रांचीः झारखंड में नियमों का उल्लंघन कर एंटीबायोटिक दवाएं (Antibiotics medicine) बेची जा रहीं हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के ही मेडिकल स्टोर से ये बेची जा रहीं हैं, जिसका लोग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने एक मेडिकल स्टोर से बगैर डॉक्टर के पर्चे की दवा मांगी तो स्टोर संचालक ने बेहिचक दे दिया. डॉक्टरों का कहना है कि इससे मरीजों पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम होने लगा है. डॉक्टरों का कहना है कि बिना डॉक्टरी सलाह लिए लोग सर्दी-खासी, बुखार, शरीर में दर्द आदि के लिए एंटीबायोटिक दवा का सेवन करने लगे हैं. इससे बैक्टीरिया में इन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक शक्ति पैदा हो रही है और मरीज जल्द स्वस्थ नहीं हो पा रहे हैं. इस स्थिति में डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं.
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रिम्स के शिशु रोग विभाग के एचओडी और इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि पूर्वी जोन में 14 राज्य हैं. इन राज्यों में आम लोगों के बीच एंटीबायोटिक दवा के दुरुपयोग और उससे होने वाले नुकसान की जानकारी देने को लेकर जागरुकता अभियान चलाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रत्येक मरीज को अपने डॉक्टर से एंटीबायोटिक दवा से संबंधित जानकारी लेनी चाहिए. प्रिस्क्रिप्शन में लिखा एंटीबायोटिक्स दवा शरीर पर क्या असर करेगा और इसके साइड इफेक्ट क्या हैं. यह प्रत्येक मरीज को जानने का अधिकार है.
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डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि अस्पताल पहुंचने वाले अधिकतर मरीज पहले अपने स्तर से एंटीबायोटिक दवाओं को सेवन करते हैं और ठीक नहीं होने पर अस्पताल पहुंचते हैं. अब इस तरह के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. रांची के डॉ. अखिलेश झा, डॉ. एस प्रसाद, डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं कि एंटीबायोटिक का दुरुपयोग रोकना जरूरी है. उन्होंने कहा कि झोलाछाप , नीम-हकीम और मेडिकल स्टोर वाले भी बिना सोचे समझे एंटीबायोटिक दवाएं मरीजों को दे देते हैं. इससे स्थिति और जटिल हो रही है.
यह है जमीनी सच्चाईः ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार शेड्यूल H और H1 की दवाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही बेचना है. लेकिन रांची में ऐसा नहीं हो रहा है. रांची में ईटीवी भारत की टीम जब एक मेडिकल स्टोर पर गई और बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के अमोक्सिसिलीन एंटीबायोटिक दवा की मांग की तो आसानी दे दे दिया. इतना ही नहीं, दवा के बिल रसीद पर डॉक्टर की जगह एमओ रिम्स दर्ज कर दिया. यह स्थिति सिर्फ एक दुकान की नहीं बल्कि राजधानी के अधिकतर दुकानों की है, जहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है.
शेड्यूल H की दवाओं के रैपर पर स्पष्ट लिखा होता है कि बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के नहीं बेचा जा सकता. नियम के उल्लंघन करने वाले दुकानदारों की लाइसेंस रद्द करने के साथ साथ आईपीसी के तहत कार्रवाई हो सकती है. इसके बावजूद स्वास्थ्य महकमा ध्यान नहीं दे रहा है.