ETV Bharat / state

6th JPSC: हाई कोर्ट ने विज्ञापन की शर्तों में बदलाव को किया खारिज, छात्रों ने फैसले का किया स्वागत

author img

By

Published : Oct 21, 2019, 6:11 PM IST

छठी जेपीएससी के तहत 2016 में पीटी परीक्षा का आयोजन किया गया था लेकिन आज तक यह रिजल्ट को लेकर विवाद में है. हालांकि हाई कोर्ट के सोमवार को दिए फैसले का छात्र नेता ने स्वागत किया है.

झारखंड लोक सेवा आयोग

रांची: छठी जेपीएससी के तहत 326 प्रशासनिक पदों को भरने का मामला सोमवार को नए मोड़ पर आ गया है. झारखंड हाई कोर्ट ने पीटी परीक्षा के लिए विज्ञापन की शर्तों में किये गए बदलाव को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले से 28,531 अभ्यर्थियों का भविष्य जहां अधर में लटक गया है. वहीं, छात्र नेता मनोज कुमार यादव ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

देखें वकीलों का क्या कहना है

ये भी पढ़ें: गांव की पगडंडियों से निकलकर सिल्वर स्क्रीन तक पहुंची शीतल, ब्रांड एंबेसडर बन अब मतदाताओं को करेंगी जागरूक

कब क्या हुआ

  • छठी जेपीएससी पीटी परीक्षा वर्ष 2016 में ली गई थी और अप्रैल 2017 में पीटी का रिजल्ट निकाला गया था. इस रिजल्ट के मुताबिक कुल 4823 उम्मीदवारों को उत्तीर्ण किया गया था. लेकिन जेपीएससी की ओर से नियम के मुताबिक, आरक्षित सीटों के 15 गुना संख्या के हिसाब से रिजल्ट जारी किया गया था. रिजल्ट जारी होने से आरक्षण की श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक लाने के बाद भी उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल नहीं किया गया. इसके कारण आरक्षित श्रेणी के बच्चे ज्यादा अंक लाकर भी फेल और अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार कम अंक लाकर भी पास हो गए थे. जेपीएससी के जारी इस रिजल्ट के कारण विवाद हो गया.
  • काफी दिनों तक चले आंदोलन के बाद जेपीएससी ने अपनी इस गलती को सुधारते हुए नवंबर में मेंस के लिए सफल अभ्यर्थियों की नई सूची जारी की. इस सूची के तहत कुल 6103 परीक्षार्थी सफल हुए थे. जेपीएससी के इस कदम के बाद परीक्षार्थियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया. इसके बावजूद भी विवाद नहीं थमा. इस पर जोर-शोर से राजनीति शुरू हो गई. दूसरे गुट ने आंदोलन शुरू करते हुए यह कहा कि रिजर्वेशन कैटेगरी का फायदा देते हुए उन्हें भी कट ऑफ मार्क्स का लाभ देते हुए उत्तीर्ण घोषित किया जाना चाहिए.
  • विवाद को बढ़ता देख रघुवर सरकार ने 2018 में नेतरहाट में हुई कैबिनेट की बैठक में नए सिरे से विज्ञापन निकालकर संशोधित रिजल्ट जारी करने के प्रस्ताव को सहमति दे दी. इस फैसले के बाद एसटी एससी के लिए 23 फीसदी, ओबीसी के लिए 35 फीसदी और जनरल के लिए 40 फीसदी कट ऑफ मार्क्स तय किए गए. इस आधार पर मेंस के लिए 34,634 अभ्यर्थी को सफल घोषित कर दिया गया.
  • सरकार के इस फैसले को नियम के खिलाफ बताते हुए कुछ छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. छात्रों ने कोर्ट से मांग की कि दूसरी बार पीटी का जो संशोधित रिजल्ट जारी हुआ था वह नियम संगत था और उसी के आधार पर चयनित परीक्षार्थियों को मेंस की परीक्षा में शामिल होने देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: रांचीः पुलिस लाइन में मना संस्मरण दिवस, शहीद के परिजनों को किया गया सम्मानित

झारखंड हाई कोर्ट का फैसला
इस बीच 21 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने परीक्षार्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के खिलाफ विज्ञापन में किए गए शर्तों में बदलाव को खारिज कर दिया. लिहाजा अब पीटी के लिए साल 2017 में दूसरी बार जारी संशोधित रिजल्ट वाले परीक्षार्थियों की मैथ्स की कॉपी जांच की जाएगी और सुधार पर ही साक्षात्कार के लिए रिजल्ट निकलेगा.

