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कोरोना का खौफ: श्मशान घाट जाने के लिए मृतक को नहीं मिला 4 कंधा, भाई और मामा ने ठेले पर ढोया शव

रामगढ़ के नावाडीह गांव में एक व्यक्ति की मौत के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग नहीं मिले. जिसके बाद उसके बड़े भाई और मामा ने खुद ही शव को ठेले पर लादकर श्मशान ले जाकर जेसीबी से कब्र खोदवाकर दफनाया.

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Published : Jun 14, 2020, 3:04 AM IST

no one involved in last rites, JCB से कब्र खोदकर किया अंतिम संस्कार
परिजन

रामगढ़: कोरोना वायरस के चलते लोगों में खौफ इस कदर फैला हुआ है कि अब तो किसी की मौत पर कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला रामगढ़ जिले के बरलांगा थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव से सामने आया है, जहां भाई की मौत के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग नहीं मिले तो बड़े भाई और मामा ने खुद ही शव को ठेले पर लादकर श्मशान ले जाकर जेसीबी से कब्र खोदवाकर दफनाया.

देखें पूरी खबर

अंतिम संस्कार में कोई शामिल नहीं हुआ

मृतक के परिजन ने बताया कि जब उसके भाई की लाश को फांसी के फंदे से उतारना था. उस वक्त भी ग्रामीणों ने उसका सहयोग नहीं किया. जब एंबुलेंस आया तो ड्राइवर और चौकीदार के सहयोग से उसने अपनी जितेंद्र की लाश पोस्टमार्टम हाउस ले गया था. पोस्टमार्टम होकर जब शव को घर लाया गया तो श्मशान घाट ले जानेे के लिये गांव के लोगों को काफी मिन्नत किया. यहां तक की कुछ लोगों को कहा कि शव ले जाने की मजदूरी भी देंगे, लेकिन फिर भी कोई सामने नहीं आया. जिसके बाद ठेले पर खटिया रख भाई के शव को खुद और उसके मामा अशोक साव और दशरथ साव ने मिलकर आधा किलोमीटर दूर श्मसान घाट ले गये, जहां पर जेसीबी से 20 मिनट तक खुदाई करवाकर 1500 रुपये भाड़ा देकर जेसीबी मशीन से कब्र में भाई के शव को दफना दिया. यहां तक की गांव के लोगों ने नाई को भी साथ जाने से मना कर दिया था, लेकिन काफी अनुरोध और हाथ-पैर जोड़ने के बाद वह घाट जाने के लिए तैयार हुआ. मृतक युवक के भाई ने कहा कि गांव के लोगों को डर था कि उसका भाई मुंबई से लौटा था इसलिए उसमें कोरोना वायरस हो सकता है. इसलिए अंतिम संस्कार में कोई शामिल नहीं हुआ.

और पढ़ें- DGP के आदेश पर राज्यभर में चल रहा 'ऑपरेशन मास्क', लोगों को किया जा रहा जागरुक

क्या था मामला

नावाडीह गांव के जितेंद्र साव ने शुक्रवार को फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी, जिसके बाद उसके भाई ने भाड़े के एंबुलेंस पर शव को पोस्टमार्टम कराने के ले गए. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया था. मृतक रेड जोन मुंबई से 2 जून को लौटा था. कोरोना वायरस के डर से उसने खुद को एक कमरे में बंद कर क्वॉरेंटाइन में था.

रामगढ़: कोरोना वायरस के चलते लोगों में खौफ इस कदर फैला हुआ है कि अब तो किसी की मौत पर कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला रामगढ़ जिले के बरलांगा थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव से सामने आया है, जहां भाई की मौत के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग नहीं मिले तो बड़े भाई और मामा ने खुद ही शव को ठेले पर लादकर श्मशान ले जाकर जेसीबी से कब्र खोदवाकर दफनाया.

देखें पूरी खबर

अंतिम संस्कार में कोई शामिल नहीं हुआ

मृतक के परिजन ने बताया कि जब उसके भाई की लाश को फांसी के फंदे से उतारना था. उस वक्त भी ग्रामीणों ने उसका सहयोग नहीं किया. जब एंबुलेंस आया तो ड्राइवर और चौकीदार के सहयोग से उसने अपनी जितेंद्र की लाश पोस्टमार्टम हाउस ले गया था. पोस्टमार्टम होकर जब शव को घर लाया गया तो श्मशान घाट ले जानेे के लिये गांव के लोगों को काफी मिन्नत किया. यहां तक की कुछ लोगों को कहा कि शव ले जाने की मजदूरी भी देंगे, लेकिन फिर भी कोई सामने नहीं आया. जिसके बाद ठेले पर खटिया रख भाई के शव को खुद और उसके मामा अशोक साव और दशरथ साव ने मिलकर आधा किलोमीटर दूर श्मसान घाट ले गये, जहां पर जेसीबी से 20 मिनट तक खुदाई करवाकर 1500 रुपये भाड़ा देकर जेसीबी मशीन से कब्र में भाई के शव को दफना दिया. यहां तक की गांव के लोगों ने नाई को भी साथ जाने से मना कर दिया था, लेकिन काफी अनुरोध और हाथ-पैर जोड़ने के बाद वह घाट जाने के लिए तैयार हुआ. मृतक युवक के भाई ने कहा कि गांव के लोगों को डर था कि उसका भाई मुंबई से लौटा था इसलिए उसमें कोरोना वायरस हो सकता है. इसलिए अंतिम संस्कार में कोई शामिल नहीं हुआ.

और पढ़ें- DGP के आदेश पर राज्यभर में चल रहा 'ऑपरेशन मास्क', लोगों को किया जा रहा जागरुक

क्या था मामला

नावाडीह गांव के जितेंद्र साव ने शुक्रवार को फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी, जिसके बाद उसके भाई ने भाड़े के एंबुलेंस पर शव को पोस्टमार्टम कराने के ले गए. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया था. मृतक रेड जोन मुंबई से 2 जून को लौटा था. कोरोना वायरस के डर से उसने खुद को एक कमरे में बंद कर क्वॉरेंटाइन में था.

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