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अनोखा है पगला बाबा मंदिरः यहां जानवरों को भी है पूजा की अनुमति, स्वान की समाधि पर चढ़ाए जाते हैं फूल - स्वान की समाधि

रांची के कोकर स्थित पगला बाबा मंदिर (Pagla Baba temple in Ranchi) का एक अलग ही इतिहास है. इस मंदिर में सिर्फ रांची के ही लोग नहीं बल्कि आस पास के राज्यों के अलावा देशभर के लोग यहां आते हैं. माना जाता है कि यह मंदिर लोगों की हर मनोकामना को पूर्ण करता है और इस मंदिर में आने से लोगों को शांति प्राप्त होती है. रांची के पगला बाबा मंदिर में जानवरों को पूजा करने की अनुमति है.

Animals also allowed to worship in Pagla Baba temple in Ranchi
पगला बाबा मंदिर
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Published : Jun 11, 2022, 5:43 PM IST

रांचीः पगला बाबा मंदिर का निर्माण बंगाल से आए एक इंजीनियर ने किया जिनका नाम पगला बाबा उर्फ पंचानन मित्रा था. पश्चिम बंगाल से आए पंचानद मित्रा रांची आने के बाद अपने परिवारिक मोह को त्याग ईश्वर की आराधना में अपने जीवन को समर्पित कर दिया. इसी मंदिर में बने गुफा में पंचानन मित्रा ने साधना की और पगला बाबा नाम से विख्यात हुए. इस मंदिर की सबसे अनोखी बात ये है कि यहां जानवरों को पूजा करने की अनुमति (Animals worship in Pagla Baba Mandir) है.

इसे भी पढ़ें- इस मंदिर में स्वान भी करते हैं पूजा, जानिए क्या है पगला बाबा आश्रम का इतिहास


पगला बाबा को शुरू से ही भगवान के प्रति एक असीम आस्था थी लेकिन वह पेशे से इंजीनियर थे. इंजीनियर की नौकरी करने व रांची आए और रांची में ही काम करने के दौरान वो लोगों की सेवा करने लगे. उनकी बातें इतना ओज था कि वह किसी को अगर कुछ कह देते थे तो वह व्यक्ति तुरंत ही लाभान्वित होने लगता था. पगला बाबा के साथ रहे अजीत सिन्हा बताते हैं कि पगला बाबा में एक अलग ही तेज था, जिसका लाभ लोगों को मिलने लगा. पगला बाबा के बारे में बताते हैं कि अगर कोई बीमार व्यक्ति पगला बाबा से पूजा करने के बाद आशीर्वाद मांगता था तो पगला बाबा उसका दुख हर लेते थे.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

अजीत सिन्हा बताते हैं कि पगला बाबा से उनका पुराना रिश्ता रहा है. 1967 में पगला बाबा के देहांत के बाद इस मंदिर की देखरेख उन्हीं के परिवार के द्वारा की जा रही है. 1888 में इस मंदिर की नींव पगला बाबा ने ही रखी थी और 1918 में यह मंदिर पूरी तरह से तैयार हो गया था. इस मंदिर के बारे में अजीत सिन्हा बताते हैं कि इस मंदिर में स्वान (कुत्ता) की भारी संख्या होती है. क्योंकि पुरानी मान्यता है कि एक बार इस मंदिर में रहने वाले भक्त ने एक स्वान को पत्थर से मारकर उसकी जान ले ली थी.

जिसके बाद पगला बाबा ने उस भक्त को मंदिर परिसर से निकाल दिया और उस स्वान की याद में मंदिर परिसर में ही स्वान की समाधि (Mausoleum of Swan) बनाई गयी. ऐसा माना जाता है कि भगवान भैरवनाथ का वास इस मंदिर में होता है. इसीलिए इस मंदिर में सैकड़ों की संख्या में स्वान मंदिर में रह रहे लोगों और मंदिर परिसर की सुरक्षा करते हैं. आज तक मंदिर परिसर में रहने वाले किसी भी स्वान ने एक भी इंसान को हानि नहीं पहुंचाया है.

