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Controversy over JPSC: सिविल जज परीक्षा नियुक्ति विज्ञापन पर विवाद पर अधिवक्ता मंच की मुख्यमंत्री को चिठ्ठी, दी कोर्ट जाने की धमकी

जेपीएससी सिविल जज परीक्षा नियुक्ति विज्ञापन पर विवाद गहरा गया है. उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर झारखंड अधिवक्ता मंच की मुख्यमंत्री को चिठ्ठी भेजकर हाई कोर्ट जाने की धमकी दी है.

Advocate Manch wrote letter to CM Hemant Soren over JPSC Civil Judge Exam appointment advertisement
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Published : Aug 21, 2023, 6:13 PM IST

Updated : Aug 21, 2023, 8:48 PM IST

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रांचीः झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा निकाली गई सिविल जज नियमित नियुक्ति परीक्षा के विज्ञापन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. झारखंड अधिवक्ता मंच ने इस विज्ञापन में उम्र सीमा को लेकर दिए गए प्रावधान पर नाराजगी जताते हुए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसे संशोधित करने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाईकोर्ट में जेपीएससी मामले की सुनवाई, अदालत ने फर्स्ट-सेकंड बैच की परीक्षाओं की सीबीआई जांच पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट

पिछले दिनों 138 सिविल जज के पदों पर नियुक्ति के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग ने विज्ञापन जारी किया, जिसमें अधिकतम उम्र सीमा का कट ऑफ 31 जनवरी 2023 रखी गई है. इस परीक्षा में शामिल होने की चाहत रखने वाले युवा अधिवक्ताओं का मानना है कि झारखंड में अब तक 4 बार सिविल जज की नियुक्ति परीक्षा हुई है जो 2008, 2014, 2016, और 2018 में हुआ है. ऐसे में सरकारी प्रावधान के तहत अधिकतम उम्र सीमा 2018 के आधार पर होना चाहिए. बिहार एवं अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए अधिवक्ता मंच का मानना है कि उम्र सीमा की गणना पिछले परीक्षा आयोजन की तिथि को आधार मानकर किया जाना चाहिए. झारखंड अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष रविंद्र कुमार कहते हैं कि अगर सरकार इस पर निर्णय नहीं लेती है तो झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर गुहार लगाया जायेगा.

बिहार एवं अन्य राज्यों में है उम्र सीमा छूट का प्रावधानः न्यायिक सेवा परीक्षा की उम्र सीमा में छूट का प्रावधान बिहार एवं देश के अन्य राज्यों में दी गई है. सामान्यतया सामान्य वर्गों के लिए 22 से 35 वर्ष निर्धारित है. इसी तरह ओबीसी एवं अन्य वर्गों के लिए अलग अलग राज्यों में उम्र सीमा अलग अलग रखी गई हैं. इस परीक्षा में शामिल होने की चाहत रखने वाली अधिवक्ता कौशिकी का मानना है कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी सरकार को उम्र सीमा में छूट का प्रावधान करना चाहिए और इसका निर्धारण 2018 को आधार मानकर रखनी चाहिए, इससे वैसे छात्रों को लाभ मिलेगा जो न्यायिक सेवा में आने की चाहत रखते हैं.

युवा अधिवक्ता प्रवीण कुमार का मानना है की सरकार को इस विज्ञापन में संशोधन करते हुए बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 85 में विधियों की अनुकूलन की भांति तथा धारा 86 में विधियों की अर्थान्वयन की भांति का प्रावधान किया गया है. इसका मतलब है कि बिहार जहां से टूटकर झारखंड बना वहां के न्यायिक सेवा और एपीओ की भर्ती से संबंधित एसटी, एससी, ओबीसी और महिलाओं की जो आरक्षण व्यवस्था तथा उम्र सीमा में छूट है, उसी आरक्षण व्यवस्था तथा उम्र की छूट को झारखंड में लागू किया जाए.

