रांची: धनबाद में हुए भीषण अग्निकांड के बाद हर कोई सकते में है. राजधानी में हर तरफ बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है, लेकिन उनमें फायर सेफ्टी को लेकर मानक उपकरण न के बराबर है. धनबाद अग्निकांड के बाद रांची में खलबली मची हुई है. खासकर हाई कोर्ट के द्वारा स्वतः संज्ञान लिए जाने के बाद नगर निगम के अधिकारी रांची में फायर सेफ्टी के उपकरणों की पड़ताल में जुट गए हैं.
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फायर सेफ्टी के संसाधन ना के बराबर: राजधानी के विभिन्न इलाकों में स्थित अधिकांश अपार्टमेंट और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी संसाधन मौजूद नहीं है, इस कारण ऐसी इमारतें हर समय आग की जद में हैं. आंकड़े बताते हैं कि शहर में डेढ़ हजार से अधिक ऐसे अपार्टमेंट हैं, जिसका नक्शा नगर निगम से पारित तो है, लेकिन इनमें 60 प्रतिशत भवनों में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है. यहां तक कि बिल्डरों ने भवन का कार्य पूरा करने के बाद ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट तक नहीं लिया है. नक्शा पास कराने के लिए बिल्डर फायर डिपार्टमेंट से एनओसी ले लेते हैं, मगर भवन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उसमें फायर फाइटिंग सिस्टम लगा है कि नहीं, इसकी जांच न तो नगर निगम के अधिकारी करते हैं और न ही फायर डिपार्टमेंट के लोग. यहां तक कि बिल्डर भी भवन का कार्य पूरा होने की जानकारी नगर निगम को नहीं देते हैं. इसका फायदा बिल्डर उठाते हैं.
अधिकतर अपार्टमेंट में निकासी के लिए नहीं हैं दो सीढ़ियां: नगर निगम बिल्डिंग बॉयलाज में यह प्रावधान किया गया है कि अपार्टमेंट दो स्थानों पर सीढ़ियों का निर्माण कराना है. इसमें यह कहा गया कि किसी घटना होने पर अगर एक सीढ़ी ब्लॉक हो जाती है, तो उसमें रहने वाले लोग दूसरी सीढ़ी से निकलकर अपार्टमेंट से बाहर आ सकते हैं, लेकिन शहर के अधिकतर अपार्टमेंट में दो सीढ़ियों का निर्माण ही नहीं कराया गया है. इस वजह से आग लगने पर बड़े हादसे होने की संभावना बनी रहती है.
फायर फाइटिंग के लिए ये संसाधन जरूरी: रेसिडेंसियल अपार्टमेंट में आग से बचाव के उपकरणों एवं साधन में अंडरग्राउंड टैंक, ओवरहेड टैंक, वैकल्पिक बिजली व्यवस्था, राइजर, डिलिवरी आउटलेट, होज रील होज, डिलिवरी होज विथ ब्रांच, फायर अलार्म, फायरमैन स्विच, ऑटोमेटिक प्रिरंटलर सबसे जरूरी हैं.
42 मीटर की उंचाई तक की आग बुझाने के ही साधन: राजधानी के अधिकतर अपार्टमेंटों में फायर सिस्टम नहीं है. अग्निशमन विभाग इसकी अनिवार्यता का बार-बार आग्रह करता रहा है, लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन ने कभी गंभीरता नहीं दिखाया. रांची में एक साथ अगर एक से अधिक ऊंची इमारतों में आग लग जाए तो इसे बुझाना विभाग के बस में नहीं होगा. क्योकि राजधानी में एक ही हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म दमकल वाहन है, जो 42 मीटर की उंचाई वाले (15 मंजिले) भवन तक की आग बुझा सकता है. मौजूदा समय में रांची में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा अपार्टमेंट है.
संकीर्ण गलियों में हैं अपार्टमेंट: रांची के कई तंग गलियों वाले इलाके में भी अपार्टमेंट हैं. यहां सड़कें इतनी संकीर्ण हैं की दो छोटे वाहन भी एक साथ नहीं गुजर सकते. हादसे अपर बाजार, मधुकम, इरगू टोली, आनंद नगर, विद्यानगर या हिदपीढ़ी की किसी संकरी गली वाले इलाके में हो जाए तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है.
समीक्षा की तैयारी: धनबाद में हुए भीषण अग्निकांड से सबक लेते हुए और हाल के दिनों में रांची के कई अपार्टमेंट्स में लगी आग की घटनाओं को लेकर रांची नगर निगम में जल्द ही एक समीक्षा की जानी है. समीक्षा के दौरान एक टीम का गठन कर राजधानी रांची के सभी अपार्टमेंट की जांच की जाएगी कि उनमें फायर सेफ्टी के उपकरण लगे हुए हैं या नहीं या उपकरण लगे भी हुए हैं तो उनकी क्या स्थिति है. रांची नगर निगम के द्वारा सभी बिल्डरों को जल्द ही इस संबंध में पत्र भेजकर जानकारी भी मांगी जाएगी.