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प्रोन्नति पर पेंच! रिम्स में प्रमोशन ना मिलने से डॉक्टर्स में रोष, आंदोलन और कोर्ट का लेंगे सहारा - रिम्स में वैकेंसी

रांची के रिम्स में प्रमोशन ना होने से डॉक्टर्स में रोष व्याप्त है. उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर वेतन मिलता है लेकिन नियमों के अनुसार उन्हें प्रोन्नति नहीं मिल रही है. इसको लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि अगर उन्हें प्रमोशन नहीं मिला तो वो आंदोलन करेंगे और कोर्ट का भी सहारा लेंगे.

Anger among doctors due to lack of promotion in RIMS of Ranchi
रिम्स
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Published : Apr 12, 2022, 6:55 PM IST

रांची: रिम्स अस्पताल राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है, यहां पर प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. वहीं सैकड़ों चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं इसके अलावा हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मचारी रिम्स में कार्यरत हैं. सरकारी नियमों के अनुसार मरीजों का इलाज होता है और स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों को वेतन भी सरकारी नियमों के अनुसार दिए जाते हैं. इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रोन्नति भी दी जाती है ताकि चिकित्सक ऊर्जा के साथ काम करते रहे. लेकिन रिम्स में पिछले 6 साल से ऐसा नहीं हो रहा है.

इसे भी पढ़ें- अजब रिम्स की गजब कहानी, सृजित पद से ज्यादे प्रोफेसर हैं कार्यरत, फिर भी निकाली वेकैंसी, डॉक्टर्स हैं नाराज

रांची के रिम्स में प्रमोशन ना होने से डॉक्टर्स में रोष है. पिछले 6 वर्षों से रिम्स के डॉक्टर्स का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है. जिसको लेकर रिम्स के चिकित्सकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों रिम्स टीचर एसोसिएशन की बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि प्रबंधन की ओर से प्रोफेसर के पद पर जो सीधी नियुक्ति ली जा रही है, उसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा. इसको लेकर उनका कहना है कि प्रोफेसर के पद पर डॉक्टर्स की नियुक्ति प्रमोशन के माध्यम से ही हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

जानकारी देते रिम्स चिकित्सक

रिम्स में फिलहाल पर्याप्त मात्रा में प्रोफेसर पद पर तैनात चिकित्सक मौजूद हैं. इसके बावजूद भी निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद और रिम्स प्रबंधन की ओर से प्रोफेसर पद पर सीधी नियुक्ति निकाली जा रही है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि रिम्स देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स की नियमावली के अनुसार चलता है और एम्स की नियमावली के अनुसार प्रोफेसर पद पर एसोसिएट प्रोफेसर को ही प्रमोशन देकर ही भरा जा सकता है. लेकिन रिम्स में प्रोफेसर की नियुक्ति प्रबंधन के द्वारा सीधी प्रक्रिया के तहत की जा रही है, जिस वजह से डॉक्टर्स नाराज हैं.

रिम्स में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक निशित एक्का बताते हैं कि पिछले 7 वर्षों से रिम्स में डॉक्टरों को प्रमोशन नहीं मिला है और जो डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं, वो वर्षों से इसी पद पर पड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद द्वारा जो वैकेंसी निकाली गई है वह सीधे प्रोफेसर पद की वैकेंसी निकाली गई है जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के कई पद खाली हैं. लेकिन इन पदों को छोड़कर रिम्स प्रबंधन प्रोफेसर पद पर नियुक्ति निकाल रहा है जबकि प्रोफेसर पद पर पहले से ही पर्याप्त लोग मौजूद हैं.

डॉ. निशित एक्का ने बताया कि अपनी बात रखने के लिए सभी चिकित्सक 13 अप्रैल को जीबी की बैठक के दौरान निदेशक कार्यालय और मंत्री के सामने अपना विरोध दर्ज कराएंगे. इसके बाद भी सरकार और प्रबंधन चिकित्सकों की मांग पर विचार नहीं करती है तो आने वाले समय में वो कोर्ट का सहारा लेने को मजबूर हो जाएंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे. डॉक्टर्स का कहना है कि जो वैकेंसी प्रबंधन द्वारा निकाली गई है वह वैकेंसी प्रोफेसर पद के लिए नहीं बल्कि असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए होना चाहिए ताकि जो चिकित्सक पहले से रिम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं उन्हें प्रमोशन मिल सके और वह उत्साह के साथ काम कर सकें.

