रांची: राजस्थान में झारखंड की डॉ. अर्चना शर्मा की मौत के बाद पूरे राज्य के डॉक्टर आक्रोश में हैं. झारखंड के आक्रोशित डॉक्टर्स की ओर से शनिवार 2 अप्रैल को किए गए राज्यव्यापी हड़ताल के बाद, अब डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल आज झारखंड पुलिस मुख्यालय में जाकर डीजीपी नीरज सिन्हा से मुलाकात कर ज्ञापन सौपेगा कि सभी जिले के एसपी, डीएसपी और थानाध्यक्षों को यह जानकारी और आदेश दिया जाए कि इलाज के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है तो पुलिस डॉक्टर पर धारा 302 लगाकर हत्या का केस दर्ज न करे.
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डॉ. अर्चना शर्मा मूल रूप से रांची की रहने वाली थी और रांची के रिम्स से ही उसने मेडिकल की पढ़ाई की थी. राजस्थान के दौसा में इलाज के दौरान गर्भवती की मौत के बाद पुलिस की ओर से इलाज करने वाली डॉक्टर डॉ. अर्चना शर्मा पर आइपीसी की धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बताया जा रहा है इससे दबाव में आकर डॉ. अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली. डॉक्टर्स राजस्थान पुलिस को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं.
झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन, झासा के सचिव डॉ. बिमलेश सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भी है कि इलाज के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है तो इलाज करने वाले डॉक्टर पर सीधे 302 का मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता. राजस्थान के डॉ. अर्चना शर्मा मामले में इसका ख्याल नहीं रखा गया और नतीजा यह हुआ कि दवाब में आकर महिला चिकित्सक ने आत्महत्या कर ली.
झारखंड में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की भी मांग कर रहे हैंं डॉक्टर्स: डॉ. अर्चना शर्मा मामले के बाद एक बार फिर झारखंड में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग तेज हो गयी है. झासा, आईएमए झारखंड और निजी अस्पताल संचालक संघ ने इस मुद्दे पर एक बार फिर गोलबंद होने का मन बनाया है ताकि सुरक्षित माहौल में डॉक्टर मरीजों की सेवा कर सकें. झासा के सचिव डॉ. बिमलेश सिंह ने कहा झारखंड में राजस्थान जैसी स्थिति नहीं हो इसलिए 5 अप्रैल को आईएमए झारखंड, झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन, एपीएचआई से जुड़े चिकित्सक झारखंड के डीजीपी से मुलाकात कर इसकी मांग रखेंगे कि मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स पर सीधे 302 का मुकदमा दर्ज न हो यह सुनिश्चित की जाए.