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झारखंड नई शराब नीति पर भाजपा ने उठाया सवाल, मंत्री ने कहा-एजेंसी से वसूला जाएगा जुर्माना

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Published : Mar 17, 2023, 2:12 PM IST

झारखंड विधानसभा बजट सत्र 2023 के चल रहे सदन में भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने सरकार की झारखंड नई शराब नीति को लेकर सवाल उठाया और कहा कि गलत नीति के कारण राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ है.

excise policy in jharkhand
excise policy in jharkhand

रांची: झारखंड विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने सरकार की झारखंड नई शराब नीति की वजह से राज्य के खजाने को हुए नुकसान का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी 2023 तक राज्य में शराब बिक्री से 1607 करोड़ प्राप्त हुए हैं ,जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य 2500 करोड़ निर्धारित किया गया था.

ये भी पढ़ेंः Budget Session: राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला! सीबीआई जांच की मांग, सदन में मंत्री ने दिया जवाब

भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य में छत्तीसगढ़ मॉडल के आधार पर नई उत्पाद नीति लाई जा रही थी, तभी इस पर कई विसंगतियां सामने आई थीं. 8 बिंदुओं पर राजस्व पर्षद और अन्य ने आपत्तियां दर्ज की थी. यही नहीं नवंबर 2022 में राज्यपाल ने भी बिल को वापस लौट आते हुए 8 बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरह यहां भी उत्पाद घोटाला हुआ है. इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए.

जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि 2500 करोड़ के टारगेट की तुलना में 1900 का राजस्व हासिल हो चुका है. उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि शेष लक्ष्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. टारगेट पूरा नहीं करने वाली एजेंसी से जुर्माना वसूलने की तैयारी की जा रही है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि 2019-20 में विभाग ने 2009 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया था जो रिकॉर्ड था. इस बार भी उसी दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है. राज्यपाल की आपत्ति दूर की जा रही है.

इसी बीच पूरक के तहत सरयू राय ने पूछा कि क्या यह बात सही है कि सरकार ने लक्ष्य को 2500 करोड़ से घटाकर 2000 करोड़ करने का निर्णय लिया है. इस सवाल पर प्रभारी मंत्री अटक गए. उन्होंने कहा कि लक्ष्य को घटाने से जुड़े निर्णय की जानकारी उनके पास नहीं है. इस पर भानु प्रताप शाही ने कहा कि बेहतर होता कि विधानसभा की समिति बनाकर पूरे मामले की जांच करा ली जाती.

जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि उत्पाद विभाग में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई है अगर तथ्य है तो उसे पेश करें उस आधार पर जांच करा ली जाएगी. प्रभारी मंत्री ने कहा कि भंडारण और संचालन से जुड़े कई सवाल राजस्व पर्षद ने उठाए थे. राजस्व पर्षद के अधिकांश सुझाव को स्वीकार किया गया है.

रांची: झारखंड विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने सरकार की झारखंड नई शराब नीति की वजह से राज्य के खजाने को हुए नुकसान का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी 2023 तक राज्य में शराब बिक्री से 1607 करोड़ प्राप्त हुए हैं ,जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य 2500 करोड़ निर्धारित किया गया था.

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भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य में छत्तीसगढ़ मॉडल के आधार पर नई उत्पाद नीति लाई जा रही थी, तभी इस पर कई विसंगतियां सामने आई थीं. 8 बिंदुओं पर राजस्व पर्षद और अन्य ने आपत्तियां दर्ज की थी. यही नहीं नवंबर 2022 में राज्यपाल ने भी बिल को वापस लौट आते हुए 8 बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरह यहां भी उत्पाद घोटाला हुआ है. इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए.

जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि 2500 करोड़ के टारगेट की तुलना में 1900 का राजस्व हासिल हो चुका है. उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि शेष लक्ष्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. टारगेट पूरा नहीं करने वाली एजेंसी से जुर्माना वसूलने की तैयारी की जा रही है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि 2019-20 में विभाग ने 2009 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया था जो रिकॉर्ड था. इस बार भी उसी दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है. राज्यपाल की आपत्ति दूर की जा रही है.

इसी बीच पूरक के तहत सरयू राय ने पूछा कि क्या यह बात सही है कि सरकार ने लक्ष्य को 2500 करोड़ से घटाकर 2000 करोड़ करने का निर्णय लिया है. इस सवाल पर प्रभारी मंत्री अटक गए. उन्होंने कहा कि लक्ष्य को घटाने से जुड़े निर्णय की जानकारी उनके पास नहीं है. इस पर भानु प्रताप शाही ने कहा कि बेहतर होता कि विधानसभा की समिति बनाकर पूरे मामले की जांच करा ली जाती.

जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि उत्पाद विभाग में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई है अगर तथ्य है तो उसे पेश करें उस आधार पर जांच करा ली जाएगी. प्रभारी मंत्री ने कहा कि भंडारण और संचालन से जुड़े कई सवाल राजस्व पर्षद ने उठाए थे. राजस्व पर्षद के अधिकांश सुझाव को स्वीकार किया गया है.

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