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पलामू: भारत छोड़ो आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई श्रद्धांजलि, पौधे भी लगाए गए

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Published : Aug 9, 2020, 4:58 PM IST

पलामू में अगस्त क्रांति दिवस की याद में आयोजित कार्यक्रम का उदघाटन कौशल किशोर जायसवाल ने कपूर का पौधा लगाकर किया. इस दौरान भारत छोड़ो आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों को विनम्र श्रद्धांजलि दी गई.

Tribute paid to freedom fighters in Palamu
पलामू में स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई श्रद्धांजलि

पलामू: जिले के छतरपुर अनुमंडल के ग्राम पंचायत डाली बाजार के कौशल नगर परिसर में क्रांति दिवस की याद में आयोजित कार्यक्रम का उदघाटन बतौर मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म और वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने कपूर का पौधा लगाकर किया. उन्होंने राष्ट्रीय गान और पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ उपस्थित लोगों को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों की शपथ दिलाई.

पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने भारत छोड़ो आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के महान वीर सपूतों ने अपनी जान की आहुति देकर मानव जैसे शत्रु अंग्रेज से देश को आजादी दिला दी, लेकिन देश के लोगों को प्रदूषण जैसी शत्रु से आजादी दिलाना अभी बाकी है. वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल किशोर ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत लोगों का शोषण करता था, लेकिन प्रदूषण जैसे शत्रु ने धरती और ब्राह्मण के 84 लाख योनि जीवों के साथ-साथ सभी सजीव- निर्जीव को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. पर्यावरणविद कौशल ने कहा कि इस प्रदूषण से आजादी दिलाने के लिए कोई शस्त्र या मिसाइल उठाने की आवश्यकता नहीं है.

ये भी पढ़ें: आदिवासी समाज में बेटियां नहीं होती बोझ, पुरुषों के बराबर मिलता है सम्मान

दुनिया के सभी उम्र के लोगों को पौधा रूपी मिसाइल धरती मां के नाम समर्पित करने की आवश्यकता है. इससे एक स्वच्छ युग का निर्माण होगा. संस्था के राष्ट्रीय प्रधान सचिव पूनम जायसवाल ने कहा कि लोग पौधा लगाकर अपने बच्चे की तरह देखभाल करें तभी हम प्रदूषण जैसी शत्रु से दूसरी आजादी जीत सकेंगे. वहीं, अध्यक्षता कर रहे ग्राम पंचायत डाली बाजार के मुखिया अमित कुमार जायसवाल ने कहा कि कोरोना काल में लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना न भूलें. उन्होंने लोगों से बेवजह नहीं घूमने की अपील की ताकि करोना से आजादी लेना बाकी है. कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के राष्ट्रीय सचिव अरविंद कुमार उर्फ निकू ने कहा कि संस्था का अधिवेशन कोरोना से शांति मिलने के बाद किया जाएगा. उसी क्रम में समाज सेवा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को संस्था में जोड़ा भी जाएगा. कार्यक्रम में मुख्य रूप से पर्यावरणविद के परिवार लोग उपस्थित थे.

क्या है भारत छोड़ो आंदोलन

बता दें कि भारत छोड़ो आंदोलन को 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है. इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्‍य को समाप्त करना था. यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काकोरी कांड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त, 1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ था. यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था. क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया. 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय कांगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था. हालांकि गांधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे.

पलामू: जिले के छतरपुर अनुमंडल के ग्राम पंचायत डाली बाजार के कौशल नगर परिसर में क्रांति दिवस की याद में आयोजित कार्यक्रम का उदघाटन बतौर मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म और वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने कपूर का पौधा लगाकर किया. उन्होंने राष्ट्रीय गान और पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ उपस्थित लोगों को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों की शपथ दिलाई.

पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने भारत छोड़ो आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के महान वीर सपूतों ने अपनी जान की आहुति देकर मानव जैसे शत्रु अंग्रेज से देश को आजादी दिला दी, लेकिन देश के लोगों को प्रदूषण जैसी शत्रु से आजादी दिलाना अभी बाकी है. वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल किशोर ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत लोगों का शोषण करता था, लेकिन प्रदूषण जैसे शत्रु ने धरती और ब्राह्मण के 84 लाख योनि जीवों के साथ-साथ सभी सजीव- निर्जीव को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. पर्यावरणविद कौशल ने कहा कि इस प्रदूषण से आजादी दिलाने के लिए कोई शस्त्र या मिसाइल उठाने की आवश्यकता नहीं है.

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दुनिया के सभी उम्र के लोगों को पौधा रूपी मिसाइल धरती मां के नाम समर्पित करने की आवश्यकता है. इससे एक स्वच्छ युग का निर्माण होगा. संस्था के राष्ट्रीय प्रधान सचिव पूनम जायसवाल ने कहा कि लोग पौधा लगाकर अपने बच्चे की तरह देखभाल करें तभी हम प्रदूषण जैसी शत्रु से दूसरी आजादी जीत सकेंगे. वहीं, अध्यक्षता कर रहे ग्राम पंचायत डाली बाजार के मुखिया अमित कुमार जायसवाल ने कहा कि कोरोना काल में लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना न भूलें. उन्होंने लोगों से बेवजह नहीं घूमने की अपील की ताकि करोना से आजादी लेना बाकी है. कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के राष्ट्रीय सचिव अरविंद कुमार उर्फ निकू ने कहा कि संस्था का अधिवेशन कोरोना से शांति मिलने के बाद किया जाएगा. उसी क्रम में समाज सेवा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को संस्था में जोड़ा भी जाएगा. कार्यक्रम में मुख्य रूप से पर्यावरणविद के परिवार लोग उपस्थित थे.

क्या है भारत छोड़ो आंदोलन

बता दें कि भारत छोड़ो आंदोलन को 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है. इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्‍य को समाप्त करना था. यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काकोरी कांड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त, 1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ था. यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था. क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया. 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय कांगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था. हालांकि गांधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे.

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