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झारखंड की धरती पर पहली बार रामगढ़ विधानसभा सीट के लिए हुआ था दंगल, 21 साल बाद फिर हो रहा उपचुनाव

साल अलग है, राजनीतिक परिदृश्य भी अलग है. वो 2019 का वर्ष था, आज साल 2023 है. यह तमाम बातें रामगढ़ विधानसभा सीट के लिए हैं. 2019 में महागठबंधन ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा और वह जीत गए. आजसू पार्टी की हार हुई. कयास लगाया जा रहा है कि इस बार उपचुनाव में बीजेपी और आजसू मिलकर चुनाव लड़ेंगे. चुनाव रोचक होगा, परिणाम भी दिलचस्प होने के आसार हैं.

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Published : Jan 18, 2023, 9:22 PM IST

रामगढ़ः विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. इसे 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. रामगढ़ विधानसभा सीट महागठबंधन के लिए तो नाक का सवाल है ही, बीजेपी और आजसू गठबंधन लिए भी अहम है. यह उपचुनाव दोनों बीजेपी-आजसू के गठबंधन की उम्र को भी तय करेगा, कि आखिर इसका भविष्य क्या होगा.

ये भी पढ़ेंः रामगढ़ उपचुनाव की घोषणा, 27 फरवरी को डाले जाएंगे वोट, 2 मार्च को काउंटिंग

बीजेपी-आजसू के लिए महत्वपूर्ण चुनावः रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव कई लहजे में आजसू पार्टी और बीजेपी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू और बीजेपी में गठबंधन ना होने के कारण झारखंड में सरकार गठन से यह दोनों पार्टी कोसों दूर रहे. 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे और राजनीतिक पंडितों का मानना था कि बीजेपी की झारखंड में तभी वापसी होगी, जब बिहार की तर्ज पर यहां आजसू साथ होगी. संभावना यह जताई जा रही है कि दोनों पार्टियां यहां पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़कर अपनी भावी उम्मीदवारी झारखंड में तय करेगी. जीत हार का अंतर यह बताएगा कि झारखंड के अन्य जिलों में अन्य विधानसभा क्षेत्र में राजनीति की स्थिति क्या होगी.

21 साल बाद रामगढ़ में हो रहा है उपचुनावः रामगढ़ विधानसभा सीट पर 21 साल बाद उपचुनाव हो रहा है. 27 फरवरी को रामगढ़ उपचुनाव में मतदान और 2 मार्च को गिनती होगी. इससे पहले साल 2000 में सीपीआई के शब्बीर अहमद कुरेशी उर्फ भेड़ा सिंह के निधन के बाद रामगढ़ विधानसभा सीट खाली हुई थी. फरवरी 2001 में यह झारखंड का पहला उपचुनाव इसी रामगढ़ की धरती पर हुआ था. जिसमें बाबूलाल मरांडी ने भेड़ा सिंह की पत्नी नादरा बेगम को हराकर जीत हासिल की थी.

बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक भविष्य को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाला यह रामगढ़ विधानसभा ही था. यहां के बाद उनके राजनीतिक कद में लगातार वृद्धि हुई. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी रहे, हालांकि बाद में उन्होंने जेवीएम पार्टी बनाई, लेकिन 2022 के उपचुनाव से पहले वह पुनः बीजेपी से जुड़ गए.

क्यों महत्वपूर्ण है आजसू के लिए यह सीटः क्षेत्रीय दलों में झारखंड में आजसू पार्टी ने एक अलग अपनी पहचान बनाई है. सबसे बड़ी बात है कि बिहार झारखंड बंटवारे के बाद आजसू पार्टी लगातार बीजेपी से गठबंधन बनाते हुए सरकार में रही है. इस गठबंधन के दो मुखिया हैं सुदेश महतो और चंद्र प्रकाश चौधरी, जो पार्टी की रीढ़ कहे जाते हैं. इनमें से एक चंद्र प्रकाश चौधरी जिन्होंने पिछले 3 बार लगातार रामगढ़ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से बीजेपी आजसू के गठबंधन से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे.

