पलामू: एक ऐसा इलाका जहां कई दशकों तक माओवाद का पाठ पढ़ाया जाता रहा, उस इलाके में जनवरी 2023 में एक नई सुबह की शुरुआत हुई. ये इलाका है बूढ़ापहाड़ का. यहां आजादी के बाद पहली बार जनवरी 2023 में गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन हुआ.
बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों का यूनिफाइड कमांड हुआ करता था, इस इलाके से माओवादी झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ में अपना साम्राज्य चलाते थे. जनवरी 2023 में पहली बार सुरक्षाबलों का बूढ़ापहाड़ पर कब्जा हुआ. जिसके बाद इलाके की तस्वीर बदलने लगी. 2023 में पहली बार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बूढ़ापहाड़ पर झंडोत्तोलन हुआ. अब इलाके में माओवाद की जगह भारतीय लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया जा रहा. लोगों को भारतीय संविधान और उनके हक के साथ अधिकार को बताया जा रहा है.
शुरू हुआ बूढापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट: बूढ़ापहाड़ को माओवादियों से मुक्त करवाने के बाद इलाके में करोड़ों की लागत से डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. इससे पहले सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों ने बूढ़ापहाड़ के इलाके में खुद से ही पुल और रोड को तैयार किया था. जवानों ने लातेहार के इलाके में चार पुल और रोड के अलावा गढ़वा के इलाके में दो से अधिक सड़क का निर्माण किया था, इनसे एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग मुख्यधारा से जुड़ गए. यहां माओवादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक चलाया गया. इसी अभियान के क्रम में बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों को फतह हासिल किया.
बूढ़ापहाड़ के 27 गांव में हुआ सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण: बूढ़ापहाड़ के इलाके के लिए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है. इस प्रोजेक्ट के तहत 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि को स्वीकृति प्रदान की गई है. राज्य सरकार ने बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए सीनियर आईएएस को नोडल अधिकारी भी बनाया है. इस इलाके के तस्वीर को बदलने के लिए सरकार ने 27 गांव में सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण करवाया है. इस सर्वेक्षण में 16 गांव लातेहार जबकि 11 गांव गढ़वा जिले में शामिल हैं. इस इलाके में 101 रोड और 46 छोटे बड़े पुल बनाने की योजना तैयार की गयी है. गढ़वा और लातेहार मिलकर यहां करीब 19 हजार 836 लोगों की आबादी है. जिन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है. इलाके में 3908 परिवार हैं जिन में पचासी परिवारों के पास अपनी जमीन नहीं है. यहां करीब 76 प्रतिशत अनुसूचित और आठ प्रतिशत आदिम जनजाति की आबादी है.
ये भी पढ़ें:
स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार बूढ़ापहाड़ पर ध्वजारोहण, ग्रामीणों ने निकाली तिरंगा यात्रा
बूढ़ा पहाड़ से लेकर लोहरदगा सीमा तक में बिखरे नक्सली, बाहरी मदद के भरोसे संगठन