रांची: कोर्ट फी वृद्धि (Court fee hike in Jharkhand) के विरोध में अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार दूसरे दिन भी जारी रहा. झारखंड राज्य बार काउंसिल के आह्वान पर राज्यभर के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से शनिवार को भी दूर रहे. रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने इसके विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकालकर अलबर्ट एक्का चौक पर जमकर नारेबाजी की (Advocates protest march in Ranchi). इस दौरान नाराज अधिवक्ता सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन करते नजर आए.
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मौके पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल के प्रवक्ता संजय विद्रोही ने झारखंड सरकार पर अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का अधिवक्ताओं के साथ संवाद की हकीकत यह है कि वे सरकारी वकील के साथ संवाद कर रहे हैं जो अधिवक्ताओं की परेशानी नहीं बता पायेंगे. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के जरिए सरकार को जगाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्यों से अलग रहने के बाद 8 जनवरी को बार काउंसिल की बैठक होगी, जिसमें आगे का निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में बेतहाशा कोर्ट फी में बढ़ोतरी से आम लोग परेशान हैं, जिसका खामियाजा यहां के अधिवक्ता को उठाना पड़ रहा है.
सीएम के संवाद से दूर रहे अधिवक्ता: कोर्ट फी वृद्धि वापस लेने के अलावा अधिवक्ताओं की मांगों में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, बजट में अधिवक्ता कल्याण के लिए निधि आवंटित नहीं करने, लोक अभियोजक एवं अपर लोक अभियोजक राज्य के बार एसोसिएशन से लेना शामिल है. इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ अधिवक्ताओं की बैठक शनिवार को बुलाई गई थी, जिसमें महाधिवक्ता सहित अन्य सरकारी वकील उपस्थित रहे. इसके अलावा उम्मीद की जा रही थी कि बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित होंगे, लेकिन वे नहीं आ पाए. स्टेट बार काउंसिल ने इस बैठक को बहिष्कार करने की घोषणा कर रखी थी. विवाद का मुख्य कारण झारखंड सरकार द्वारा कोर्ट फीस में की गई वृद्धि है, जिसे भले ही संशोधित किया गया है, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले से अधिवक्ता संतुष्ट नहीं हैं. दिसंबर 2021 में कैबिनेट से पास होने के बाद राज्य सरकार ने विभिन्न न्यायालयों में लगने वाले कोर्ट फी में अप्रत्याशित वृद्धि की थी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी.