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कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मांग स्वीकृत, तीन माह के भीतर कृषि नीति और कृषि निर्यात नीति बनेगी: पत्रलेख

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Published : Mar 6, 2020, 9:37 PM IST

कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के बाद कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मांग स्वीकृत हो गई. खास बात है कि भाकपा माले के विधायक बिनोद सिंह ने सरकार के जवाब पर संतोष जताते हुए कटौती प्रस्ताव को वापस ले लिया.

मंत्री बादल पत्रलेख
मंत्री बादल पत्रलेख

रांची: कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के कटौती प्रस्ताव पर विधायकों की ओर से कई सुझाव आए जिनका मंत्री बादल पत्रलेख ने सिलसिलेवार जवाब दिया. उन्होंने कहा कि राज्य में फसल बीमा के नाम पर 466 करोड़ का प्रीमियम दिया गया और भुगतान महज 77 करोड़ का हुआ. अब यह नहीं चलेगा. उनकी सरकार बहुत जल्द किसान राहत कोष बनाने जा रही है.

मंत्री बादल पत्रलेख

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के नाम पर 800 करोड़ रु. वितरित किए, जिसका फायदा असली किसानों को नहीं मिला. मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि अब उनकी सरकार सहकारी समितियों को मजबूत करेगी. को-ऑपरेटिव बैंक में हुए घोटालों में शामिल भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि एसीबी को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

ये भी पढ़ें- भूमि अधिग्रहित रैयतों ने जमीन वापस लेने का मामला सदन में उठा, विधायक प्रदीप यादव ने कहा- जमीन वापस पर सरकार करेगी विचार

उन्होंने कहा कि जहां भी आलू की फसल बर्बाद हुई है वहां के किसानों को आपदा राहत कोष से क्षतिपूर्ति देने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है. यही नहीं बीज ग्राम वितरण में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए भी आदेश दे दिए गये हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देगी. जुलाई 2015 में किसानों को बाजार और फसल को अधिकतम लाभ मुहैला कराने के मकसद से इलेक्ट्रानिक कृषिभूमि अधिग्रहित रैयतों ने जमीन वापस लेने का मामला सदन में उठा, विधायक प्रदीप यादव ने कहा- जमीन वापस पर सरकार करेगी विचार पोर्टल शुरू किया था जिसका नाम है ई-नाम . लेकिन मंत्री ने कहा कि ई-नाम के डाटा में हेरफेर कर केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही है जिसको एक्जामिन कराने कहा गया है.

तीन माह के भीतर कृषि नीति

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के हित में तीन माह के भीतर कृषि नीति और कृषि निर्यात नीति तैयार करने जा रही है. इसका सीधा फायदा किसानों को होगा. उन्होंने कहा कि कोशिश का हल निकलेगा, आज नहीं तो कल निकलेगा. कटौती प्रस्ताव पर मंत्री के जवाब के बाद स्पीकर ने भाकपा माले के विधायक बिनोद सिंह से अपना प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह किया. इसपर बिनोद सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र बगोदर के एक इलाके का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के किसान सालों भर अच्छी खेती करते हैं. वहां की सिंचाई को लेकर विभाग की ओर से एक टीम भेजी जानी चाहिए. इसपर विभागीय मंत्री ने हामी भरी तो बिनोद सिंह ने कटौती प्रस्ताव को वापस ले लिया. राज्य बनने के बाद ऐसा तीसरी बार हुआ है जब सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर कटौती प्रस्ताव वापस लिया गया है.

ये भी पढ़ें- चुनाव आयोग ने JVM के BJP में विलय को दी मान्यता, बाबूलाल को तुरंत नेता प्रतिपक्ष का मिले दर्जा: समीर उरांव

कृषि प्रभाग के लिए तीस अरब सैंतालीस करोड़ एकासी लाख छह हजार रू. पशुपालन प्रभाग के लिए दो अरब, तिरपन करोड़ चौवालीस लाख बावन हजार रू और सहकारिता प्रभाग के लिए दो अरब नवासी करोड़ पच्चीस लाख सैंतालीस हजार का राशि प्रदान करने की मांग सदन में रखी गई जिसे चर्चा के बाद स्वीकृत कर दिया गया.

रांची: कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के कटौती प्रस्ताव पर विधायकों की ओर से कई सुझाव आए जिनका मंत्री बादल पत्रलेख ने सिलसिलेवार जवाब दिया. उन्होंने कहा कि राज्य में फसल बीमा के नाम पर 466 करोड़ का प्रीमियम दिया गया और भुगतान महज 77 करोड़ का हुआ. अब यह नहीं चलेगा. उनकी सरकार बहुत जल्द किसान राहत कोष बनाने जा रही है.

मंत्री बादल पत्रलेख

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के नाम पर 800 करोड़ रु. वितरित किए, जिसका फायदा असली किसानों को नहीं मिला. मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि अब उनकी सरकार सहकारी समितियों को मजबूत करेगी. को-ऑपरेटिव बैंक में हुए घोटालों में शामिल भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि एसीबी को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

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उन्होंने कहा कि जहां भी आलू की फसल बर्बाद हुई है वहां के किसानों को आपदा राहत कोष से क्षतिपूर्ति देने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है. यही नहीं बीज ग्राम वितरण में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए भी आदेश दे दिए गये हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देगी. जुलाई 2015 में किसानों को बाजार और फसल को अधिकतम लाभ मुहैला कराने के मकसद से इलेक्ट्रानिक कृषिभूमि अधिग्रहित रैयतों ने जमीन वापस लेने का मामला सदन में उठा, विधायक प्रदीप यादव ने कहा- जमीन वापस पर सरकार करेगी विचार पोर्टल शुरू किया था जिसका नाम है ई-नाम . लेकिन मंत्री ने कहा कि ई-नाम के डाटा में हेरफेर कर केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही है जिसको एक्जामिन कराने कहा गया है.

तीन माह के भीतर कृषि नीति

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के हित में तीन माह के भीतर कृषि नीति और कृषि निर्यात नीति तैयार करने जा रही है. इसका सीधा फायदा किसानों को होगा. उन्होंने कहा कि कोशिश का हल निकलेगा, आज नहीं तो कल निकलेगा. कटौती प्रस्ताव पर मंत्री के जवाब के बाद स्पीकर ने भाकपा माले के विधायक बिनोद सिंह से अपना प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह किया. इसपर बिनोद सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र बगोदर के एक इलाके का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के किसान सालों भर अच्छी खेती करते हैं. वहां की सिंचाई को लेकर विभाग की ओर से एक टीम भेजी जानी चाहिए. इसपर विभागीय मंत्री ने हामी भरी तो बिनोद सिंह ने कटौती प्रस्ताव को वापस ले लिया. राज्य बनने के बाद ऐसा तीसरी बार हुआ है जब सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर कटौती प्रस्ताव वापस लिया गया है.

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कृषि प्रभाग के लिए तीस अरब सैंतालीस करोड़ एकासी लाख छह हजार रू. पशुपालन प्रभाग के लिए दो अरब, तिरपन करोड़ चौवालीस लाख बावन हजार रू और सहकारिता प्रभाग के लिए दो अरब नवासी करोड़ पच्चीस लाख सैंतालीस हजार का राशि प्रदान करने की मांग सदन में रखी गई जिसे चर्चा के बाद स्वीकृत कर दिया गया.

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