बहरहाल विवादों के बीच एक और जहां उम्र सीमा को लेकर युवा अधिवक्ता सरकार से गुहार लगाते फिर रहे हैं. दूसरी ओर वो हाई कोर्ट में अपील करने की तैयारी में जुटे हैं. वहीं 21 अगस्त यानी सोमवार से इस नियुक्ति परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन अप्लाई शुरू हो गया है जो 21 सितंबर तक चलेगा.

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रांचीः झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा निकाली गई सिविल जज नियमित नियुक्ति परीक्षा के विज्ञापन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. झारखंड अधिवक्ता मंच ने इस विज्ञापन में उम्र सीमा को लेकर दिए गए प्रावधान पर नाराजगी जताते हुए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसे संशोधित करने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाईकोर्ट में जेपीएससी मामले की सुनवाई, अदालत ने फर्स्ट-सेकंड बैच की परीक्षाओं की सीबीआई जांच पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट

पिछले दिनों 138 सिविल जज के पदों पर नियुक्ति के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग ने विज्ञापन जारी किया, जिसमें अधिकतम उम्र सीमा का कट ऑफ 31 जनवरी 2023 रखी गई है. इस परीक्षा में शामिल होने की चाहत रखने वाले युवा अधिवक्ताओं का मानना है कि झारखंड में अब तक 4 बार सिविल जज की नियुक्ति परीक्षा हुई है जो 2008, 2014, 2016, और 2018 में हुआ है. ऐसे में सरकारी प्रावधान के तहत अधिकतम उम्र सीमा 2018 के आधार पर होना चाहिए. बिहार एवं अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए अधिवक्ता मंच का मानना है कि उम्र सीमा की गणना पिछले परीक्षा आयोजन की तिथि को आधार मानकर किया जाना चाहिए. झारखंड अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष रविंद्र कुमार कहते हैं कि अगर सरकार इस पर निर्णय नहीं लेती है तो झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर गुहार लगाया जायेगा.

बिहार एवं अन्य राज्यों में है उम्र सीमा छूट का प्रावधानः न्यायिक सेवा परीक्षा की उम्र सीमा में छूट का प्रावधान बिहार एवं देश के अन्य राज्यों में दी गई है. सामान्यतया सामान्य वर्गों के लिए 22 से 35 वर्ष निर्धारित है. इसी तरह ओबीसी एवं अन्य वर्गों के लिए अलग अलग राज्यों में उम्र सीमा अलग अलग रखी गई हैं. इस परीक्षा में शामिल होने की चाहत रखने वाली अधिवक्ता कौशिकी का मानना है कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी सरकार को उम्र सीमा में छूट का प्रावधान करना चाहिए और इसका निर्धारण 2018 को आधार मानकर रखनी चाहिए, इससे वैसे छात्रों को लाभ मिलेगा जो न्यायिक सेवा में आने की चाहत रखते हैं.

युवा अधिवक्ता प्रवीण कुमार का मानना है की सरकार को इस विज्ञापन में संशोधन करते हुए बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 85 में विधियों की अनुकूलन की भांति तथा धारा 86 में विधियों की अर्थान्वयन की भांति का प्रावधान किया गया है. इसका मतलब है कि बिहार जहां से टूटकर झारखंड बना वहां के न्यायिक सेवा और एपीओ की भर्ती से संबंधित एसटी, एससी, ओबीसी और महिलाओं की जो आरक्षण व्यवस्था तथा उम्र सीमा में छूट है, उसी आरक्षण व्यवस्था तथा उम्र की छूट को झारखंड में लागू किया जाए.

बहरहाल विवादों के बीच एक और जहां उम्र सीमा को लेकर युवा अधिवक्ता सरकार से गुहार लगाते फिर रहे हैं. दूसरी ओर वो हाई कोर्ट में अपील करने की तैयारी में जुटे हैं. वहीं 21 अगस्त यानी सोमवार से इस नियुक्ति परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन अप्लाई शुरू हो गया है जो 21 सितंबर तक चलेगा.

Last Updated : Aug 21, 2023, 8:48 PM IST
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