रामगढ़: राज्य सरकार के आदेश के बाद आज से सरकारी और प्राइवेट स्कूल 10वीं से 12वीं के छात्रों के लिए तो खोल दिए गए हैं, लेकिन बच्चों के अभिभावकों में अभी कोरोना को लेकर खौफ देखा जा रहा है और वो अपने बच्चों को लेकर किसी तरह की रिस्क नही लेना चाहते हैं.लगभग 9 महीने बाद स्कूलों में एक बार फिर रौनक लौटी.
उनका साफ कहना है जब तक वैक्सीन नही तब तक स्कूल नहीं, वहीं स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि अभिभावकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद ही बच्चों को स्कूल में बुलाया जा रहा है. कोविड-19 के सभी नियमों के पालन कराते हुए पढ़ाई करने की बात कर रहे हैं.
झारखंड के रामगढ़ जिले में सरकारी और निजी स्कूल आज से खुलने के बाद भी स्कूलो में बच्चों की संख्या बहुत कम देखी जा रही है.
स्कूल खोलने के बाद भी अभिभावको में डर बरकरार दिख रहा है अभिभावकों ने कहा कि राज्य सरकार ने स्कूल खोलने का आदेश तो जरूर दे दिए हैं, लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं आती है तब तक हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.
जान है तो जहान हैं. हम बच्चों के साथ किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते जब तक वैक्सीन नहीं आती तब तक बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं है.
जिले के सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल गीतांजलि कुमारी का कहना है कि कोरोना काल में डर है हम बच्चों के अभिवक से कंसल्ट करेंगे कि कैसे गाइडलाइन का पालन करना है साथ ही बच्चों को यह भी बताएंगे इससे ज्यादा डरना नहीं है सावधानी बरतना है.
कम रही छात्रों की मौजूदगी
स्कूल से जो कन्सर्न फार्म अभिभावकों जो दिए गए उसमें 100% में 30% ही फार्म लेकर बच्चे आये हैं और आज पहला दिन है इसलिये 20- 25 बच्चे ही आये हैं. अभिभावक से संपर्क करेंगे बच्चों को गाइडलाइन बताएंगे कि कैसे रहना है और जो हम लोग को ऊपर से गाइडलाइन मिला है उसी के अनुरूप हम लोग चलेंगे.
बच्चे अभी नहीं समझ पा रहे हैं. स्कूल खुला है उनके अंदर उत्साह है स्कूल जाना है बहुत दिनों तक बंद था इस चीज को उनको भी समझाना है. इस मामले में कुजू आरा डीएवी स्कूल के प्रिंसिपल डॉ एके मिश्रा बताते है कि हम लोग बच्चों के अभिभावकों से बच्चों के स्कूल आने के लिये उनसे कन्सर्न फार्म भरवाकर कर ही स्कूल में इंटर करने दे रहे हैं.
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हालांकि सुरक्षा के जो मानक हैं, वे यहां पूरा हो रहे हैं. जो बच्चे आएंगे वह पेरेंट्स के कंसर्न फॉर्मेट दिया गया है उस फॉर्मेट को लेकर पेरेंट्स की सहमति यदि वह दिखलाएंगे बच्चों को खुद अपने मन से भेज रहे हैं.
कुछ पेरेंट्स व्हाट्सएप ग्रुप पर अपनी सहमति दे चुके हैं. स्कूल में बड़े बच्चों के लिए सुरक्षात्मक लेकर जो सोशल डिस्टेंसिंग है सैनिटाइजर है हैंडवाश है यह सारे लेकर के और अपने आप को बचाते हुए वह स्कूल आकर अपने पढ़ाई करते हैं तो इसमें खास कोई विशेष फर्क मुझे नहीं लगता.
राज्य सरकार की आदेश के बाद से आज से स्कूल तो खुल दिए गए है, लेकिन स्कूलों में बच्चे नदारद हैं, क्योंकि कोरोना महामारी बीमारी का अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आया है.
जिले भर के स्कूलों में आज स्कूलों में करीब 30% ही बच्चों की संख्या देखी गई है, जाहिर है ऐसे में बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों की जान के प्रति किसी तरह रिस्क लेने को तैयार नहीं है चाहे पढ़ाई बाधित ही रहे उनका साफ कहना है जान है तो जहान है.