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रांची: तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा कार्यक्रम का समापन, देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे कवियों ने मोहा मन - 80th birth anniversary of dr ramdayal munda

रांची में डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का आयोजन किया गया था, जिसका रविवार को समापन किया गया. इस कार्यक्रम में भारतवर्ष से कई कवि और लेखक आए थे और झारखंडी साहित्य को विभिन्न भाषाओं में लिख रहे हैं.

डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती
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Published : Aug 25, 2019, 9:51 PM IST

रांची: जिले के डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा कार्यक्रम का रविवार को समापन किया गया. इस जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन में जनजातीय नृत्य, सेल्फ फिल्म और कला का समागम किया गया.

देखें पूरी खबर

वहीं, इस अवसर पर उपस्थित शोध संस्था के निदेशक राणेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर इस शोध संस्थान में प्रत्येक साल कार्यक्रम आयोजित की जाती है, लेकिन इस बार कुछ अलग करने के उद्देश्य से इस समागम का आयोजन किया गया था, जिसमें पूरे भारत से कवि और लेखक आए थे और इनमें से कई झारखंडी साहित्य को विभिन्न भाषाओं में लिख रहे हैं.

ये भी पढ़ें-विलुप्त हो रही आदिवासी भाषाएं! RU में 9 भाषाओं पर 3 शिक्षक पदस्थापित

निदेशक ने बताया कि डॉ रामदेव मुंडा मानव शास्त्री और महान कवि थे. इसके अलावा मुंडा ने झारखंड से जुड़ी कई कविताएं भी लिखी थी उन्हीं की जयंती के मौके पर यह तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उन्होंने बताया कि इस आयोजन पर पूरे देश से कवि एकत्रित हुए और एक दूसरे के भाषाओं का आदान-प्रदान भी किया, साथ ही झारखंड की संस्कृति के बारे में कवियों को भी जानने का मौका मिला.

रांची: जिले के डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा कार्यक्रम का रविवार को समापन किया गया. इस जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन में जनजातीय नृत्य, सेल्फ फिल्म और कला का समागम किया गया.

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वहीं, इस अवसर पर उपस्थित शोध संस्था के निदेशक राणेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर इस शोध संस्थान में प्रत्येक साल कार्यक्रम आयोजित की जाती है, लेकिन इस बार कुछ अलग करने के उद्देश्य से इस समागम का आयोजन किया गया था, जिसमें पूरे भारत से कवि और लेखक आए थे और इनमें से कई झारखंडी साहित्य को विभिन्न भाषाओं में लिख रहे हैं.

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निदेशक ने बताया कि डॉ रामदेव मुंडा मानव शास्त्री और महान कवि थे. इसके अलावा मुंडा ने झारखंड से जुड़ी कई कविताएं भी लिखी थी उन्हीं की जयंती के मौके पर यह तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उन्होंने बताया कि इस आयोजन पर पूरे देश से कवि एकत्रित हुए और एक दूसरे के भाषाओं का आदान-प्रदान भी किया, साथ ही झारखंड की संस्कृति के बारे में कवियों को भी जानने का मौका मिला.

Intro:रांची 
बाइट---राणेंद्र कुमार निदेशक डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान


डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा  की 80वी जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का आज समापन किया गया।जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन जनजातीय नृत्य सेल्फ फिल्म और कला का समागम किया गया था इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आदिवासी साहित्य विकास परंपरा और वैशिष्ट्य आदिवासी पुरखा साहित्य आदिवासी मातृ भाषाओं का साहित्य आदिवासी साहित्य और इतिहास आदिवासी साहित्य और स्त्री जीवन के संघर्ष आदिवासी साहित्य लेखन दशा दिशा वैविध्य और चुनौतियां पर विशेष चर्चा की गईBody:रामदयाल मुंडा शोध संस्था के निदेशक राणेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर प्रत्येक साल कुछ ना कुछ कार्यक्रम इस शोध संस्थान में की जाती है इस बार कुछ अलग करने के उद्देश्य से इस तीन दिवसीय समागम का आयोजन किया गया था जिसमें पूरे भारतवर्ष से आए कवि और लेखक एक दूसरे से मिले जो विभिन्न लैंग्वेज में झारखंडी साहित्य को लिख रहे हैं ।डॉ रामदेव मुंडा मानव शास्त्री और महान कवि थे जिन्होंने झारखंड के साहित्य के बारे में कई कविताएं लिखी है उन्हीं के जयंती के मौके पर यह तीन दिवसीय कार्यक्रम किया गया था जहां पर पूरे देश के कवि एकत्रित हुए जिससे एक दूसरे के भाषाओं का आदान-प्रदान भी किए साथी झारखंड की संस्कृति के बारे में कवियों को भी जानने का मौका मिलाConclusion:
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