छात्रों का भविष्य अभी भी अधर में
जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवार ने कहा कि हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि 11.08.2017 को जेपीएससी की ओर से संशोधित रिजल्ट निकाला गया उसी को आधार माना जाए. इसका मतलब यह है कि हाई कोर्ट ने सिर्फ 6,113 अभ्यर्थियों को सफल माना है. वहीं, अभ्यार्थी की ओर से लड़ रहे अधिवक्ता सोभाषिष सोरेन का कहना है कि हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद भी छात्रों का भविष्य अधर में है.

देखें पूरी खबर

सरकार का है दोष
वहीं, इस पूरे मुद्दे पर छात्र नेता मनोज यादव ने ईटीवी से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार की तुष्टिकरण की नीति के कारण ही ऐसी नौबत आई है. अगर सरकार ने नए सिरे से विज्ञापन नहीं निकाला होता तो अब तक छठी जेपीएससी के परीक्षा संपन्न हो गई होती और 326 प्रशासनिक पदाधिकारी पदभार ले लिए होते.

रांची: छठी जेपीएससी के तहत 326 प्रशासनिक पदों को भरने का मामला सोमवार को नए मोड़ पर आ गया है. झारखंड हाई कोर्ट ने पीटी परीक्षा के लिए विज्ञापन की शर्तों में किये गए बदलाव को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले से 28,531 अभ्यर्थियों का भविष्य जहां अधर में लटक गया है. वहीं, छात्र नेता मनोज कुमार यादव ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

देखें वकीलों का क्या कहना है

ये भी पढ़ें: गांव की पगडंडियों से निकलकर सिल्वर स्क्रीन तक पहुंची शीतल, ब्रांड एंबेसडर बन अब मतदाताओं को करेंगी जागरूक

कब क्या हुआ

  • छठी जेपीएससी पीटी परीक्षा वर्ष 2016 में ली गई थी और अप्रैल 2017 में पीटी का रिजल्ट निकाला गया था. इस रिजल्ट के मुताबिक कुल 4823 उम्मीदवारों को उत्तीर्ण किया गया था. लेकिन जेपीएससी की ओर से नियम के मुताबिक, आरक्षित सीटों के 15 गुना संख्या के हिसाब से रिजल्ट जारी किया गया था. रिजल्ट जारी होने से आरक्षण की श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक लाने के बाद भी उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल नहीं किया गया. इसके कारण आरक्षित श्रेणी के बच्चे ज्यादा अंक लाकर भी फेल और अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार कम अंक लाकर भी पास हो गए थे. जेपीएससी के जारी इस रिजल्ट के कारण विवाद हो गया.
  • काफी दिनों तक चले आंदोलन के बाद जेपीएससी ने अपनी इस गलती को सुधारते हुए नवंबर में मेंस के लिए सफल अभ्यर्थियों की नई सूची जारी की. इस सूची के तहत कुल 6103 परीक्षार्थी सफल हुए थे. जेपीएससी के इस कदम के बाद परीक्षार्थियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया. इसके बावजूद भी विवाद नहीं थमा. इस पर जोर-शोर से राजनीति शुरू हो गई. दूसरे गुट ने आंदोलन शुरू करते हुए यह कहा कि रिजर्वेशन कैटेगरी का फायदा देते हुए उन्हें भी कट ऑफ मार्क्स का लाभ देते हुए उत्तीर्ण घोषित किया जाना चाहिए.
  • विवाद को बढ़ता देख रघुवर सरकार ने 2018 में नेतरहाट में हुई कैबिनेट की बैठक में नए सिरे से विज्ञापन निकालकर संशोधित रिजल्ट जारी करने के प्रस्ताव को सहमति दे दी. इस फैसले के बाद एसटी एससी के लिए 23 फीसदी, ओबीसी के लिए 35 फीसदी और जनरल के लिए 40 फीसदी कट ऑफ मार्क्स तय किए गए. इस आधार पर मेंस के लिए 34,634 अभ्यर्थी को सफल घोषित कर दिया गया.
  • सरकार के इस फैसले को नियम के खिलाफ बताते हुए कुछ छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. छात्रों ने कोर्ट से मांग की कि दूसरी बार पीटी का जो संशोधित रिजल्ट जारी हुआ था वह नियम संगत था और उसी के आधार पर चयनित परीक्षार्थियों को मेंस की परीक्षा में शामिल होने देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: रांचीः पुलिस लाइन में मना संस्मरण दिवस, शहीद के परिजनों को किया गया सम्मानित

