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मां छिन्नमस्तिके मंदिर में हर्षोल्लास से हुई आषाढ़ी पूजा, की गई अच्छी उपज की कामना - ashadhi puja celebrated in ramgarh

रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में आषाढ़ी पूजा पूरे धूमधाम से की गई. सदियों से चली आ रही इस परंपरा में मां को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर बेहतर फसल की उपज, समाज की तरक्की कामना की जाती है.

रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में हर्षोल्लास से हुई आषाढ़ी पूजा
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Published : Jul 10, 2019, 1:45 PM IST

रामगढ़: रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक रूप से आषाढ़ी पूजा की गई. इस दौरान विशेष पूजा अर्चना और श्रृंगार का आयोजन हुआ. आषाढ़ी पूजा को लेकर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई.

हिंदू मान्‍यता के अनुसार सालभर में 4 नवरात्र आते हैं. जिसमें, शारदीय और चैत्र नवरात्र के अलावा दो गुप्‍त नवरात्र भी आते हैं. पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में, और दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आता है.

रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में हर्षोल्लास से हुई आषाढ़ी पूजा

पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर परिसर में पूरे समय ढोल-नगाड़ों के साथ शंख और घंटों की धुन गूंजती रही. पूजा-अर्चना के दौरान माता को चढ़ाए गए 56 प्रकार के भोग का प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया गया.

आषाढ़ी पूजा के बारे में मंदिर न्यास समिति के असीम पंडा कहते हैं कि इस पूजा में मां छिन्नमस्तिके से बेहतर फसल की उपज, समाज की तरक्की और लोगों के सुख-शांति की कामना की जाती है.

वहीं, आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है. इसलिए मंदिर परिसर में काफी भीड़ उमड़ी. भीड़ को लेकर मंदिर न्यास समिति और स्थानीय पुलिस प्रशासन ने व्यापक तैयारी की थी. श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध हो कर पूजा अर्चना की.

रामगढ़: रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक रूप से आषाढ़ी पूजा की गई. इस दौरान विशेष पूजा अर्चना और श्रृंगार का आयोजन हुआ. आषाढ़ी पूजा को लेकर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई.

हिंदू मान्‍यता के अनुसार सालभर में 4 नवरात्र आते हैं. जिसमें, शारदीय और चैत्र नवरात्र के अलावा दो गुप्‍त नवरात्र भी आते हैं. पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में, और दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आता है.

रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिके मंदिर में हर्षोल्लास से हुई आषाढ़ी पूजा

पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर परिसर में पूरे समय ढोल-नगाड़ों के साथ शंख और घंटों की धुन गूंजती रही. पूजा-अर्चना के दौरान माता को चढ़ाए गए 56 प्रकार के भोग का प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया गया.

आषाढ़ी पूजा के बारे में मंदिर न्यास समिति के असीम पंडा कहते हैं कि इस पूजा में मां छिन्नमस्तिके से बेहतर फसल की उपज, समाज की तरक्की और लोगों के सुख-शांति की कामना की जाती है.

वहीं, आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है. इसलिए मंदिर परिसर में काफी भीड़ उमड़ी. भीड़ को लेकर मंदिर न्यास समिति और स्थानीय पुलिस प्रशासन ने व्यापक तैयारी की थी. श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध हो कर पूजा अर्चना की.

Intro:रेडी टू एयर खबर के साथ रा विसुअल भी भेज दिए हैं



माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा में पूरे हर्षोल्लास व परंपरिक रूप से आषाढ़ी पूजा की गई। इस दौरान विशेष पूजा अर्चना व श्रृंगार का आयोजन हुआ।आषाढ़ी पूजा को लेकर रजरप्पा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। 



Body:हिंदू मान्‍यता के अनुसार सालभर में 4 नवरात्र आते हैं। मगर शारदीय और चैत्र नवरात्र के अलावा दो गुप्‍त नवरात्र भी आती हैं। पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आती है।


मौके पर माँ भगवती को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर माँ भगवती से आशीर्वाद मांगा।
इस विशेष पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर परिसर में पूरे समय ढोल-नगाड़ों के साथ शंख और घंटों की धुन गूंजती रही। पूजा-अर्चना के दौरान माता को चढ़ाए गए 56 प्रकार के भोग का प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया गया।


आषाढ़ी पूजा के बारे में मंदिर न्यास समिति के असीम पंडा ने बताया की यह पूजा प्रतिवर्ष की जाती है। पूजा कर माँ छिन्मस्तिका से बेहतर फसल की उपज, देश, राज्य व समाज की तरक्की, सुख-शांति की कामना की जाती है। यह परंपरा हमारे पूर्वजों से चला आ रहा है। इससे माँ की कृपा से बारिश अच्छी होती है।


BYTE   पुजारी असीम पंडा
Conclusion:आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है। इसलिए   भीड़ उमड़ी है ।   भीड़ को लेकर छिन्नमस्तिका मंदिर न्यास समिति और स्थानीय पुलिस प्रशासन ने व्यापक तैयारी की थी। श्रद्धालु कतारबद्ध हो पूजा अर्चना किये ।
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