रांची: कोरोना काल में झारखंड के जेलों से भीड़ कम करने के लिए कैदी बाहर निकाले जाएंगे. हालांकि झारखंड में कैदियों को सजा में माफी नहीं मिलेगी. कैदी अंतरिम जमानत और पैरोल पर छोड़े जाएंगे. इस संबंध में गृह विभाग ने जिला आईजी को निर्देश जारी कर दिया है.
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बनाई जा रही कैदियों की लिस्ट
सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद गृह कार्य एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने जेल आईजी को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है. इसके तहत कारा विभाग ने पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़े जा सकने वाले कैदियों की सूची बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जेल में कैदियों की भीड़ कम की जाए, ताकि जेलों में कोरोना संक्रमण का फैलाव ना हो. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि पिछले साल कोरोना संक्रमण को लेकर जिन कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था. उन्हें एक बार फिर से 90 दिनों के पैरोल पर रिहा किया जाए. साथ ही छोटे अपराधों में जेल में बंद अभियुक्तों को भी अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा किया जाए.
7000 कैदियों को मिलेगा फायदा
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद लगभग 7000 कैदियों को कोरोना संक्रमण की वजह से जेल से आजादी मिल सकती है. हालांकि इस बार किसी भी कैदी की सजा को माफ नहीं किया जा रहा है. कैदियों को आंतरिक जमानत और पैरोल पर रिहा किया जाएगा.
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राज्य के 29 जेल में लगभग 21,500 कैदी काट रहे हैं सजा
झारखंड में कुल 29 जेल हैं, जिसमें सात केंद्रीय कारागार, 14 जिला कारा, एक ओपन जेल और बाकी सब-जेल हैं. इन जेलों में लगभग 21 हजार कैदी हैं, जिनमें विचाराधीन कैदियों की संख्या 13000, सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 6000 है. 7 साल से कम की सजा वाले कैदियों की संख्या 1000 और 7 साल तक सजा पाने वाले कैदियों की संख्या दो हजार के करीब है. जबकि 7 साल से ज्यादा 10 साल तक की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या लगभग 1000 है.
क्या है आंकड़े
एनसीआरबी 2019-20 के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 52.3 प्रतिशत से अधिक अंडर ट्रायल अपराधी हैं, जो 18 से 30 साल के हैं. 39.5% 30 से 50 साल की उम्र के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में झारखंड में अंडर ट्रायल अपरधियों की संख्या 12759 थी. जिसमें 18-30 साल के बीच के युवाओं की संख्या 6672 यानी 52.3% थी. दूसरे नंबर पर 30 से 50 साल के लोग आते हैं. इनकी संख्या 5045, यानी 39.5% रही. 50 साल से ऊपर की उम्र के अंडर ट्रायल आरोपियों की संख्या 1041, यानी 8.2% थी. वहीं झारखंड में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 5871 है, जिसमें 18-30 साल के 1870 कैदी, यानी 31.9%, 30-50 साल के 2905 कैदी. जबकि 50 साल से उपर के 18.7%, यानि 1096 कैदियों की संख्या है.
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चार विदेशी जेल में बंद, दो का चल रहा ट्रायल
एनसीआरबी की 2019 के आंकड़े की मानें तो झारखंड के जेल में चार विदेशी नागरिक भी हैं. जबकि दो विदेशी नागरिकों का अंडर ट्रायल चल रहा है. वहीं झारखंड के 12073 लोगों का अंडर ट्रायल चल रहा है. जबकि झारखंड के रहने वाले 5579 कैदी सजायाफ्ता हैं. झारखंड के अलावा अन्य राज्यों के 684 लोगों का अंडर ट्रायल चल रहा है. जबकि अन्य राज्य के रहने वाले 288 कैदी सजायाफ्ता हैं.
आईजी का दावा, सबसे सुरक्षित है जेल
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में झारखंड भी बेहद संवेदनशील है. खासकर राजधानी रांची में स्थिति काफी भयावह है, लेकिन पिछली बार के तुलना में इस बार झारखंड के सभी जेल कोविड संक्रमण के प्रकोप से बचे हुए हैं. पिछले साल कोरोना संक्रमण से जेल में बंद कैदी और जेलों में तैनात जेलकर्मी भी प्रभावित हुए थे. इस बार एक तरफ जहां कोरोना ने पूरे झारखंड में तबाही मचा दी है, वहीं जेल में बंद कैदी पूरी तरह सुरक्षित हैं. झारखंड के जेल प्रशासन कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के प्रति सचेत है. इसके लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं.
जेलों में वायरस को रोकने का प्रयास जारी
जेल आईजी वीरेंद्र भूषण ने बताया कि झारखंड के जेलों में वायरस को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं, स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर बंदियो का पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड मेंटेन करना शुरू कर दिया गया है, जिन भी बंदियों में कोई भी लक्षण दिखाई दिए, जो कोविड-19 से मिलते जुलते हैं उनको आइसोलेट कर दिया जा रहा है, इसके साथ ही जेल परिसर को समय-समय पर सेनेटाइज भी कराया जा रहा है, इस समय जेल में बंद कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए जेल प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है.
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जेलों में चल रहा वैक्सीनेशन
कोरोना संक्रमण की इस चुनौती से निपटने के लिए प्रदेश की जेलों में जहां खास इंतजाम किए जा रहे हैं, वहीं जेलों के अंदर कोविड केयर सेंटर भी बनाए गए हैं. इसके साथ ही कैदियों को कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनेटाइजर भी मुहैया कराया जा रहा है. हर कैदी को तीन-तीन मास्क दिए गए हैं. जबकि उनके खानपान में बदलाव किए गए हैं, ताकि कोरोना के संक्रमण से उन्हें बचाया जा सके. जेलों में एक साथ खाना खाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. जेल आईजी ने बताया कि सुरक्षा के साथ-साथ कैदियों का वैक्सीनेशन भी कराया जा रहा है.