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मंदिर परिसर में स्वान की समाधि

सिर्फ स्वान ही नहीं बल्कि बिल्ली का भी इस मंदिर से अनोखा रिश्ता है. मंदिर परिसर में बिल्ली और स्वान एक साथ इस मंदिर में रहते हैं. पगला बाबा मंदिर में बिल्ली और स्वान की दोस्ती का अनोखा दृश्य देखने को मिलता है. इस मंदिर में मां काली, मां दुर्गा, भगवान शंकर, भैरवनाथ सहित विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा होती है. मंदिर आने वाले भक्तों ने कहा कि इस मंदिर में उन्होंने जो भी मनोकामना मांगी वो पूर्ण हुई हैं. यह मंदिर हिंदू समाज के साथ-साथ राजधानी के लिए भी एक ऐतिहासिक धरोहर है.

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पगला बाबा मंदिर में स्वान

अंग्रेजी शासनकाल में बना मंदिर काफी पुराना (Pagla Baba temple in Ranchi) है. मौजूदा समय में मंदिर के सौंदर्यीकरण को लेकर ट्रस्ट के लोग लगातार काम कर रहे हैं. लेकिन स्थानीय प्रशासन से मदद नहीं मिलने की वजह से मंदिर की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. मंदिर के वरिष्ठ सदस्य अनूप शाहदेव बताते हैं कि एक वक्त था जब मंदिर के बगल से नदी बहती थी. लेकिन लगातार बढ़ते प्रदूषण और आबादी की वजह से वह नदी अब नाले में तब्दील हो गई है. इस नाले में सारे शहर का कूड़ा जमा होता है जिस वजह से मंदिर की खूबसूरती और शुद्धता समाप्त हो रही है.

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पगला बाबा मंदिर में स्वान का बसेरा

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के बगल में बने हुए खाली जगह में आए दिन असामाजिक लोगों का मजमा लगता जिसको लेकर शिकायत के बाद कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती है. मंदिर प्रबंधन की ओर से नगर निगम को नाला साफ कराने के लिए कहा गया है. लेकिन नगर निगम के अधिकारी उदासीन रवैया अपनाते हुए इस मंदिर के नाले की सफाई के काम को नजरअंदाज कर रहे हैं. शासन प्रशासन को इस पर ध्यान देने की दरकार है ताकि ऐसे ऐतिहासिक धरोहर को बचाया जा सके.

रांचीः पगला बाबा मंदिर का निर्माण बंगाल से आए एक इंजीनियर ने किया जिनका नाम पगला बाबा उर्फ पंचानन मित्रा था. पश्चिम बंगाल से आए पंचानद मित्रा रांची आने के बाद अपने परिवारिक मोह को त्याग ईश्वर की आराधना में अपने जीवन को समर्पित कर दिया. इसी मंदिर में बने गुफा में पंचानन मित्रा ने साधना की और पगला बाबा नाम से विख्यात हुए. इस मंदिर की सबसे अनोखी बात ये है कि यहां जानवरों को पूजा करने की अनुमति (Animals worship in Pagla Baba Mandir) है.

इसे भी पढ़ें- इस मंदिर में स्वान भी करते हैं पूजा, जानिए क्या है पगला बाबा आश्रम का इतिहास


पगला बाबा को शुरू से ही भगवान के प्रति एक असीम आस्था थी लेकिन वह पेशे से इंजीनियर थे. इंजीनियर की नौकरी करने व रांची आए और रांची में ही काम करने के दौरान वो लोगों की सेवा करने लगे. उनकी बातें इतना ओज था कि वह किसी को अगर कुछ कह देते थे तो वह व्यक्ति तुरंत ही लाभान्वित होने लगता था. पगला बाबा के साथ रहे अजीत सिन्हा बताते हैं कि पगला बाबा में एक अलग ही तेज था, जिसका लाभ लोगों को मिलने लगा. पगला बाबा के बारे में बताते हैं कि अगर कोई बीमार व्यक्ति पगला बाबा से पूजा करने के बाद आशीर्वाद मांगता था तो पगला बाबा उसका दुख हर लेते थे.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

