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15 साल की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद से शादी करने को स्वतंत्र: झारखंड हाई कोर्ट

एक मामले के सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) के तहत 15 साल या उससे अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद की शादी करने के लिए स्वतंत्र है. (15 year old Muslim girl married of her choice)

15 year Muslim girl married of her choice Jharkhand High Court
15 year Muslim girl married of her choice Jharkhand High Court
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Published : Dec 1, 2022, 3:48 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) के तहत 15 साल या उससे अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की अपने अभिभावकों के हस्तक्षेप के बगैर अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र है (15 year old Muslim girl married of her choice). कोर्ट ने इस लॉ का हवाला देते हुए 15 साल की उम्र की एक लड़की से शादी करने वाले युवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर और क्रिमिनल प्रोसिडिंग रद्द करने का आदेश किया.

ये भी पढ़ें- अमित अग्रवाल की बढ़ सकती है मुश्किलें, झारखंड हाई कोर्ट ने सीबीआई को दिया जांच का आदेश

जमशेदपुर के जुगसलाई की रहने वाली एक 15 वर्षीय लड़की को बहला-फुसलाकर शादी करने का आरोप लगाते हुए उसके पिता ने बिहार के नवादा निवासी एक 24 वर्षीय युवक मो. सोनू के खिलाफ धारा 366ए और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. इस एफआईआर पर क्रिमिनल प्रोसिडिंग को चुनौती देते हुए मो. सोनू ने झारखंड हाई कोर्ट में क्वैशिंग याचिका दायर की थी.

हालांकि याचिका पर सुनवाई के दौरान ही लड़की के पिता ने अदालत में हलफनामा पेश कर कहा था कि अपनी पुत्री के विवाह पर उनका कोई एतराज नहीं है. उनकी बेटी को अल्लाह की मेहरबानी से नेक जोड़ीदार मिला है. उन्होंने गलतफहमी की वजह से मो. सोनू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. सुनवाई के दौरान लड़की के वकील ने भी अदालत में बताया कि दोनों परिवार इस शादी को स्वीकार कर चुके हैं.

सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस एसके द्विवेदी की एकल पीठ ने युवक के खिलाफ दायर एफआईआर और क्रिमिनल प्रोसिडिंग को रद्द करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह साफ है कि मुस्लिम लड़की का विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होता है. लड़की की उम्र लगभग 15 वर्ष है और वह अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह करने को स्वतंत्र है.

इनपुट-आईएएनएस

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) के तहत 15 साल या उससे अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की अपने अभिभावकों के हस्तक्षेप के बगैर अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र है (15 year old Muslim girl married of her choice). कोर्ट ने इस लॉ का हवाला देते हुए 15 साल की उम्र की एक लड़की से शादी करने वाले युवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर और क्रिमिनल प्रोसिडिंग रद्द करने का आदेश किया.

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जमशेदपुर के जुगसलाई की रहने वाली एक 15 वर्षीय लड़की को बहला-फुसलाकर शादी करने का आरोप लगाते हुए उसके पिता ने बिहार के नवादा निवासी एक 24 वर्षीय युवक मो. सोनू के खिलाफ धारा 366ए और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. इस एफआईआर पर क्रिमिनल प्रोसिडिंग को चुनौती देते हुए मो. सोनू ने झारखंड हाई कोर्ट में क्वैशिंग याचिका दायर की थी.

हालांकि याचिका पर सुनवाई के दौरान ही लड़की के पिता ने अदालत में हलफनामा पेश कर कहा था कि अपनी पुत्री के विवाह पर उनका कोई एतराज नहीं है. उनकी बेटी को अल्लाह की मेहरबानी से नेक जोड़ीदार मिला है. उन्होंने गलतफहमी की वजह से मो. सोनू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. सुनवाई के दौरान लड़की के वकील ने भी अदालत में बताया कि दोनों परिवार इस शादी को स्वीकार कर चुके हैं.

सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस एसके द्विवेदी की एकल पीठ ने युवक के खिलाफ दायर एफआईआर और क्रिमिनल प्रोसिडिंग को रद्द करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह साफ है कि मुस्लिम लड़की का विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होता है. लड़की की उम्र लगभग 15 वर्ष है और वह अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह करने को स्वतंत्र है.

इनपुट-आईएएनएस

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