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भूमि खरीद से संबंधित 6 साल पुराना मामला सुलझा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई

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Published : Jun 30, 2020, 2:53 AM IST

भूमि खरीद में बड़ी रकम का छह साल पुराना विवाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुलझा दिया गया है. विवाद को सुलझाने में मध्यस्थ एलके गिरि की सराहनीय भूमिका रही.

civil court, ranchi
व्यवहार न्यायालय, रांची

रांची: भूमि खरीद में बड़ी रकम का छह साल पुराना विवाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मध्यस्थता के माध्यम से सुलझा दिया गया है. भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर विकास कुमार चौधरी और राजेश भगत के बीच 28 जनवरी 2014 को एक करारनामा हुआ था. जिसमें राजेश भगत ने जमीन देने के एवज में 32.5 लाख रुपये का भुगतान पाया. एकरारनामा उल्लंघन होने पर विकास कुमार चौधरी ने राजेश भगत के खिलाफ 2018 में धोखाधड़ी, मारपीट, चोरी समेत अन्य आरोप में मुकदमा किया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान राजेश ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की. दाखिल याचिका की सुनवाई प्रधान न्यायायुक्त की अदालत में हुई.

ये भी पढ़ें: छठी JPSC की नियुक्ति पर रोक लगाने के मामले में 5 अगस्त को सुनवाई, अदालत ने जेपीएससी और राज्य सरकार से मांगा जवाब

अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे सुलह-समझौता के लिए मध्यस्थता केंद्र भेज दिया. मध्यस्थता के लिए अधिवक्ता मध्यस्थ एलके गिरि को नामित किया गया. उन्होंने लॉकडाउन से पूर्व चार बैठकें की थी. इसके बाद लॉकडाउन काल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पांच बैठकें हुई, तब जाकर मध्यस्थ के साथ अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी और आरएन चौधरी के सहयोग से विवाद सुलझा लिया गया. सहमति बनी की राजेश भगत द्वारा विकास कुमार चौधरी को कुल 32.5 लाख रुपये का भुगतान किश्तों में किया जाएगा. यह भी सहमति बनी कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए पहली किश्त पांच लाख रुपये पांच जनवरी 2021 को भुगतान की जाएगी. शिकायतकर्ता के बाहर रहने के कारण उनके पिता सुधीर कुमार चौधरी को हस्ताक्षर के लिए अधिकृत किया था. विवाद को सुलझाने में मध्यस्थ एलके गिरि की सराहनीय भूमिका रही.

रांची: भूमि खरीद में बड़ी रकम का छह साल पुराना विवाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मध्यस्थता के माध्यम से सुलझा दिया गया है. भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर विकास कुमार चौधरी और राजेश भगत के बीच 28 जनवरी 2014 को एक करारनामा हुआ था. जिसमें राजेश भगत ने जमीन देने के एवज में 32.5 लाख रुपये का भुगतान पाया. एकरारनामा उल्लंघन होने पर विकास कुमार चौधरी ने राजेश भगत के खिलाफ 2018 में धोखाधड़ी, मारपीट, चोरी समेत अन्य आरोप में मुकदमा किया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान राजेश ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की. दाखिल याचिका की सुनवाई प्रधान न्यायायुक्त की अदालत में हुई.

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अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे सुलह-समझौता के लिए मध्यस्थता केंद्र भेज दिया. मध्यस्थता के लिए अधिवक्ता मध्यस्थ एलके गिरि को नामित किया गया. उन्होंने लॉकडाउन से पूर्व चार बैठकें की थी. इसके बाद लॉकडाउन काल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पांच बैठकें हुई, तब जाकर मध्यस्थ के साथ अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी और आरएन चौधरी के सहयोग से विवाद सुलझा लिया गया. सहमति बनी की राजेश भगत द्वारा विकास कुमार चौधरी को कुल 32.5 लाख रुपये का भुगतान किश्तों में किया जाएगा. यह भी सहमति बनी कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए पहली किश्त पांच लाख रुपये पांच जनवरी 2021 को भुगतान की जाएगी. शिकायतकर्ता के बाहर रहने के कारण उनके पिता सुधीर कुमार चौधरी को हस्ताक्षर के लिए अधिकृत किया था. विवाद को सुलझाने में मध्यस्थ एलके गिरि की सराहनीय भूमिका रही.

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