झारखंड हाई कोर्ट का फैसला
इस बीच 21 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने परीक्षार्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के खिलाफ विज्ञापन में किए गए शर्तों में बदलाव को खारिज कर दिया. लिहाजा अब पीटी के लिए साल 2017 में दूसरी बार जारी संशोधित रिजल्ट वाले परीक्षार्थियों की मैथ्स की कॉपी जांच की जाएगी और सुधार पर ही साक्षात्कार के लिए रिजल्ट निकलेगा.

छात्रों का भविष्य अभी भी अधर में
जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवार ने कहा कि हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि 11.08.2017 को जेपीएससी की ओर से संशोधित रिजल्ट निकाला गया उसी को आधार माना जाए. इसका मतलब यह है कि हाई कोर्ट ने सिर्फ 6,113 अभ्यर्थियों को सफल माना है. वहीं, अभ्यार्थी की ओर से लड़ रहे अधिवक्ता सोभाषिष सोरेन का कहना है कि हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद भी छात्रों का भविष्य अधर में है.

देखें पूरी खबर

सरकार का है दोष
वहीं, इस पूरे मुद्दे पर छात्र नेता मनोज यादव ने ईटीवी से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार की तुष्टिकरण की नीति के कारण ही ऐसी नौबत आई है. अगर सरकार ने नए सिरे से विज्ञापन नहीं निकाला होता तो अब तक छठी जेपीएससी के परीक्षा संपन्न हो गई होती और 326 प्रशासनिक पदाधिकारी पदभार ले लिए होते.

Intro:छठी जेपीएससी मामले में हाईकोर्ट ने सरकार के विज्ञापन की शर्तों में बदलाव को किया खारिज, सुनिये दोनों पक्षों के वकील की दलील:-

छठी जेपीएससी के तहत 326 प्रशासनिक पदों को भरने का मामला मंगलवार को नए मोड़ पर आ गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने पीटी परीक्षा के लिए विज्ञापन की शर्तों में किये गए बदलाव को खारिज कर दिया है।

दरअसल छठी जेपीएससी पीटी परीक्षा वर्ष 2000 में ली गई थी और अप्रैल 2017 में पीटी का रिजल्ट निकाला गया था, लेकिन रिजर्वेशन कोटा के परीक्षार्थियों ने जनरल के कट ऑफ मार्क्स का हवाला देते हुए रिजल्ट पर सवाल खड़े किए थे।


Body:रिजर्वेशन कोटा के छात्रों का कहना था कि जब उन्होंने उम्र सीमा में छूट और अटेम्प्ट में छूट का लाभ नहीं लिया तो फिर जनरल श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स में ज्यादा नंबर आने के बाद भी उन्हें फेल कैसे किया गया।

जेपीएससी ने अपनी इस गलती को स्वीकार करते हुए संशोधित रिजल्ट मेंस के लिए निकाला था, लेकिन इसके बावजूद यह मामला राजनीतिक रंग ले बैठा बाद में बीच का रास्ता निकालने के लिए सरकार ने जेपीएससी को विज्ञापन की शर्तों में बदलाव का निर्देश दिया।

सरकार के इस फैसले के कारण छठी जेपीएससी में 34603 परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए। सरकार के इस फैसले को नियम के खिलाफ बताते हुए परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


Conclusion:हालांकि इस बीच मेंस की परीक्षा भी हो गई अब हाईकोर्ट ने सरकार के विज्ञापन के शर्तों को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया है, लिहाजा अब दूसरी बार पीटी परीक्षा के लिए जारी संशोधित रिजल्ट को ही आधार माना जाएगा और उन्हीं छात्रों की मेंस की कॉपी जांच की जाएगी।

इस मामले में दोनों पक्षों के वकील ने अपनी अपनी बातें रखी है।

बाइट- संजय पिपरवार,अधिवक्ता,हाई कोर्ट,जेपीएससी की ओर से।
बाइट- सोभाषिष सोरेन,अधिवक्ता हाई कोर्ट,अभ्यार्थी की ओर से।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.