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गोड्डा में अडाणी पावर कर रहा मनमानी! आस्ट्रेलिया की जगह घरेलू कोयले से कर रहा बिजली उत्पादन, मुख्य सचिव तक पहुंची शिकायत

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 14, 2023, 4:07 PM IST

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने गोड्डा में अडाणी पावर पर मनमानी का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी आस्ट्रेलिया की जगह घरेलू कोयले से बिजली उत्पादन कर रही है. प्रदीप यादव ने इस बाबत मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है.

Congress MLA allegation on Adani Power
Congress MLA allegation on Adani Power

रांची: गोड्डा में संचालित अडाणी पावर प्लांट पर गंभीर आरोप लगाए गये हैं. पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने आरोप लगाया है कि अडाणी पावर प्लांट को समझौते के तहत आस्ट्रेलिया से आयातित हाई क्वालिटी के कोयले से बिजली का उत्पादन करना था. लेकिन कंपनी समझौते को ठेंगा दिखाकर घरेलू आयातित कोयले का इस्तेमाल कर बिजली का उत्पादन कर रही है.

ये भी पढ़ें- गोड्डा अडाणी पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति शुरू, 748 मेगावाट की हो रही पावर सप्लाई

प्रदीप यादव का आरोप है कि अवैध और असुरक्षित तरीके से लोकल स्तर पर कोयले की ढुलाई भी हो रही है. इसकी जानकारी गोड्डा के पुलिस अधीक्षक को भी दी जा चुकी है. उन्होंने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर इंवायरन्मेंट क्लियरेंस की नये सीरे से समीक्षा और कड़ाई से जरूरी कार्रवाई की मांग की है.

  • अडानी पॉवर लिमिटेड, झारखण्ड गोड्डा द्वारा नियमों का घोर उल्लंघन कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।
    जिसमें पहले ऑस्ट्रेलिया से आयात कर हाई क्वालिटी के कोयले बिजली पैदा करने के नाम पर इन्वायरमेंटल क्लियरेंस लिया जाता है लेकिन बाद में लोकल कोयले का उपयोग किया जा रहा है। 1/3 pic.twitter.com/SyY60fbBNc

    — Pradeep Yadav (@PradeepYadavMLA) September 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस मसले पर अडाणी पावर के गोड्डा यूनिट के जनसंपर्क पदाधिकारी प्रवीण कुमार से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने फोन पर बात की. उनसे विधायक प्रदीप यादव द्वारा लगाए गये आरोपों पर पक्ष मांगा गया. जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसे किसी पत्र की जानकारी उन्हें नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस बाबत कुछ भी पूछा जाएगा तो कंपनी उसका जवाब देगी.

अडाणी के गोड्डा प्लांट से कहां सप्लाई होती है बिजली: दरअसल, नवंबर 2017 में अडाणी ग्रुप की बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल तक बिजली सप्लाई को लेकर समझौता हुआ था. इसके तहत गोड्डा में महज साढ़े तीन साल के भीतर पावर प्लांट स्थापित हुआ. यहां स्थापित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट से 26 जून 2023 को 2x800 MW क्षमता के सेकेंड यूनिट से कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हो चुका है. इससे पहले 6 अप्रैल 2023 को पहले यूनिट से 800 MW बिजली उत्पादन शुरू हुआ था.

यहां उत्पादित बिजली बांग्लादेश को सप्लाई की जाती है. इसके लिए बांग्लादेश ग्रिड से 400kv का ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्ट किया गया है. कंपनी का दावा है कि बिजली उत्पादन के दौरान मिनिस्ट्री ऑफ इनवायन्मेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सभी शर्तों का पालन हो रहा है. आपको बता दें कि अडाणी ग्रुप के हेड गौतम अडाणी ने गोड्डा यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू होन के बाद 15 जुलाई 2023 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात की थी.

शर्तों के उल्लंघन का क्या है आधार: कंपनी का दावा है कि वह सभी शर्तों का पालन कर रही है. लेकिन विधायक प्रदीप यादव इसे झूठा बता रहे हैं. उनका आरोप है कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 11 नवंबर 2020 के पत्रांक के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट को कोयले के स्त्रोत को लेकर पार्दर्शिता बरतना है. अगर इसमें कोई परिवर्तन होता है तो इसकी जानकारी फौरन मंत्रालय से साझा करना है ताकि पर्यावरणीय मंजूरी के नवीनीकरण ससमय किये जा सके. इसके तहत कोयले के स्त्रोत का लोकेशन, प्रस्तावित मात्रा और गुणवत्ता, स्त्रोत की पावर प्लांट से दूरी और कोयले के परिवहन के माध्यम का जिक्र जरूरी है.

