रामगढ़: कोरोना का कहर समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है. खासकर खाना बदोस जीवन जीने वाले बंजारा समाज भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पाबंदियों की वजह से उन पर भुखमरी की नौबत आ गई है. कोरोना महामारी और लॉक डाउन के कारण इन परिवारों का जीवन भी मानो लॉक से हो गया है. कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन बेघर मजदूरों को हो रही है जो रोज कमाने खाने वाले हैं.
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भुखमरी जैसी स्थिति
यदि यही हालात रहे तो इन परिवारों के समक्ष भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. पिछले लॉकडाउन से ही यूपी का एक बंजारा परिवार चितरपुर में फंस सा गया है. पिछले लॉकडाउन में तो सरकारी खिचड़ी से उनका और परिवार का गुजारा हो गया था. मगर इस बार स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह में सरकार की ओर से गरीब परिवारों को खाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से इन बंजारा परिवारों के समक्ष दो जून की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. इन परिवारों का कहना है कि बाहर निकलते हैं, तो बेवजह घर से नहीं निकलने को कहा जाता है. जिसके कारण दाना-पानी बमुश्किल ही नसीब हो पा रहा है.
क्या बोले बीडीओ
वहीं परिवार के बुजुर्गों का कहना है कि बाहर पुलिस का खौफ और अंदर भूख सता रही है. हम लोगों को दवा और वैक्सीन भी मुहैया नहीं हो पा रही है. इस संबंध में चितरपुर बीडीओ उदय कुमार ने कहा कि मामला संज्ञान में लाया गया है. हमने वहां के मुखिया और पंचायत सेवक से रिपोर्ट मांगी है. शीघ्र ही इन परिवारों को हर सुविधा मुहैया कराई जायेगी. बंजारा परिवार भी हमारे समाज का ही एक हिस्सा है. इनका भी सरकारी अनाज में अधिकार है. अधिकारियों को चाहिए कि थोड़ी नजरें इनायत इधर भी दिखाएं, ताकि इनका और छोटे-छोटे बच्चों को कम से कम भर पेट खाना नसीब हो.