ETV Bharat / state

टोला निगरानी समिति से बदली पलामू के मनातू की तस्वीर, नक्सल विचारधारा छोड़ विकास में सहभागी बन रहे ग्रामीण - center of human trafficking

पलामू में टोला निगरानी समिति के गठन के बाद बदलाव की बयार बह रही है. ग्रामीणों के सहयोग से ये समिति लोगों को मानव तस्करी और पोस्ता की खेती के खिलाफ जागरूक कर रही है. टोला निगरानी समिति के प्रयासों का ही परिणाम है कि विकास योजनाओं में ग्रामीणों की सहभागिता बढ़ी है.

tola-monitoring-committee
टोला मॉनिटरिंग कमेटी
author img

By

Published : Jun 13, 2022, 2:37 PM IST

पलामू: जिले के नक्सली इलाके में ग्रामीणों के आपसी सहयोग और उनके आत्मबल के कारण बदलाव की बयार बह रही है. उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में टोला निगरानी समिति का गठन किया गया. जिसके माध्यम से नक्सली हथियार को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. पलामू के मनातू के इलाके में ऐसे 14 निगरानी समिति का गठन किया गया है जो ग्रामीणों की एक एक गतिविधि पर नजर रखती है. यह समिति महीने में एक बार बैठक कर लोगों को विकास योजनाओं की जानकारी भी देती है. 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति इस समिति का सदस्य हो सकता है.

ये भी पढ़ें:- पलामू में खून की कमी से जूझ रहे हैं थैलेसीमिया के 114 मरीज, ब्लड बैंकों के पास नहीं है पर्याप्त स्टॉक

मानव तस्करी के खिलाफ बढ़ी जागरूकता: पलामू का मनातू पोस्ता की खेती और मानव तस्करी का बड़ा केंद्र रहा है. 2016 से 2020 तक मनातू के इलाके में पोस्ता की खेती के 400 से अधिक मामले सामने आए थे. 2020 के बाद से अब तक या आंकड़ा घटकर दर्जनों में सिमट गया. वहीं मनातू मानव तस्करी का बड़ा केंद्र माना जाता था. लेकिन अब इसकी शिकायतें कम मिल रही है. मनातू के ग्रामीण अनिल ने बताया कि निगरानी समिति के लोग ग्रामीणों के साथ बैठक कर लोगों की एक एक गतिविधि की चर्चा करते हैं. उनका लक्ष्य है कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोग जागरूक हो और गांव में विकास योजनाएं धरातल पर उतरे.

देखें पूरी खबर


टोला निगरानी समिति की मॉनिटरिंग: प्रशासनिक स्तर पर टोला निगरानी समिति की मॉनिटरिंग की जाती है. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के उड़ान प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कुमारी नम्रता ने बताया कि कड़ी मेहनत के बाद इलाके में टोला निगरानी समिति का गठन किया गया है. जिससे ग्रामीणों में बड़ा बदलाव हुआ है और वे जागरूक हुए हैं. टोला निगरानी समिति के प्रयासों का ही परिणाम है कि जिले के विकास योजनाओं में ग्रामीणों की सहभागिता बढ़ी है.

पलामू: जिले के नक्सली इलाके में ग्रामीणों के आपसी सहयोग और उनके आत्मबल के कारण बदलाव की बयार बह रही है. उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में टोला निगरानी समिति का गठन किया गया. जिसके माध्यम से नक्सली हथियार को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. पलामू के मनातू के इलाके में ऐसे 14 निगरानी समिति का गठन किया गया है जो ग्रामीणों की एक एक गतिविधि पर नजर रखती है. यह समिति महीने में एक बार बैठक कर लोगों को विकास योजनाओं की जानकारी भी देती है. 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति इस समिति का सदस्य हो सकता है.

ये भी पढ़ें:- पलामू में खून की कमी से जूझ रहे हैं थैलेसीमिया के 114 मरीज, ब्लड बैंकों के पास नहीं है पर्याप्त स्टॉक

मानव तस्करी के खिलाफ बढ़ी जागरूकता: पलामू का मनातू पोस्ता की खेती और मानव तस्करी का बड़ा केंद्र रहा है. 2016 से 2020 तक मनातू के इलाके में पोस्ता की खेती के 400 से अधिक मामले सामने आए थे. 2020 के बाद से अब तक या आंकड़ा घटकर दर्जनों में सिमट गया. वहीं मनातू मानव तस्करी का बड़ा केंद्र माना जाता था. लेकिन अब इसकी शिकायतें कम मिल रही है. मनातू के ग्रामीण अनिल ने बताया कि निगरानी समिति के लोग ग्रामीणों के साथ बैठक कर लोगों की एक एक गतिविधि की चर्चा करते हैं. उनका लक्ष्य है कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोग जागरूक हो और गांव में विकास योजनाएं धरातल पर उतरे.

देखें पूरी खबर


टोला निगरानी समिति की मॉनिटरिंग: प्रशासनिक स्तर पर टोला निगरानी समिति की मॉनिटरिंग की जाती है. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के उड़ान प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कुमारी नम्रता ने बताया कि कड़ी मेहनत के बाद इलाके में टोला निगरानी समिति का गठन किया गया है. जिससे ग्रामीणों में बड़ा बदलाव हुआ है और वे जागरूक हुए हैं. टोला निगरानी समिति के प्रयासों का ही परिणाम है कि जिले के विकास योजनाओं में ग्रामीणों की सहभागिता बढ़ी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.