज की बुआई कर गैप फिलिंग किया जाना चाहिए. खेतों में बीजों के सही अंकुरण और खड़ी फसल पर खरपतवार नाशी के उपयोग से अरहर की सफल खेती की जा सकती है. दल में डॉ एस कर्मकार, डॉ विनय कुमार तथा डॉ एचसी लाल शामिल थे.
उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा
परियोजना अन्वेंशक डॉ नीरज कुमार ने बताया कि प्रदेश के करीब 2 लाख हेक्टेयर भूमि में अरहर होती है. इसकी राष्ट्रीय उत्पादकता स्तर 832 किलो/हेक्टेयर के मुकाबले झारखंड का उत्पादकता स्तर 1095 किलो/हेक्टेयर है, जिसे ध्यान में रखकर उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.