अजीत सिन्हा बताते हैं कि पगला बाबा से उनका पुराना रिश्ता रहा है. 1967 में पगला बाबा के देहांत के बाद इस मंदिर की देखरेख उन्हीं के परिवार के द्वारा की जा रही है. 1888 में इस मंदिर की नींव पगला बाबा ने ही रखी थी और 1918 में यह मंदिर पूरी तरह से तैयार हो गया था. इस मंदिर के बारे में अजीत सिन्हा बताते हैं कि इस मंदिर में स्वान (कुत्ता) की भारी संख्या होती है. क्योंकि पुरानी मान्यता है कि एक बार इस मंदिर में रहने वाले भक्त ने एक स्वान को पत्थर से मारकर उसकी जान ले ली थी.

जिसके बाद पगला बाबा ने उस भक्त को मंदिर परिसर से निकाल दिया और उस स्वान की याद में मंदिर परिसर में ही स्वान की समाधि (Mausoleum of Swan) बनाई गयी. ऐसा माना जाता है कि भगवान भैरवनाथ का वास इस मंदिर में होता है. इसीलिए इस मंदिर में सैकड़ों की संख्या में स्वान मंदिर में रह रहे लोगों और मंदिर परिसर की सुरक्षा करते हैं. आज तक मंदिर परिसर में रहने वाले किसी भी स्वान ने एक भी इंसान को हानि नहीं पहुंचाया है.

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मंदिर परिसर में स्वान की समाधि

सिर्फ स्वान ही नहीं बल्कि बिल्ली का भी इस मंदिर से अनोखा रिश्ता है. मंदिर परिसर में बिल्ली और स्वान एक साथ इस मंदिर में रहते हैं. पगला बाबा मंदिर में बिल्ली और स्वान की दोस्ती का अनोखा दृश्य देखने को मिलता है. इस मंदिर में मां काली, मां दुर्गा, भगवान शंकर, भैरवनाथ सहित विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा होती है. मंदिर आने वाले भक्तों ने कहा कि इस मंदिर में उन्होंने जो भी मनोकामना मांगी वो पूर्ण हुई हैं. यह मंदिर हिंदू समाज के साथ-साथ राजधानी के लिए भी एक ऐतिहासिक धरोहर है.

Animals also allowed to worship in Pagla Baba temple in Ranchi
पगला बाबा मंदिर में स्वान

अंग्रेजी शासनकाल में बना मंदिर काफी पुराना (Pagla Baba temple in Ranchi) है. मौजूदा समय में मंदिर के सौंदर्यीकरण को लेकर ट्रस्ट के लोग लगातार काम कर रहे हैं. लेकिन स्थानीय प्रशासन से मदद नहीं मिलने की वजह से मंदिर की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. मंदिर के वरिष्ठ सदस्य अनूप शाहदेव बताते हैं कि एक वक्त था जब मंदिर के बगल से नदी बहती थी. लेकिन लगातार बढ़ते प्रदूषण और आबादी की वजह से वह नदी अब नाले में तब्दील हो गई है. इस नाले में सारे शहर का कूड़ा जमा होता है जिस वजह से मंदिर की खूबसूरती और शुद्धता समाप्त हो रही है.

Animals also allowed to worship in Pagla Baba temple in Ranchi
पगला बाबा मंदिर में स्वान का बसेरा

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के बगल में बने हुए खाली जगह में आए दिन असामाजिक लोगों का मजमा लगता जिसको लेकर शिकायत के बाद कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती है. मंदिर प्रबंधन की ओर से नगर निगम को नाला साफ कराने के लिए कहा गया है. लेकिन नगर निगम के अधिकारी उदासीन रवैया अपनाते हुए इस मंदिर के नाले की सफाई के काम को नजरअंदाज कर रहे हैं. शासन प्रशासन को इस पर ध्यान देने की दरकार है ताकि ऐसे ऐतिहासिक धरोहर को बचाया जा सके.

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