रामगढ़: जिला में अगले कुछ घंटे बाद चुनाव होना है, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. मतदान की प्रक्रिया में कोई खलल ना पड़े इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है. जीत को लेकर हर एक राजनीतिक दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं. दावों के पुल बांधने में मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री भी पीछे नहीं हैं. इसके बीच एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है.
सत्तापक्ष की बात करें तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद पूरे चुनाव की कमान संभालते नजर आ रहे हैं. 4 ब्लॉक वाले इस विधानसभा क्षेत्र में वे 5 जनसभा कर अपने सरकार की उपलब्धियां गिना चुके हैं. मुख्यमंत्री घेरा डालो डेरा डालो के तहत अपनी सभी उपलब्धियां जनता को बता रहे हैं. जिसमें उन्होंने 1932 का खतियान, नौजवानों को रोजगार, सर्वजन पेंशन योजना, किसानों को दी जाने वाली राहत भत्ता, पेंशन का मामला या पुरानी पेंशन का जिक्र किया. इस दौरान वे एनडीए सरकार को जमकर कोस रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री ने बूढ़ा पहाड़ की बात करते हुए कहा कि जहां 40 वर्षों तक कोई नहीं गया हो वहां जाकर लोगों के बीच बैठकर उन्होंने ग्रामीणों को पूरी सुविधा उपलब्ध अगले 6 महीने में कराने के दावा किया है. इस तरह से मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा किए गए कई कार्यों का जिक्र किया और लोगों से यूपीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील की. अब मुख्यमंत्री ने जो दावे किए हैं, वह 60 फीसदी सही है या 40 प्रतिशत यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
अब सवाल उठता है कि यह 60-40 का रेशियो क्या है? दरअसल, बीती रात अपराधियों ने बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के प्रतिनिधि राजकिशोर बाउरी उर्फ बितका की हत्या कर दी. जिसके बाद घटनास्थल पर पहुंचे सरकार में शामिल बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के पिता सह पूर्व विधायक योगेंद्र साव सरकार और अधिकारियों के खिलाफ जमकर बरसे. जब उनका यह गुस्सा फूटा है तो उन्होंने 60-40 के रेशियो का आरोप रामगढ़ जिले के पुलिस पदाधिकारियों पर लगाया है. उन्होंने पुलिस पर अपराधियों से सांठगांठ का आरोप लगाया है. वहीं सरकार पर भ्रष्ट अधिकारियों की पोस्टिंग का भी आरोप खुले तौर पर लगाया गया है. जिस तरह चुनाव के चंद घंटे पहले अपराधियों ने हत्या की वारदात को अंजाम दिया है. ऐसे में लगता है कि कानून व्यवस्था चरमराई हुई है. इस बीच सत्तापक्ष के लोगों की ओर 60-40 के रेशियो का आरोप लगाया जाना कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बीच क्राइम: चुनाव को लेकर सीमाएं सील हो जाती हैं. जगह-जगह जांच शुरू हो जाती है. रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर पूरे जिले में आचार संहिता लागू है. जगह-जगह पर चेक नाका लगाए गए हैं और सभी गाड़ियों की जांच की जा रही है, लेकिन जिस तरह यह वारदात को अंजाम दिया गया है. ऐसे में लगता है कि जिन अधिकारियों को ड्यूटी में लगाया गया है, वह पूरी तरह से निष्क्रिय होकर काम कर रहे हैं. यदि जिले की सीमाएं सील हैं और जगह-जगह जांच चल रही है तो बाइक पर सवार अपराधी पिस्टल लेकर कैसे घूम रहे हैं? चंद रुपये और शराब पकड़ कर वाहवाही बटोरने वाली पुलिस आखिर अपराधियों पर अपनी नकेल क्यों नहीं कस पा रही है? क्या अपराधी पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं या पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है?