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महिला दिवस 2022: पलामू के नक्सल प्रभावित इलाके में बदलाव की वाहक बन हैं महिलाएं, मानव तस्करी को रोकने और शिक्षा को लेकर समाज में लाईं जागरूकता

पलामू के नक्सल प्रभावित इलाका मनातू पिछले तीन दशकों से नक्सली हिंसा के लिए चर्चित है. लेकिन अब मनातू में सामाजिक बदलाव दिखने लगा है. इस बदलाव में महिलाओं की टीम की बड़ी भूमिका हैं. पढ़ें रिपोर्ट

Naxal affected area of Palamu
महिला दिवस 2022
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Published : Mar 8, 2022, 5:30 AM IST

पलामूः तीन दशकों से मनातू नक्सली हिंसा, मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी के लिए पूरे देश में चर्चित रहा है. लेकिन अब इस इलाके में बड़ा बदलाव दिखने लगा है. इस बदलाव में महिलाओं की बड़ी भूमिका है. झारखंड लाइवलीहुड स्टेट प्रमोशन सोसाइटी के उड़ान प्रोजेक्ट के साथ महिलाओं की टीम इलाके के लोगों को मुख्यधारा में ले जाने में जुटी है.

यह भी पढ़ेंःपलामू में मनातू चक रोड से चार लैंडमाइंस बरामद, विस्फोट कर किया गया नष्ट

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 280 किलोमीटर दूर और प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 70 किलोमीटर दूर मनातू बिहार से सटा है. यह इलाका नक्सली हिंसा, मानव तस्करी, अफीम और ब्राउन शुगर की तस्करी, पोस्ता की खेती के लिए चर्चित है. इसके बावजूज महिलाओं की टीम गांव-गांव और घर घर पहुंचकर शिक्षा की अलख जला रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी


झारखंड लाइवलीहुड स्टेट प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के उड़ान प्रोजेक्ट के माध्यम से मनातू के अति नक्सल प्रभावित चिड़ी, डुमरी, गौरवाटांड़, जसपुर, उरुर, दलदलिया, साहद, नागद आदि इलाके में कई बदलाव हुए हैं. इन इलाकों में महिलाओं की टीम घर घर पहुंचती हैं लोगों को जागरूक कर रही हैं. इन गांवों के बच्चों को स्कूल भेजने के साथ साथ पीटीजी पाठशाला संचालित की जा रही है. इस पाठशाला में इलाके के 500 से अधिक बच्चे शिक्षित हो रहे हैं. इतना ही नहीं, चिड़ी, गौरवाटांड़ जैसे गांव की महिलाएं शराब को छोड़ने के साथ साथ मानव तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. स्थिति यह है कि मानव तस्करी के शिकार हुए आधा दर्जन से अधिक बच्चे और बच्चियों की घर वापसी हो चुकी है.


यह भी पढ़ेंःमनातू थाना प्रभारी की गाड़ी पर ग्रामीणों का हमला, बंधक बनाने की कोशिश

जेएसएलपीएस के सखियां नक्सल इलाकों में कई दिनों तक कैंप की. इस कैंप की वजह से गांव की सैकड़ों महिलाएं शराब को छोड़ चुकी हैं. उड़ान प्रोजेक्ट के कोऑर्डिनेटर कुमारी नम्रता कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव हुआ है. गांव में जाने के बाद महिलाएं बात तक नहीं करती थी. लेकिन अब बेधड़क बात करती हैं. उन्होंने कहा कि 11 गांव के लिए पाठशाला बनाया, जहां कोरोना काल में इन गांवों के बच्चे पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई. इसके साथ ही एक दर्जन से अधिक सखी मंडल बनाई हैं. जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि मनातू के कई इलाकों में सखी मंडल बेहतर काम कर रही हैं.

मनातू के साथ साथ तीन अन्य इलाकों में भी इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. उप विकास आयुक्त मेघा भारद्वाज कहती हैं कि उड़ान प्रोजेक्ट के माध्यम से इलाके में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. इसके साथ ही सामाजिक बदलाव आने की पहल की जा रही है. उन्होंने कहा कि सखी मंडल के माध्यम से महिलाओं को स्वालंबन के लिए जागरूक किया गया है.

पलामूः तीन दशकों से मनातू नक्सली हिंसा, मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी के लिए पूरे देश में चर्चित रहा है. लेकिन अब इस इलाके में बड़ा बदलाव दिखने लगा है. इस बदलाव में महिलाओं की बड़ी भूमिका है. झारखंड लाइवलीहुड स्टेट प्रमोशन सोसाइटी के उड़ान प्रोजेक्ट के साथ महिलाओं की टीम इलाके के लोगों को मुख्यधारा में ले जाने में जुटी है.

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झारखंड की राजधानी रांची से करीब 280 किलोमीटर दूर और प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 70 किलोमीटर दूर मनातू बिहार से सटा है. यह इलाका नक्सली हिंसा, मानव तस्करी, अफीम और ब्राउन शुगर की तस्करी, पोस्ता की खेती के लिए चर्चित है. इसके बावजूज महिलाओं की टीम गांव-गांव और घर घर पहुंचकर शिक्षा की अलख जला रही है.

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झारखंड लाइवलीहुड स्टेट प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के उड़ान प्रोजेक्ट के माध्यम से मनातू के अति नक्सल प्रभावित चिड़ी, डुमरी, गौरवाटांड़, जसपुर, उरुर, दलदलिया, साहद, नागद आदि इलाके में कई बदलाव हुए हैं. इन इलाकों में महिलाओं की टीम घर घर पहुंचती हैं लोगों को जागरूक कर रही हैं. इन गांवों के बच्चों को स्कूल भेजने के साथ साथ पीटीजी पाठशाला संचालित की जा रही है. इस पाठशाला में इलाके के 500 से अधिक बच्चे शिक्षित हो रहे हैं. इतना ही नहीं, चिड़ी, गौरवाटांड़ जैसे गांव की महिलाएं शराब को छोड़ने के साथ साथ मानव तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. स्थिति यह है कि मानव तस्करी के शिकार हुए आधा दर्जन से अधिक बच्चे और बच्चियों की घर वापसी हो चुकी है.


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जेएसएलपीएस के सखियां नक्सल इलाकों में कई दिनों तक कैंप की. इस कैंप की वजह से गांव की सैकड़ों महिलाएं शराब को छोड़ चुकी हैं. उड़ान प्रोजेक्ट के कोऑर्डिनेटर कुमारी नम्रता कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव हुआ है. गांव में जाने के बाद महिलाएं बात तक नहीं करती थी. लेकिन अब बेधड़क बात करती हैं. उन्होंने कहा कि 11 गांव के लिए पाठशाला बनाया, जहां कोरोना काल में इन गांवों के बच्चे पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई. इसके साथ ही एक दर्जन से अधिक सखी मंडल बनाई हैं. जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि मनातू के कई इलाकों में सखी मंडल बेहतर काम कर रही हैं.

मनातू के साथ साथ तीन अन्य इलाकों में भी इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. उप विकास आयुक्त मेघा भारद्वाज कहती हैं कि उड़ान प्रोजेक्ट के माध्यम से इलाके में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. इसके साथ ही सामाजिक बदलाव आने की पहल की जा रही है. उन्होंने कहा कि सखी मंडल के माध्यम से महिलाओं को स्वालंबन के लिए जागरूक किया गया है.

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