रांची: एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने 170 करोड़ रुपए के अनियमितता के मामले में जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ अपनी जांच पूरी कर ली है. अब निरंजन कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी की जा रही है. एसीबी के जांच में जरेडा और ऊर्जा निगम के कई अधिकारियों की मिलीभगत घोटाले में सामने आई है.
कई अधिकारी फसेंगे
एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार, इस घोटाले में निरंजन के साथ कई अधिकारी शामिल हैं. इनमें से कई ने घोटाले को अंजाम देने में निरंजन का बखूबी साथ दिया है. उन सभी अधिकारियों की फाइल भी ऐसीबी खंगाल रही है. जैसे-जैसे इस मामले में नए तथ्य आएंगे, वैसे-वैसे नए घोटाले बाजों के नाम सामने आएंगे. मिली जानकारी के अनुसार, जरेडा में कई ऐसे अधिकारी भी अपने निजी फायदे के लिए लगातार अपनी पहुंच का फायदा उठाकर काम करते रहे, जो दूसरे विभाग से संबंध रखते थे. एसीबी वैसे अधिकारियों की कुंडली भी खंगाल रही है.
क्या है मामला
एसीबी अधिकारियों के मुताबिक जरेडा और ऊर्जा निगम के टेंडर संबंधी पेपर और उनमे में बरती गई अनियमितता को लेकर निरंजन कुमार से तीन दिन तक बिंदुवार पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान कई सवालों पर निरंजन कुमार खासे परेशान रहे. एसीबी अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक टेंडर की अनियमितता को लेकर कई सारे मामले सामने आए हैं.
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किस तरह की अनियमितता आई सामने
इंडियन पोस्ट एंड पीसी अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के दफ्तर में शुक्रवार को छापेमारी की गई थी. निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने, सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपए का भुगतान करने, सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति के विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा के शर्तों को बदलने का आरोप है. इन सभी बिंदुओं पर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने निरंजन कुमार से पूछताछ की थी. उस दौरान निरंजन कुमार काफी असहज नजर आए और कई सवालों का भी जवाब नहीं दे पाए.
झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है निरंजन
बता दें कि निरंजन कुमार झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है बल्कि आईपीटीएएफएस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को 1 दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए थे. निरंजन कुमार अपने पहुंच के बल पर जेयूएसएनएल और जरेडा के निदेशक बन गए, जबकि इन पदों के लिए उन्होंने कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं की. 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी निरंजन कुमार अपने पद पर बने रहें, जबकि निरंजन कुमार की प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार और डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब तत्कालीन सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.