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रामगढ़: कृषि कानून के विरोध में महापंचायत का आयोजन, कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना - Ceremony of honor

रामगढ़ में कृषि कानून के विरोध में महापंचायत सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख और श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की.

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महापंचायत का आयोजन
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Published : Jan 28, 2021, 1:15 AM IST

रामगढ़: कृषि कानून के विरोध में पतरातू लेक रिजॉर्ट के पास एक दिवसीय महापंचायत सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों से इस कानून के विरोध में एक मुट्ठी मिट्टी संग्रह करने की बात कही गई. कार्यक्रम में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, खिजरी विधायक राजेश कश्यप, रामगढ़ विधायक ममता देवी, बरही विधायक अकेला यादव सहित सैकड़ों की संख्या में किसान और स्थानीय लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा गया, साथ ही हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा पर भी कई कटाक्ष किए गए.

कृषि कानून के विरोध में महापंचायत का आयोजन



एक मुट्ठी मिट्टी एक दिवसीय किसान महापंचायत सह सम्मान समारोह का आयोजन युवा राजद के ओर से कराया गया. सभा को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि सिंधु बॉर्डर पर किसानों का अनशन जारी है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. हालांकि लाल किले पर हुई घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कड़ी नींदा की है. कृषि मंत्री ने कहा कि जिसने भी दिल्ली और लाल किले पर इस घटना को अंजाम दिया है, उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गांधी, पटेल, नेहरू, अंबेडकर के देश को उद्योगपतियों का देश बनाने में जुट गई है. उन्होंने कहा कि खूंटी में 28 जनवरी को किसानों को संबोधित किया जाएगा, उसके बाद 29 जनवरी को गोंडा के कारगिल चौक से देवघर के रोहणी शहीद स्थल तक हजारों के ट्रैक्टर की रैली होगी, यह देश तब तक चुप नहीं बैठेगा, जब तक कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता है.

इसे भी पढे़ं: पिछली सरकार के कार्यकाल में रांची में राजस्व अधिकारियों ने नदी बेच दी, जल्द होंगे बड़े खुलासे : वित्त मंत्री

कृषि कानून के विरोध में किया जाएगा आंदोलन
वहीं श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक बीजेपी की सबसे अधिक राज्यों में सरकार है, विभिन्न राज्यों में सरकार किसानों को जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है, उल्टा उद्योगपतियों की सुविधा के लिए किसान विरोधी कानून लाया जा रहा है, इसलिए हमलोगों इसका विरोध कर रहे हैं, इस कानून को पास कराने से पहले सभी राज्यों के विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए थी, तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सड़क से सदन तक विरोध किया जाएगा.

रामगढ़: कृषि कानून के विरोध में पतरातू लेक रिजॉर्ट के पास एक दिवसीय महापंचायत सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों से इस कानून के विरोध में एक मुट्ठी मिट्टी संग्रह करने की बात कही गई. कार्यक्रम में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, खिजरी विधायक राजेश कश्यप, रामगढ़ विधायक ममता देवी, बरही विधायक अकेला यादव सहित सैकड़ों की संख्या में किसान और स्थानीय लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा गया, साथ ही हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा पर भी कई कटाक्ष किए गए.

कृषि कानून के विरोध में महापंचायत का आयोजन



एक मुट्ठी मिट्टी एक दिवसीय किसान महापंचायत सह सम्मान समारोह का आयोजन युवा राजद के ओर से कराया गया. सभा को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि सिंधु बॉर्डर पर किसानों का अनशन जारी है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. हालांकि लाल किले पर हुई घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कड़ी नींदा की है. कृषि मंत्री ने कहा कि जिसने भी दिल्ली और लाल किले पर इस घटना को अंजाम दिया है, उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गांधी, पटेल, नेहरू, अंबेडकर के देश को उद्योगपतियों का देश बनाने में जुट गई है. उन्होंने कहा कि खूंटी में 28 जनवरी को किसानों को संबोधित किया जाएगा, उसके बाद 29 जनवरी को गोंडा के कारगिल चौक से देवघर के रोहणी शहीद स्थल तक हजारों के ट्रैक्टर की रैली होगी, यह देश तब तक चुप नहीं बैठेगा, जब तक कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता है.

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कृषि कानून के विरोध में किया जाएगा आंदोलन
वहीं श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक बीजेपी की सबसे अधिक राज्यों में सरकार है, विभिन्न राज्यों में सरकार किसानों को जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है, उल्टा उद्योगपतियों की सुविधा के लिए किसान विरोधी कानून लाया जा रहा है, इसलिए हमलोगों इसका विरोध कर रहे हैं, इस कानून को पास कराने से पहले सभी राज्यों के विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए थी, तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सड़क से सदन तक विरोध किया जाएगा.

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