रामगढ़ः जिले के प्रसिद्ध पतरातू में तीन तरफ से पहाड़ों के बीच डैम की सुंदर वादियों के बीच वहां का जल पूरी तरह शांत और स्थिर होता है. स्थिर और शांत निर्मल जलधारा के बीच पर्यटक नौका विहार करते थे और छोटी नाव के चलने से पानी में कोई विशेष हलचल नहीं होती थी. लेकिन सौंदर्यीकरण के बाद स्पीड मशीन बोट चलने से जल धाराओं में गति पैदा हो जाती है और शांत रखने वाली धाराएं हिलोरे मारने लगती हैं, जो साधारण नाव के लिए खतरनाक है.
साधारण नाव के सवारियों को परेशानी
तेज गति की धाराओं के चलत दूसरी ओर चलने वाली लकड़ी की नाव अचानक हिलने लगती हैं. नाविक को उस समय नाव का संभालना मुश्किल हो जाता है. मोटर बोट के चलने से डैम के पानी में लहर बन जाता है, जिसके कारण छोटी नाव चलाने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यही नहीं नाव में बैठे पर्यटकों की भी सांसे रुक जाती हैं. मशीन बोट चलाने वाले नियमों को ताक पर रखकर जान हथेली में लेकर बिना लाइफजैकेट के ही स्पीड बोट चला रहे हैं. यही नहीं जो कंपनी बोट का संचालन कर रही है, वह छोटे बच्चों को भी काम पर लगा कर रखे हैं. पर्यटन, कला, संस्कृति और खेलकूद विभाग की ओर से पतरातू लेक रिसोर्ट में मशीन बोट के परिचालन किए जाने को लेकर विस्थापित नाव संघ की ओर से विरोध किया गया था. नाविक संघ के लोगों का कहना है कि मशीन बोट से खतरा है.
पिछले दिनों दो हादसे होते-होते टल गए, जिसमें एक नाव में दो छोटे बच्चे भी सवार थे. स्पीड बोट के आ जाने से विस्थापित नाविक संघ के उपर बेरोजगारी का भी खतरा मंडराने लगा है.