लेकिन प्रबंधन ने रिम्स में वैकेंसी निकालकर डायरेक्ट प्रोफेसर की नियुक्ति कर रही है जो कि रिम्स की नियमवाली के खिलाफ है. अब देखने वाली बात होगी रिम्स में कार्य करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर की मांग पर रिम्स प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग क्या कुछ निर्णय लेता है या फिर इन चिकित्सकों को अपनी मांग के लिए कोर्ट की शरण में ही जाना पड़ेगा.

रांची: रिम्स अस्पताल राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है, यहां पर प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. वहीं सैकड़ों चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं इसके अलावा हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मचारी रिम्स में कार्यरत हैं. सरकारी नियमों के अनुसार मरीजों का इलाज होता है और स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों को वेतन भी सरकारी नियमों के अनुसार दिए जाते हैं. इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रोन्नति भी दी जाती है ताकि चिकित्सक ऊर्जा के साथ काम करते रहे. लेकिन रिम्स में पिछले 6 साल से ऐसा नहीं हो रहा है.

इसे भी पढ़ें- अजब रिम्स की गजब कहानी, सृजित पद से ज्यादे प्रोफेसर हैं कार्यरत, फिर भी निकाली वेकैंसी, डॉक्टर्स हैं नाराज

रांची के रिम्स में प्रमोशन ना होने से डॉक्टर्स में रोष है. पिछले 6 वर्षों से रिम्स के डॉक्टर्स का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है. जिसको लेकर रिम्स के चिकित्सकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों रिम्स टीचर एसोसिएशन की बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि प्रबंधन की ओर से प्रोफेसर के पद पर जो सीधी नियुक्ति ली जा रही है, उसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा. इसको लेकर उनका कहना है कि प्रोफेसर के पद पर डॉक्टर्स की नियुक्ति प्रमोशन के माध्यम से ही हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

जानकारी देते रिम्स चिकित्सक

रिम्स में फिलहाल पर्याप्त मात्रा में प्रोफेसर पद पर तैनात चिकित्सक मौजूद हैं. इसके बावजूद भी निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद और रिम्स प्रबंधन की ओर से प्रोफेसर पद पर सीधी नियुक्ति निकाली जा रही है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि रिम्स देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स की नियमावली के अनुसार चलता है और एम्स की नियमावली के अनुसार प्रोफेसर पद पर एसोसिएट प्रोफेसर को ही प्रमोशन देकर ही भरा जा सकता है. लेकिन रिम्स में प्रोफेसर की नियुक्ति प्रबंधन के द्वारा सीधी प्रक्रिया के तहत की जा रही है, जिस वजह से डॉक्टर्स नाराज हैं.

रिम्स में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक निशित एक्का बताते हैं कि पिछले 7 वर्षों से रिम्स में डॉक्टरों को प्रमोशन नहीं मिला है और जो डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं, वो वर्षों से इसी पद पर पड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद द्वारा जो वैकेंसी निकाली गई है वह सीधे प्रोफेसर पद की वैकेंसी निकाली गई है जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के कई पद खाली हैं. लेकिन इन पदों को छोड़कर रिम्स प्रबंधन प्रोफेसर पद पर नियुक्ति निकाल रहा है जबकि प्रोफेसर पद पर पहले से ही पर्याप्त लोग मौजूद हैं.

डॉ. निशित एक्का ने बताया कि अपनी बात रखने के लिए सभी चिकित्सक 13 अप्रैल को जीबी की बैठक के दौरान निदेशक कार्यालय और मंत्री के सामने अपना विरोध दर्ज कराएंगे. इसके बाद भी सरकार और प्रबंधन चिकित्सकों की मांग पर विचार नहीं करती है तो आने वाले समय में वो कोर्ट का सहारा लेने को मजबूर हो जाएंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे. डॉक्टर्स का कहना है कि जो वैकेंसी प्रबंधन द्वारा निकाली गई है वह वैकेंसी प्रोफेसर पद के लिए नहीं बल्कि असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए होना चाहिए ताकि जो चिकित्सक पहले से रिम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं उन्हें प्रमोशन मिल सके और वह उत्साह के साथ काम कर सकें.

लेकिन प्रबंधन ने रिम्स में वैकेंसी निकालकर डायरेक्ट प्रोफेसर की नियुक्ति कर रही है जो कि रिम्स की नियमवाली के खिलाफ है. अब देखने वाली बात होगी रिम्स में कार्य करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर की मांग पर रिम्स प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग क्या कुछ निर्णय लेता है या फिर इन चिकित्सकों को अपनी मांग के लिए कोर्ट की शरण में ही जाना पड़ेगा.

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