रांचीः मंत्री इरफान अंसारी का विवादों से गहरा नाता रहा है. इस बार सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने की वजह से इरफान चर्चा में हैं. मामला नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने से जुड़ा है. इस मामले में दर्ज आपराधिक मुकदमे को रद्द करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. इस मामले में भाजपा ने मंत्री इरफान अंसारी को नसीहत दी है तो कांग्रेस ने बचाव किया है.
मंत्री इरफान पर भाजपा ने उठाए सवाल
भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह के मुताबिक यह समझ से परे है कि इरफान अंसारी को लोग इतना महत्व देते क्यों हैं. उनका चाल-चलन विधायक और मंत्री वाला नहीं है. अब वे मंत्री बन चुके हैं. भाजपा नेता सीपी सिंह का कहना है कि वह ना सिर्फ अपनी, बल्कि अपनी पार्टी की छवि को भी बर्बाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिला हमेशा पूजनीय होती हैं. फिर भी उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता की पहचान सार्वजनिक की. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
कांग्रेस ने किया मंत्री इरफान का बचाव
वहीं मंत्री इरफान अंसारी के इस मामले में प्रदेश कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है. हालांकि पार्टी ने मंत्री का बचाव भी किया है. कांग्रेस प्रवक्ता सोनल शांति का कहना है कि मंत्री इरफान अंसारी कोस क्लोजर के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन कोर्ट की टिप्पणी के बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली है. अब उनपर पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में केस चलेगा.
उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट का निर्णय मान्य होगा. मंत्री इरफान अंसारी भी कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे. फिलहाल, यह मामला कोर्ट में है. कोर्ट का फैसला आने के बाद ही पार्टी कोई फैसला लेगी. वहीं इरफान अंसारी पर भाजपा की टिप्पणी के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा को अपने बयानों का इतिहास उठाकर देखना चाहिए. अभी हार से भाजपा के लोग निराश और हताश हैं. इसलिए भाजपा वाले कुछ भी बोल रहे हैं. इसपर ध्यान देने की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, क्या है मामला
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी के आचरण पर असंतोष व्यक्त किया था. पीठ ने कहा कि आप हर चीज के लिए प्रचार चाहते हैं, यह केवल प्रचार के लिए था. आपको बता दें कि मंत्री इरफान अंसारी ने पिछले साल सितंबर में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
उन्होंने आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय करने के दुमका अदालत के नवंबर 2022 के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता और उनके समर्थक अक्टूबर 2018 में पीड़िता और उसके परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक अस्पताल गए थे. मंत्री पर आरोप है कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता का नाम और तस्वीर मीडिया के साथ साझा किया था.
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