यही नहीं कोयले के दहन से सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और मरक्यूरी आक्साइड की मात्रा तय मानक के अनुरूप होना चाहिए. जहां तक संभव हो कोयले का परिवहन रेलवे या कन्वेयर बेल्ट से ही होना चाहिए. जबतक यह विकल्प तैयार न हो, तबतक सड़क मार्ग से सुरक्षा मानकों के साथ कोयले की सप्लाई से पहले पर्यावरणीय मंजूरी जरूरी है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

यही नहीं एक अरसे से हजारों टन कोयला पश्चिम बंगाल से भारी वाहनों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के भीतरी सड़कों का गैर कानूनी इस्तेमाल कर प्लांट तक लाया जा रहा है. उन्होंने साक्ष्य के रूप में बताया है कि पिछले दिनों डहुपगार गांव के बिनोद सोरेन के बैलों की मौत कोयला लदे वाहन की चपेट में आने से हो गई थी. तब कंपनी की ओर से मुआवजा भी दिया गया था. उन्होंने लत्ता-संथाली गांव की एक महिला के गंभीर रूप से घायल होने का भी जिक्र किया है.

गंगा के बजाए भूगर्भ जल का दोहन: विधायक प्रदीप यादव का कंपनी पर आरोप है कि समझौते के तहत पानी की व्यवसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 93 किलोमीटर दूर बोरियो स्थित गंगा का पानी पाईपलाइन के जरिए लाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन प्लांट निर्माण के दौरान गंगा से पानी लाने के बजाए किसानों को प्रलोभन देकर उनकी जमीन पर डीप बोरिंग कराकर भूगर्भ जल का अवैध दोहन किया गया. इसकी वजह से अब स्थानीय लोगों की पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

प्रदीप यादव ने कई को भेजी पत्र की कॉपी: विधायक प्रदीप यादव ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र की कॉपी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अलावा मुख्यमंत्री, झारखंड, प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग, झारखंड, प्रधान सचिव, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड, प्रधान सचिव, उद्योग विभाग, झारखंड, अध्यक्ष, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, रजिस्ट्रार, एनजीटी, नई दिल्ली, अध्यक्ष, झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड और सदस्य सचिव, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी है. उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सितंबर 2006 में थर्मल पावर प्लांट के लिए संशोधित ऑफिस मेमोरेंडर की कॉपी भी साझा की है. उन्होंने वैसे इनवॉयस की कॉपी भी साझा की है जिससे पता चलता है कि ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिडेट, आसनसोन, पश्चिम बंगाल से भारी वाहनों के जरिए अडाणी पावर प्लांट को कोयला की सप्लाई हुई है.

रांची: गोड्डा में संचालित अडाणी पावर प्लांट पर गंभीर आरोप लगाए गये हैं. पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने आरोप लगाया है कि अडाणी पावर प्लांट को समझौते के तहत आस्ट्रेलिया से आयातित हाई क्वालिटी के कोयले से बिजली का उत्पादन करना था. लेकिन कंपनी समझौते को ठेंगा दिखाकर घरेलू आयातित कोयले का इस्तेमाल कर बिजली का उत्पादन कर रही है.

ये भी पढ़ें- गोड्डा अडाणी पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति शुरू, 748 मेगावाट की हो रही पावर सप्लाई

प्रदीप यादव का आरोप है कि अवैध और असुरक्षित तरीके से लोकल स्तर पर कोयले की ढुलाई भी हो रही है. इसकी जानकारी गोड्डा के पुलिस अधीक्षक को भी दी जा चुकी है. उन्होंने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर इंवायरन्मेंट क्लियरेंस की नये सीरे से समीक्षा और कड़ाई से जरूरी कार्रवाई की मांग की है.

  • अडानी पॉवर लिमिटेड, झारखण्ड गोड्डा द्वारा नियमों का घोर उल्लंघन कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।
    जिसमें पहले ऑस्ट्रेलिया से आयात कर हाई क्वालिटी के कोयले बिजली पैदा करने के नाम पर इन्वायरमेंटल क्लियरेंस लिया जाता है लेकिन बाद में लोकल कोयले का उपयोग किया जा रहा है। 1/3 pic.twitter.com/SyY60fbBNc

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इस मसले पर अडाणी पावर के गोड्डा यूनिट के जनसंपर्क पदाधिकारी प्रवीण कुमार से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने फोन पर बात की. उनसे विधायक प्रदीप यादव द्वारा लगाए गये आरोपों पर पक्ष मांगा गया. जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसे किसी पत्र की जानकारी उन्हें नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस बाबत कुछ भी पूछा जाएगा तो कंपनी उसका जवाब देगी.

