रामगढ़: जिले के ब्रम्हर्षि समाज की ओर से जिले के असेसर सिंह धर्मशाला में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 133वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में जिले के पुलिस कप्तान प्रभात कुमार और मुख्य अतिथि कांग्रेस के राजेश ठाकुर थे. किसान आंदोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर सर्वप्रथम स्वामी जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.
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पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती अथक परिश्रमी, वेदांत और मीमांसा के महान विद्वान, बेबाक पत्रकार और लेखक के साथ-साथ संगठित किसान आंदोलन के जनक और संचालक थे. इसके साथ ही उनके लिखे गए पुस्तकों को पढ़ा जाए तो उन्होंने जीवंत बातें लिखी हैं और उन्हें जीवन में अपनाने से काफी कुछ सीखने को मिलेगा.
स्वामी सहजानंद के योगदान
मुख्य अतिथि राजेश ठाकुर ने कहा कि स्वामी जी अभी के किसान नेताओं से उनकी तुलना नहीं की जा सकती है, वह किसानों के हित को सर्वोपरि रखते थे. यही नहीं उन्होंने कई लड़ाईयां भी किसानों के लिए लड़ी. जमीदारी प्रथा को खत्म कराया. इसके साथ ही वह उत्तर प्रदेश के पैतृक जिले गाजीपुर और हजारीबाग जैसे जिलों के जेलों में भी वे रहकर देश की आजादी में भी अपना योगदान दिए हैं.
स्वामी सहजानंद सरस्वती का मानना था कि यदि किसानों, मजदूरों और शोषितों के हाथ में शासन का सूत्र लाना चाहते हैं तो इसके लिए क्रांति आवश्यक है. क्रांति से उनका तात्पर्य व्यवस्था परिवर्तन से था.