रामगढ़: जिले के गोला प्रखंड का एक किसान इन दिनों खूब चर्चा में है. अपनी मेहनत और नई तरकीब की वजह से इस किसान ने झारखंड में पहली बार पीले तरबूज की खेती कर सबको चौंका दिया है. तरबूज के नई किस्म को किसान ने विदेश से बीज मंगवाकर उगाया है. जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है.
लाल के मुकाबले पीले तरबूज ज्यादा रसीला
रामगढ़ के गोला प्रखंड स्थित चोकड़बेड़ा गांव के किसान राजेंद्र बेदिया ने शायद रामगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में पहली बार पीले तरबूज की खेती कर सबको हैरान कर दिया है. इसको लेकर किसान राजेंद्र बेदिया ने बताया कि वह तरबूज की इस किस्म को ताइवान से मंगवाएं हैं. पीले रंग की तरबूज की खेती ज्यादातर ताइवान में होता है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन बीज मंगवाकर 10 डिसमिल खेत में इसकी खेती की है. तरबूज का रंग और आकार लाल तरबूज जैसा ही है, लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदरूनी हिस्सा पूरी तरह पीला होता है. राजेंद्र ने बताया कि लाल तरबूज के मुकाबले यह बेहद मीठा और रसीला है.
टपक विधि का प्रयोग
राजेंद्र बेदिया पेशे से किसान हैं, जिन्होंने पीले तरबूज की खेती की है. उन्होंने पीले तरबूज की खेती के लिए माइक्रो इरीगेशन यानि टपक विधि का प्रयोग किया है. राजेंद्र को उम्मीद है कि अगर सही कीमत मिले, तो वह अच्छी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि अगर सरकार का सहयोग मिलता है तो झारखंड में भी कृषि के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल किया जा सकता है. वे बताते हैं कि इस बार की खेती उन्होंने ट्रायल के तौर पर किया था, लेकिन अगली बार वो पीले तरबूज की खेती बड़े पैमाने पर करेंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह की खेती करने का सोच ऑनलाइन सर्च के दौरान उन्हें मिली और उन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर देकर ताइवान से 800 रुपए में 10 ग्राम बीज मंगवाया था. जिसे 10 डिसमिल खेत में लगाया और खेती भी अच्छी हुई.
जैविक खेती से लाभ ज्यादा
पीले तरबूज की खेती करने वाले राजेंद्र ने बताया कि पीले तरबूज की खेती से वे अभी लाभ-हानि की नहीं सोच रहे हैं. राजेंद्र अभी लोगों को पीला तरबूज खिला रहे हैं, ताकि लोग इसका स्वाद ले सकें. हालांकि अभी इसकी सेल अच्छी है, गांव के लोग भी अब इस फसल को उगाने के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं. पीले तरबूज की खेती करने वाले किसान ने बताया कि वे तरबूज की खेती में किसी तरह के रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किए हैं. यह तरबूज अनमोल हाइब्रिड किस्म का है. इसका रंग बाहर से सामान्य तरबूज की तरह हरा है, लेकिन इसके अंदर का भाग पीला है. लाल तरबूज के मुकाबले यह ज्यादा मीठा और रसीला है. इस तरबूज में पोषक तत्व भी अधिक हैं शुरू से ही बागवानी और खेती-बाड़ी से उनका लगाव रहा है. राजेंद्र ने ढाई एकड़ में आम का बगीचा लगाए हैं, जो पूरी तरह से जैविक है.