अडाणी के गोड्डा प्लांट से कहां सप्लाई होती है बिजली: दरअसल, नवंबर 2017 में अडाणी ग्रुप की बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल तक बिजली सप्लाई को लेकर समझौता हुआ था. इसके तहत गोड्डा में महज साढ़े तीन साल के भीतर पावर प्लांट स्थापित हुआ. यहां स्थापित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट से 26 जून 2023 को 2x800 MW क्षमता के सेकेंड यूनिट से कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हो चुका है. इससे पहले 6 अप्रैल 2023 को पहले यूनिट से 800 MW बिजली उत्पादन शुरू हुआ था.

यहां उत्पादित बिजली बांग्लादेश को सप्लाई की जाती है. इसके लिए बांग्लादेश ग्रिड से 400kv का ट्रांसमिशन सिस्टम कनेक्ट किया गया है. कंपनी का दावा है कि बिजली उत्पादन के दौरान मिनिस्ट्री ऑफ इनवायन्मेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सभी शर्तों का पालन हो रहा है. आपको बता दें कि अडाणी ग्रुप के हेड गौतम अडाणी ने गोड्डा यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू होन के बाद 15 जुलाई 2023 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात की थी.

शर्तों के उल्लंघन का क्या है आधार: कंपनी का दावा है कि वह सभी शर्तों का पालन कर रही है. लेकिन विधायक प्रदीप यादव इसे झूठा बता रहे हैं. उनका आरोप है कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 11 नवंबर 2020 के पत्रांक के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट को कोयले के स्त्रोत को लेकर पार्दर्शिता बरतना है. अगर इसमें कोई परिवर्तन होता है तो इसकी जानकारी फौरन मंत्रालय से साझा करना है ताकि पर्यावरणीय मंजूरी के नवीनीकरण ससमय किये जा सके. इसके तहत कोयले के स्त्रोत का लोकेशन, प्रस्तावित मात्रा और गुणवत्ता, स्त्रोत की पावर प्लांट से दूरी और कोयले के परिवहन के माध्यम का जिक्र जरूरी है.

यही नहीं कोयले के दहन से सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और मरक्यूरी आक्साइड की मात्रा तय मानक के अनुरूप होना चाहिए. जहां तक संभव हो कोयले का परिवहन रेलवे या कन्वेयर बेल्ट से ही होना चाहिए. जबतक यह विकल्प तैयार न हो, तबतक सड़क मार्ग से सुरक्षा मानकों के साथ कोयले की सप्लाई से पहले पर्यावरणीय मंजूरी जरूरी है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

यही नहीं एक अरसे से हजारों टन कोयला पश्चिम बंगाल से भारी वाहनों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के भीतरी सड़कों का गैर कानूनी इस्तेमाल कर प्लांट तक लाया जा रहा है. उन्होंने साक्ष्य के रूप में बताया है कि पिछले दिनों डहुपगार गांव के बिनोद सोरेन के बैलों की मौत कोयला लदे वाहन की चपेट में आने से हो गई थी. तब कंपनी की ओर से मुआवजा भी दिया गया था. उन्होंने लत्ता-संथाली गांव की एक महिला के गंभीर रूप से घायल होने का भी जिक्र किया है.

गंगा के बजाए भूगर्भ जल का दोहन: विधायक प्रदीप यादव का कंपनी पर आरोप है कि समझौते के तहत पानी की व्यवसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 93 किलोमीटर दूर बोरियो स्थित गंगा का पानी पाईपलाइन के जरिए लाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन प्लांट निर्माण के दौरान गंगा से पानी लाने के बजाए किसानों को प्रलोभन देकर उनकी जमीन पर डीप बोरिंग कराकर भूगर्भ जल का अवैध दोहन किया गया. इसकी वजह से अब स्थानीय लोगों की पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

प्रदीप यादव ने कई को भेजी पत्र की कॉपी: विधायक प्रदीप यादव ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र की कॉपी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अलावा मुख्यमंत्री, झारखंड, प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग, झारखंड, प्रधान सचिव, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड, प्रधान सचिव, उद्योग विभाग, झारखंड, अध्यक्ष, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, रजिस्ट्रार, एनजीटी, नई दिल्ली, अध्यक्ष, झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड और सदस्य सचिव, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी है. उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सितंबर 2006 में थर्मल पावर प्लांट के लिए संशोधित ऑफिस मेमोरेंडर की कॉपी भी साझा की है. उन्होंने वैसे इनवॉयस की कॉपी भी साझा की है जिससे पता चलता है कि ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिडेट, आसनसोन, पश्चिम बंगाल से भारी वाहनों के जरिए अडाणी पावर प्लांट को कोयला की सप्लाई हुई है.

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