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झारखंड पर्यटन विकास निगम महाप्रबंधक आलोक प्रसाद पर फर्जीवाड़े का आरोप, सीएम से जांच करवाने की मांग - समाजसेवी कुलन पतरस आइंद ने सीएम को लिखा पत्र

झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. ये आरोप समाजसेवी कुलन पतरस आइंद ने लगाया है. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से जांच कराने की मांग की है.

accused of fraud on tourism development corporation worker alok prasad
आलोक प्रसाद पर फर्जीवाड़े का आरोप
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Published : Jan 19, 2021, 12:22 PM IST

रांची: झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद पर समाजसेवी कुलन पतरस आइंद ने फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया है. कुलन पतरस का कहना है कि आलोक प्रसाद की तरफ से झारखंड पर्यटन विकास निगम की नियमावली का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया है. साथ ही फर्जी प्रमाणपत्र का उपयोग कर महाप्रबंधक पद पर पदोन्नति की गयी है. उक्त मामले में कुलन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है.

झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद
सीएम को लिखा पत्र
अधिकारियों के साथ सांठगांठ से मिली पदोन्नतिआवेदन में जिक्र किया गया है कि झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद को बिहार पर्यटन विकास निगम की तरफ से 30/ 7/ 1988 को अस्थाई प्रबंधक पद पर नियुक्त किया गया था. झारखंड पर्यटन विकास निगम के गठन के समय आलोक प्रसाद होटल बिरसा विहार रांची में प्रबंधक पद पर कार्यरत थे. गठन के बाद अधिकारियों के सांठगांठ से 18 फरवरी 2005 को प्रभारी महाप्रबंधक झारखंड पर्यटन विकास निगम बन गए. इसके बाद महाप्रबंधक रहते 16 अक्टूबर 2006 को प्रबंधक से प्रबंधक प्रशासक में पदोन्नति करा उप महाप्रबंधक बन गए. इसे भी पढ़ें-कृषक संगोष्टी-सह-उद्यान प्रदर्शनी का आयोजन, विधायक बंधु तिर्की ने कार्यक्रम का किया शुभारंभ


क्या है फर्जीवाड़ा
आलोक प्रसाद के प्रमाणपत्र के संबंध झारखंड पर्यटन विकास निगम के पास जो जानकारी है उसके अनुसार उनकी शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार है. आलोक ने 1978 में मैट्रिक, 1986 एमबीए, 1992 में एलएलबी और 2009 में पीएचडी की है. कुलन पतरसस का कहना है कि आलोक प्रसाद की सेवा पुस्तिका में उनकी जन्म तिथि 12 /12 /1964 अंकित है. उस समय में समय 11वीं कक्षा उत्तीर्ण को मैट्रिक कहा जाता था, तो केवल 13 साल 5 महीने में 11 कक्षा पास करना कैसे संभव हुआ, जबकि 1964 1965 में प्रथम कक्षा में नामांकन के लिए न्यूनतम 5 वर्ष अनिवार्य था.

रांची: झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद पर समाजसेवी कुलन पतरस आइंद ने फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया है. कुलन पतरस का कहना है कि आलोक प्रसाद की तरफ से झारखंड पर्यटन विकास निगम की नियमावली का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया है. साथ ही फर्जी प्रमाणपत्र का उपयोग कर महाप्रबंधक पद पर पदोन्नति की गयी है. उक्त मामले में कुलन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है.

झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद
सीएम को लिखा पत्र
अधिकारियों के साथ सांठगांठ से मिली पदोन्नतिआवेदन में जिक्र किया गया है कि झारखंड पर्यटन विकास निगम में कार्यरत आलोक प्रसाद को बिहार पर्यटन विकास निगम की तरफ से 30/ 7/ 1988 को अस्थाई प्रबंधक पद पर नियुक्त किया गया था. झारखंड पर्यटन विकास निगम के गठन के समय आलोक प्रसाद होटल बिरसा विहार रांची में प्रबंधक पद पर कार्यरत थे. गठन के बाद अधिकारियों के सांठगांठ से 18 फरवरी 2005 को प्रभारी महाप्रबंधक झारखंड पर्यटन विकास निगम बन गए. इसके बाद महाप्रबंधक रहते 16 अक्टूबर 2006 को प्रबंधक से प्रबंधक प्रशासक में पदोन्नति करा उप महाप्रबंधक बन गए. इसे भी पढ़ें-कृषक संगोष्टी-सह-उद्यान प्रदर्शनी का आयोजन, विधायक बंधु तिर्की ने कार्यक्रम का किया शुभारंभ


क्या है फर्जीवाड़ा
आलोक प्रसाद के प्रमाणपत्र के संबंध झारखंड पर्यटन विकास निगम के पास जो जानकारी है उसके अनुसार उनकी शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार है. आलोक ने 1978 में मैट्रिक, 1986 एमबीए, 1992 में एलएलबी और 2009 में पीएचडी की है. कुलन पतरसस का कहना है कि आलोक प्रसाद की सेवा पुस्तिका में उनकी जन्म तिथि 12 /12 /1964 अंकित है. उस समय में समय 11वीं कक्षा उत्तीर्ण को मैट्रिक कहा जाता था, तो केवल 13 साल 5 महीने में 11 कक्षा पास करना कैसे संभव हुआ, जबकि 1964 1965 में प्रथम कक्षा में नामांकन के लिए न्यूनतम 5 वर्ष अनिवार्य था.

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