रांची: झारखंड में कोर्ट फीस वृद्धि के विरोध में प्रदेश के सभी जिलों के लगभग 33 हजार अधिवक्ताओं का आंदोलन अब भी जारी (Jharkhand Advocates strike continues) है. सोमवार और मंगलवार को भी वो खुद को अदालती कामकाज से दूर रखेंगे. पिछले 6 और 7 को वकीलों के कार्य बहिष्कार से लगभग पांच हजार मुकदमों पर सुनवाई नहीं हो सकी. इस बीच सीएम हेमंत सोरेन ने शनिवार को अपने आवास पर अधिवक्ताओं के साथ वार्ता की. उन्होंने आश्वस्त किया कि कोर्ट फीस वृद्धि से जुड़ा जो बिल विधानसभा से पारित हुआ है, उसपर बाद में संशोधन किया जा सकता है. लेकिन वकील कोर्ट फीस के फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए (Advocates against court fees hiked in Jharkhand) हैं.
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6 और 7 जनवरी की हड़ताल के बाद रविवार को झारखंड के सभी जिला के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ स्टेट बार काउंसिल की आपात बैठक रांची में स्टेट बार काउंसिल परिसर में हुई (State and District Bar Council meeting in Ranchi). इस बैठक में सोमवार और मंगलवार (9-10 जनवरी) को भी न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करने का फैसला लिया गया. राज्य भर के न्यायालयों में न्यायिक कार्य का बहिष्कार करेंगे. बैठक में मुख्यमंत्री हेमत सोरेन से मांग की गई कि वो अधिवक्ता संघ की पांच सूत्री मांगों पर फैसला लें. अधिवक्ताओं ने कहा कि मंगलवार की शाम तक सरकार ने मांग पर सार्थक कदम नहीं उठाया तो फिर ऑनलाइन बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे. झारखंड बार काउंसिल के स्टैंड के खिलाफ जाने वाले अधिवक्ताओं को सोमवार शाम तक नोटिस भेज दिया जाएगा.
शनिवार को सीएम का अधिवक्ताओं के साथ संवादः शनिवार को सीएम के साथ हुए संवाद के बाद महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन ने आश्वस्त किया है कि वकीलों को ट्रस्टी कमिटी की ओर से पेंशन की जितनी राशि मिलती है, उतनी ही राशि सरकार भी देगी, यानी अब उनके पेंशन की राशि दोगुनी हो जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि इसके साथ ही यह भी एलान किया गया है कि 5 लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस हर अधिवक्ता और उसके परिवार को मिलेगा, साथ ही 5 लाख की दुर्घटना बीमा का भी मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है.
वकीलों ने सीएम के संवाद का किया बहिष्कारः लेकिन मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम का बहिष्कार करते हुए रांची जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों ने सिविल कोर्ट से अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च किया. अधिवक्ताओं ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक 2022 (Court Fee Amendment Bill 2022) को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है, इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी. इसके अलावा प्रदेश के अधिवक्ता अपनी मांगों पर अब तक अड़े हुए हैं, जिनमें कोर्ट फीस वृद्धि वापस लेने, अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजट निर्धारित करने की मांग पर सभी अधिवक्ता एकजुट हैं.
क्या है अधिवक्ताओं की मांगः झारखंड के अधिवक्ता सरकार द्वारा कोर्ट फीस में की गयी बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. इसके अलावा उनकी अन्य मांगों में अधिवक्ताओं की मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने, APP की बहाली, बजट में अधिवक्ता कल्याण के लिए राशि का प्रावधान, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग और 07 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए की गयी घोषणाओं को 7 दिन के भीतर धरातल पर उतारने की मांग शामिल है (Opposed to increase court fee in Jharkhand).