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रामगढ़: लॉकडाउन के कारण देसी फ्रीज की बिक्री पर असर, घर चलाना हो रहा है महंगा

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Published : Apr 26, 2020, 8:32 PM IST

लॉकडाउन को लेकर छोटे हो या बड़े सभी कारोबारी परेशान है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी तो रोज कमाने खाने वाले लोगों को है, जिनके सामने भूखे सोने के अलावा कोई चारा नहीं है. ऐसी ही हालत रामगढ़ में मिट्टी का घड़ा बनाकर बेचने वाले छोटे-मोटे कारोबारियों की है, जिनके पास बेचने के लिए सामान तो है, लेकिन खरीदने वाला ग्राहक नहीं है, जिससे पारिवारिक परिस्थिति बिगड़ रही है.

लॉकडाउन के कारण देसी फ्रीज की बिक्री पर असर
Sale of earthen pot stopped due to lockdown in Ramgarh

रामगढ़: मार्च का महीना खत्म होते ही देसी फ्रीज की डिमांड बढ़ जाती थी. देशी फ्रीज का मतलब तो नहीं समझे होंगे आप. अरे भाई मिट्टी का घड़ा. जिले में कुम्हार पहले से ही इन मिट्टी के बर्तनों को बनाने में लग थे और इसे बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन से इनका पूरा धंधा चौपट हो गया है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसी कारण इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री भी नहीं हो रही है.

देखें स्पेशल खबर

बर्तन खरीदने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं कोई ग्राहक

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके बनाए हुए मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे उनकी स्थिती दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कुम्हारों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि जनवरी से ही वो मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट जाते हैं और गर्मी आते ही इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से एक महीने से उनके बर्तन जस के तस पड़े हुए हैं. कोई ग्राहक इसे खरीदने के लिए नहीं आ रहा है.

ये भी पढ़ें-रांची के हिदपीढ़ी में पुलिस की सख्ती जारी, 38 सीसीटीवी से रखी जा रही निगरानी

लॉकडाउन के कारण धंधा चौपट

कुम्हारों का कहना है कि इस विपरीत परिस्थिति में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. 1 महीने बीतने को हैं कोई भी जनप्रतिनिधि या कोई भी सरकारी कर्मी उनलोगों की पीड़ा जानने नहीं पहुंचा है. इतना ही नहीं उन्हें अपनी कर्ज की भी चिंता सता रही है. मिट्टी के सामानों को बनाने वाले कारीगर से जब ईटीवी की टीम ने बात की तो उन लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे लोग बर्तन बनाने के लिए जनवरी से ही जुड़ जाते हैं और फिर 2 महीने इन सामानों को बेचते हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण पूरा धंधा चौपट हो गया है.

परिवार का भरण-पोषण करने में समस्या

उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से साप्ताहिक बाजारों में मटके नहीं जा रहे हैं और सड़क के किनारे भी ग्राहक खरीदने नहीं आ रहे हैं, जिससे परिवार का भरण-पोषण करने में काफी समस्या हो रही है. सभी मिट्टी के सामान जस के तस पड़े हुए हैं. मिट्टी के बर्तनों को लेकर सड़क के किनारे ग्राहकों की आस लगाए बैठे रहते हैं, ताकि कुछ बिक्री हो जाए और घर का चूल्हा जल सके.

रामगढ़: मार्च का महीना खत्म होते ही देसी फ्रीज की डिमांड बढ़ जाती थी. देशी फ्रीज का मतलब तो नहीं समझे होंगे आप. अरे भाई मिट्टी का घड़ा. जिले में कुम्हार पहले से ही इन मिट्टी के बर्तनों को बनाने में लग थे और इसे बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन से इनका पूरा धंधा चौपट हो गया है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसी कारण इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री भी नहीं हो रही है.

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बर्तन खरीदने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं कोई ग्राहक

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके बनाए हुए मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे उनकी स्थिती दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कुम्हारों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि जनवरी से ही वो मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट जाते हैं और गर्मी आते ही इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से एक महीने से उनके बर्तन जस के तस पड़े हुए हैं. कोई ग्राहक इसे खरीदने के लिए नहीं आ रहा है.

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लॉकडाउन के कारण धंधा चौपट

कुम्हारों का कहना है कि इस विपरीत परिस्थिति में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. 1 महीने बीतने को हैं कोई भी जनप्रतिनिधि या कोई भी सरकारी कर्मी उनलोगों की पीड़ा जानने नहीं पहुंचा है. इतना ही नहीं उन्हें अपनी कर्ज की भी चिंता सता रही है. मिट्टी के सामानों को बनाने वाले कारीगर से जब ईटीवी की टीम ने बात की तो उन लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे लोग बर्तन बनाने के लिए जनवरी से ही जुड़ जाते हैं और फिर 2 महीने इन सामानों को बेचते हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण पूरा धंधा चौपट हो गया है.

परिवार का भरण-पोषण करने में समस्या

उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से साप्ताहिक बाजारों में मटके नहीं जा रहे हैं और सड़क के किनारे भी ग्राहक खरीदने नहीं आ रहे हैं, जिससे परिवार का भरण-पोषण करने में काफी समस्या हो रही है. सभी मिट्टी के सामान जस के तस पड़े हुए हैं. मिट्टी के बर्तनों को लेकर सड़क के किनारे ग्राहकों की आस लगाए बैठे रहते हैं, ताकि कुछ बिक्री हो जाए और घर का चूल्हा जल सके.

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