2019 में आजसू को मिली हारः 2019 में इस विधानसभा सीट से चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी चुनावी मैदान में थी और वह चुनाव हार गई. ऐसे में आजसू पार्टी इसे अपनी प्रतिष्ठा की सीट मान रही है. कुर्मी बहुल इस इलाके से जीत दर्ज कर झारखंड में कुर्मी समुदाय के प्रतिनिधित्व की दावेदारी करने का दावा करेगी. ऐसे में उनके लिए यह जीत राजनीतिक मायने में अहम हो जाती है.

दाव पर है सरकार की साखः वर्तमान समय में कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी गठबंधन की सरकार झारखंड में चल रही है. पुरानी पेंशन नीति नई, 1932 खतियान सहित अन्य नीतियों के साथ-साथ गठबंधन की इस सरकार द्वारा किए गए कार्यों एक तरह से समीक्षा भी होगी. पूर्व की आजसू और बीजेपी की सरकार की अपेक्षा विकास और शांति व्यवस्था के मामले में बेहतर कौन है. ऐसे में चुनाव एक लिटमस टेस्ट की भांति है जो तय करेगा कि राज्य की जनता को वर्तमान गठबंधन सरकार की नीतियां अच्छी लग रही हैं या फिर पूर्व की बीजेपी और आजसू की सरकार की.

2019 विधानसभा चुनाव के आंकड़ेः वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यूपीए गठबंधन (कांग्रेस जेएमएम व आरजेडी ) की उम्मीदवार कांग्रेस की ममता देवी ने 99,944 वोट लाकर जीत दर्ज की थी. दूसरे स्थान पर आजसू पार्टी की उम्मीदवार सुनीता चौधरी ने 71,226 मत प्राप्त किए थे, जबकि तीसरे स्थान पर भाजपा के प्रत्याशी रणंजय कुमार उर्फ कुंटू बाबू ने 31,874 मत प्राप्त किए थे.

रामगढ़ में मौजूदा समीकरणः रामगढ़ विधानसभा सीट का वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन नहीं था, लेकिन, इस बार एनडीए गठबंधन होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा था कि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के ही प्रत्याशी होंगे, लेकिन प्रत्याशी कौन होगा अभी तक तय नहीं है.

रामगढ़ः विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. इसे 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. रामगढ़ विधानसभा सीट महागठबंधन के लिए तो नाक का सवाल है ही, बीजेपी और आजसू गठबंधन लिए भी अहम है. यह उपचुनाव दोनों बीजेपी-आजसू के गठबंधन की उम्र को भी तय करेगा, कि आखिर इसका भविष्य क्या होगा.

ये भी पढ़ेंः रामगढ़ उपचुनाव की घोषणा, 27 फरवरी को डाले जाएंगे वोट, 2 मार्च को काउंटिंग

बीजेपी-आजसू के लिए महत्वपूर्ण चुनावः रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव कई लहजे में आजसू पार्टी और बीजेपी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू और बीजेपी में गठबंधन ना होने के कारण झारखंड में सरकार गठन से यह दोनों पार्टी कोसों दूर रहे. 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे और राजनीतिक पंडितों का मानना था कि बीजेपी की झारखंड में तभी वापसी होगी, जब बिहार की तर्ज पर यहां आजसू साथ होगी. संभावना यह जताई जा रही है कि दोनों पार्टियां यहां पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़कर अपनी भावी उम्मीदवारी झारखंड में तय करेगी. जीत हार का अंतर यह बताएगा कि झारखंड के अन्य जिलों में अन्य विधानसभा क्षेत्र में राजनीति की स्थिति क्या होगी.

