रांची: लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath puja 2022) को सामूहिक रूप से नदी तालाब में मनाने की परंपरा रही है. व्रती जलाशय के पानी खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हैं और उस दौरान परिवार व आस-पड़ोस के लोग बड़ी संख्या में छठ घाट पर मौजूद होते हैं. छठ गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है. लेकिन महामारी कोरोना के कारण बीते दो वर्षों ने लोक आस्था के महापर्व को मनाने को लेकर बदलाव दिख रहा है. लोग अब तालाब और जलाशयों के अलावा बड़ी संख्या में अपने घर के बाहर आकर्षक तालाब का निर्माण करावा रहे हैं, तो कई लोग अपार्टमेंट के छतों पर ही कृत्रिम तालाब (chhath puja in artificial water pool in ranchi) बनवा रहे हैं.
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कोरोना ने बढ़ा दी आर्टिफिशियल वाटर पूल की बिक्री: राजधानी रांची में कई तालाबों की खराब स्थिति और कोरोना संक्रमण के दौरान भीड़ से बचकर त्योहार मनाने की बनी स्थिति का असर यह हुआ है कि रांची के बाजार में इस वर्ष प्लास्टिक के वाटर पूल की अच्छी बिक्री हो रही है. बाजार में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से मंगाए गए वाटर टब, वाटर पूल की बिक्री हो रही है. रांची के बाजार में 350 से लेकर 12-13 हजार रुपये तक के अलग-अलग आकार के वाटर टब, वाटर पूल उपलब्ध हैं, जो दो फीट डायमीटर से लेकर 12 फीट डायमीटर के साइज में है.
भीड़ से बचने के लिए वाटर पूल का इस्तेमाल: रांची में मेन रोड में वाटर पूल के थोक और खुदरा विक्रेता अक्षय जैन कहते हैं कि कोरोना काल के समय से इन वाटर पूलों की बिक्री काफी बढ़ गई है क्योंकि लोग अब गैदरिंग (भीड़) से बचने की कोशिश करते हैं. ऐसे में यह एक सस्ता और सुलभ विकल्प है. अक्षय कहते हैं कि अगर पूजा के बाद इन वाटर पूल को संभालकर रखा जाए तो यह कई साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
वाटर पूल का बढ़ता ट्रेंडः रांची में स्वर्णरेखा, हरमू, बड़ा तालाब सहित कई तालाब की स्थिति ठीक नहीं है. प्रशासन और नगर-निगम की तरफ से साफ-सफाई कराए जाने के बावजूद प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में राजधानी वासियों में अब उन लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो जलाशयों, नदियों के तट पर अर्घ्य देने की जगह अपने घरों के बाहर, छत पर बनाये कृत्रिम तालाब या प्लास्टिक के वाटर पूल में खड़ा होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की तैयारी कर रखी है.