रामगढ़ः वैश्विक महामारी कोरोना में मैडिकल स्टाफ फ्रंट पर खड़े रहकर लड़ाई कर रहे हैं. ये डॉक्टर जिन्होंने फर्स्ट फेज और सेकंड फेज में भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति सजग हैं, काफी सक्रिय हैं. वो हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों का बेहतर इलाज हो सके. रामगढ़ सिविल सर्जन डॉ. गीता सिन्हा मानकी ने बताया कि कोविड-19 के संक्रमण से कैसे निपटें. पिछले साल और इस बार कोविड-19 के वेरिएंट में क्या फर्क है कैसे इसे हम रोक सकते हैं. अपने भावुक पलों को भी ईटीवी भारत के साथ उन्होंने साझा किया.
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रामगढ़ की सिविल सर्जन डॉ. गीता सिन्हा मानकी ने कोरोना संक्रमण के फर्स्ट पेज 2020 में बहुत कुछ खोया है. दूसरी लहर में खुद संक्रमित भी हुईं, बावजूद इसके दिन-रात मानव सेवा के जज्बे के साथ अपने काम में जुटी हुई हैं. अपनी पूरी टीम के साथ महामारी से लड़ने के लिए कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.
नियम का पालन कर हम कोरोना को हराएंगे
उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में हम लोग तैयार नहीं थे. अचानक संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी लोग अस्पताल की ओर भागने लगे. व्यवस्थाएं इतनी नहीं थी, फिर भी हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के प्रयास से हमने पैनिक स्थिति पर काबू पाने का प्रयास किया, इसमें बहुत सफल भी रहे. कोरोना का अब कम्युनिटी स्प्रेड हो गया है, इसलिए सभी लोगों को सजग रहना चाहिए. बिना बिना काम के घर से बाहर नहीं निकलें. अगर निकलना भी है तो चेहरे को पूरी तरह ढक कर ही निकलना चाहिए. अपने हाथों को बार-बार अच्छे धोना चाहिए और कम से कम 2 गज की दूरी बनानी ही चाहिए, तभी हम इस महामारी को हरा पाएंगे.
टीका का दोनों डोज अवश्य लें
रामगढ़ में आईसीयू ऑक्सीजन समेत लगभग 700 बेड विभिन्न अस्पतालों में बना लिए गए हैं. रामगढ़ में बेड तैयार करने में उपायुक्त की महत्वपूर्ण भूमिका है. अब तक रामगढ़ जिला में 11431 पॉजिटिव केस मिले थे. जिनमें से 8792 कोविड-19 संक्रमित मरीजों को इलाज के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है, जबकि अभी जिला में 2487 एक्टिव केस हैं.
उन्होंने कहा कि अगर कोरोना को लेकर थोड़ा-सा भी लक्षण लगता है तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करवाएं और ए सिम्टम्स वाले लोग होम आइसोलेशन में रहें. किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत होने पर डॉक्टरों के संपर्क में रहें, इलाज में कोई कोताही ना बरतें. उन्होंने कहा कि जो लोग स्वस्थ हैं, वो टीका जरूर लगवाएं जिन्होंने फर्स्ट डोज ले लिया है वो सेकंड डोज जरूर लें. टीका आपके इम्यून पावर को बढ़ाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता जब बढ़ी रहेगी तब बीमारी आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकती है.
असल योद्धा हैं पैरामेडिकल स्टाफ
रामगढ़ सिविल सर्जन डॉ. गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि हम लोगों की उम्र काफी हो गई है. लेकिन हम उन पैरामेडिकल स्टाफ को सैल्यूट करते हैं, जो पीपी किट पहन कर 8-8 घंटे मरीजों के बीच रहकर उनकी सेवा कर रही हैं. यहां तक कि वो अपने घर भी नहीं जा रहे हैं. काम के बाद होटल और 7-7 दिन का शेड्यूल पर एक काम कर रहे हैं. संक्रमित मरीजों के बीच रहकर इस चुनौती को हराने का काम कर रहे हैं. खुद संक्रमित होने पर ठीक होने के बाद वह फिर से अपनी ड्यूटी में लग जा रहे हैं, वो असल योद्धा हैं.
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घातक है दूसरी लहर
दवा से सस्ता इलाज मास्क लगाना, बिना काम के बाहर नहीं निकलना, बार बार साबुन से हाथ धोना, सेनेटाइजर का प्रयोग करना, किसी भी दवाई और परेशानी से सस्ता है. अगर इतने से ही तीसरा अटैक रुक जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा. पहले से दूसरा अटैक थोड़ा घातक है, इसमें लोगों को पता ही नहीं चल रहा है, उन्हें कोरोना है. दूसरी लहर में कैजुअल्टी थोड़ी है. लेकिन अब लोग जागरूक हो गए हैं, लोग जांच भी करवा रहे हैं और इलाज भी.
करोना को भगाना है तो किसी एक का सहयोग नहीं बल्कि सभी का सहयोग चाहिए. सभी मिलजुल कर उसे भगा सकते हैं, एक विशाल योद्धा बनने की जरूरत है हर आदमी, हर आदमी को प्रोटेक्ट करें. अगर कोई मास्क ना लगाया हो तो उसे जरूर टोकें. अगर उसे सर्दी खांसी बुखार है तो जांच और इलाज करवाने की बात कहें. ऐसे ही हम कोरोना को भगाएंगे और इस पर जीत हासिल करेंगे.
रामगढ़ सिविल सर्जन डॉ. गीता सिन्हा मानकी ने बताया कि रामगढ़ में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. हमारे यहां से अगल-बगल के जिलों में भी ऑक्सीजन भेजा जा रहा है. यहां 2 प्लांट है, कई जगहों पर सेंट्रलाइज ऑक्सीजन पाइप लगाया गया है ताकि ऑक्सीजन की कमी किसी को ना हो.
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पति को खाने का सबसे ज्यादा दुख
रामगढ़ सिविल सर्जन डॉ. गीता सिन्हा मानकी ने मार्मिक पलों को साझा करते हुए कहा कि दूसरी लहर में काफी कुछ देखने को मिला बड़े-बड़े योद्धा, कई अधिकारी के साथ-साथ, कई नजदीकी लोगों ने साथ छोड़ दिया. पहली लहर में मेरे पति का साथ छूट गया इससे बड़ा दुख और क्या होगा. अभी के समय में हर पल मार्मिक लगता है, कोई रात को फोन करके बोलता है कि आप ही मेरे नाना को, मेरे पति को, मेरे पिता को, मेरी माता को, मेरी पत्नी को, मेरे बच्चों को बचा सकते हैं, कभी-कभी हम खुद किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाते हैं.