21 साल बाद रामगढ़ में हो रहा है उपचुनावः रामगढ़ विधानसभा सीट पर 21 साल बाद उपचुनाव हो रहा है. 27 फरवरी को रामगढ़ उपचुनाव में मतदान और 2 मार्च को गिनती होगी. इससे पहले साल 2000 में सीपीआई के शब्बीर अहमद कुरेशी उर्फ भेड़ा सिंह के निधन के बाद रामगढ़ विधानसभा सीट खाली हुई थी. फरवरी 2001 में यह झारखंड का पहला उपचुनाव इसी रामगढ़ की धरती पर हुआ था. जिसमें बाबूलाल मरांडी ने भेड़ा सिंह की पत्नी नादरा बेगम को हराकर जीत हासिल की थी.

बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक भविष्य को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाला यह रामगढ़ विधानसभा ही था. यहां के बाद उनके राजनीतिक कद में लगातार वृद्धि हुई. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी रहे, हालांकि बाद में उन्होंने जेवीएम पार्टी बनाई, लेकिन 2022 के उपचुनाव से पहले वह पुनः बीजेपी से जुड़ गए.

क्यों महत्वपूर्ण है आजसू के लिए यह सीटः क्षेत्रीय दलों में झारखंड में आजसू पार्टी ने एक अलग अपनी पहचान बनाई है. सबसे बड़ी बात है कि बिहार झारखंड बंटवारे के बाद आजसू पार्टी लगातार बीजेपी से गठबंधन बनाते हुए सरकार में रही है. इस गठबंधन के दो मुखिया हैं सुदेश महतो और चंद्र प्रकाश चौधरी, जो पार्टी की रीढ़ कहे जाते हैं. इनमें से एक चंद्र प्रकाश चौधरी जिन्होंने पिछले 3 बार लगातार रामगढ़ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से बीजेपी आजसू के गठबंधन से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे.

2019 में आजसू को मिली हारः 2019 में इस विधानसभा सीट से चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी चुनावी मैदान में थी और वह चुनाव हार गई. ऐसे में आजसू पार्टी इसे अपनी प्रतिष्ठा की सीट मान रही है. कुर्मी बहुल इस इलाके से जीत दर्ज कर झारखंड में कुर्मी समुदाय के प्रतिनिधित्व की दावेदारी करने का दावा करेगी. ऐसे में उनके लिए यह जीत राजनीतिक मायने में अहम हो जाती है.

दाव पर है सरकार की साखः वर्तमान समय में कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी गठबंधन की सरकार झारखंड में चल रही है. पुरानी पेंशन नीति नई, 1932 खतियान सहित अन्य नीतियों के साथ-साथ गठबंधन की इस सरकार द्वारा किए गए कार्यों एक तरह से समीक्षा भी होगी. पूर्व की आजसू और बीजेपी की सरकार की अपेक्षा विकास और शांति व्यवस्था के मामले में बेहतर कौन है. ऐसे में चुनाव एक लिटमस टेस्ट की भांति है जो तय करेगा कि राज्य की जनता को वर्तमान गठबंधन सरकार की नीतियां अच्छी लग रही हैं या फिर पूर्व की बीजेपी और आजसू की सरकार की.

2019 विधानसभा चुनाव के आंकड़ेः वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यूपीए गठबंधन (कांग्रेस जेएमएम व आरजेडी ) की उम्मीदवार कांग्रेस की ममता देवी ने 99,944 वोट लाकर जीत दर्ज की थी. दूसरे स्थान पर आजसू पार्टी की उम्मीदवार सुनीता चौधरी ने 71,226 मत प्राप्त किए थे, जबकि तीसरे स्थान पर भाजपा के प्रत्याशी रणंजय कुमार उर्फ कुंटू बाबू ने 31,874 मत प्राप्त किए थे.

रामगढ़ में मौजूदा समीकरणः रामगढ़ विधानसभा सीट का वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन नहीं था, लेकिन, इस बार एनडीए गठबंधन होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा था कि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के ही प्रत्याशी होंगे, लेकिन प्रत्याशी कौन होगा अभी तक तय नहीं है.

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