रांची: जिला के जोन्हा और अनगड़ा क्षेत्र की 30 बच्चियां मानव तस्करी की शिकार हो गई हैं. बाल संरक्षण आयोग की टीम जब पीड़ित परिवारों से मिली तब जाकर इस खौफनाक रहस्य पर से पर्दा उठा है. बाल संरक्षण आयोग की आरती कुजूर ने फोन पर ईटीवी भारत को बताया कि इस इलाके की एक महिला मासूम बच्चियों को मोबिलाइज कर रही थी. उन बच्चियों को सिल्ली में सिलाई की ट्रेनिंग का झांसा दिया गया.
6 अगस्त को भेजा गया गुजरात
बच्चियों ने जब अपने परिवार वालों को बताया तो उन्हें भी लगा कि सिल्ली काफी करीब है इसलिए इसको लेकर कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन सच यह है कि 6 अगस्त को एक विशेष बस से सभी बच्चियों को गुजरात भेज दिया गया. वहां बच्चियों से मछली की ढुलाई और पैकेजिंग कराई जा रही है. बच्चियों से सुबह 6:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक काम कराया जाता है. यानी 12 घंटे तक काम कराया जाता है. इधर, 6 अगस्त के कुछ दिन बाद जब परिजनों को कोई खोज खबर नहीं मिली तब सिल्ली स्थित सिलाई ट्रेनिंग सेंटर से संपर्क किया गया. तब सच्चाई सामने आई.
ज्यादातर बच्चियां 18 साल की हैं
आरती कुजूर ने बताया कि यह कुछ बच्चियों की तबीयत भी खराब हो चुकी है. उन्होंने कहा कि एक स्थानीय महिला दलाल के कारण रांची की 30 गरीब बच्चियां मुसीबत में फंस गई हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चियां 18 साल के आसपास के उम्र की हैं.
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मछली पैकिंग का काम करने को मजबूर
गुजरात में इन बच्चियों से परिजनों की बातचीत होने के बाद पता चला कि इन बच्चियों को 12 घंटे मछली पैकिंग करने का काम गुजरात में लिया जा रहा है. वह इन बच्चियों ने फोन से बताया कि कल बच्चियों की तबीयत भी बहुत खराब हो गई है. बाल संरक्षण आयोग की टीम ने संज्ञान में लेते हुए बताया कि यह दूसरी राज्य का मामला है. वहां के बाल संरक्षण आयोग की टीम से बातचीत कर जल्द से जल्द इन सभी बच्चों को झारखंड लाने का काम किया जाएगा. झारखंड में गरीबी की वजह से स्थानीय दलाल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से कई बार दिल्ली गुजरात मुंबई काम करने के बहाने बाहर भेज देने का काम करती है. जिससे बच्चों की जिंदगी पूरी तरह से फंस जाती है.