पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने हाल में ही बाघों की गिनती से संबंधित आंकड़ों को जारी किया है. इस रिपोर्ट में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में एक बाघ को बताया गया. लेकिन यह बाघ कहां है, किसी के पास कोई जानकारी नहीं है. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में पिछले चार महीने से बाघ नहीं देखा गया है. हालांकि बाघ को खोजने के लिए 300 से अधिक वनकर्मी लगाए गए हैं.
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18 मार्च को पलामू टाइगर रिजर्व के कुटकु रेंज में बाघ की तस्वीर और वीडियो कैद हुई थी. उसके बाद से पीटीआर के इलाके में कोई भी बाघ का वीडियो या तस्वीर निकल कर सामने नहीं आया. दरअसल, यह बाघ मध्यप्रदेश के इलाके से पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में दाखिल हुआ था. नवंबर 2022 से 22 मार्च 2023 तक देश भर में बाघों की गिनती हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में जिस बाघ के मौजूद होने की बात कही जा रही है, उसका स्कैट जनवरी फरवरी के महीने में लिया गया था. यह स्कैट पलामू टाइगर रिजर्व के बारेसाढ़ और गारु के इलाके से लिए गए थे.
तलाश में 300 से अधिक कर्मी, 500 से अधिक है कैमरा: पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघ की तलाश में 300 से भी अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है. पीटीआर का हिस्सा कोर और बफर एरिया में बंटा हुआ है. दोनों में 150-150 ट्रैकर की तैनाती की गई है, इसके अलावा एक-एक दर्जन से अधिक वनरक्षी भी तैनात हैं. दोनों एरिया में बाघों पर निगरानी के लिए डीएफओ रैंक के अधिकारी तैनात किए गए हैं. बाघ की तलाश में विभिन्न इलाकों में 500 से अधिक ट्रैपिंग कैमरा लगाए गए हैं. बाघ की तलाश के लिए हर रेंज में अलग-अलग टीम बनाई गई है. मार्च के अंतिम सप्ताह से ही बाघ की खोज के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन बाघ की जानकारी नहीं मिल पा रही है.
कैसे होती है बाघों की गिनती और कैसे रखी जाती है निगरानी: बाघों की गिनती के तकनीक के साथ साथ अन्य तरीकों का भी सहारा लिया जाता है. बाघों की गिनती पग मार्क (पदचिन्ह), स्कैट, शिकार, कैमरा ट्रैप आदि से पहले बाघों को चिन्हित किया जाता है. उसके बाद सभी के सैम्पल को वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून में भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद बाघ की पुष्टि होती है. कई मामलों में स्कैट का डीएनए टेस्ट भी होता है. बाघों की निगरानी के लिए अलग अलग टीम होती है, जिस इलाके में बाघ के मौजूद होने की जानकारी मिलती है, वहां ट्रैपिंग कैमरा लगाए जाते हैं.
1129 वर्ग किलोमीटर में फैला पीटीआर: पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्गकिलोमीटर में फैला हुआ था. 70 के दशक में एक साथ देश में नौ टाइगर रिजर्व बनाए गए थे. जिसमें पलामू टाइगर रिजर्व भी एक है. 70 के दशक में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की संख्या 50 बताई गई थी. 2010 के आसपास बाघों की संख्या 18 बताई गई थी. 2018 में हुई गिनती के दौरान पीटीआर में एक भी बाघ के मौजूद होने के सबूत नहीं मिले.
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बाघों के लिए बनाया जा रहा है माहौल: कभी बाघों से गुलजार रहने वाले पलामू टाइगर रिजर्व में अब बाघ को खोजा जा रहा है. इलाके में बाघ विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि एनटीसीए की रिपोर्ट में पीटीआर में एक बाघ की पुष्टि हुई है, इलाके में बाघ मौजूद रहे इसके लिए माहौल को तैयार किया जा रहा है और कई बिंदुओं पर पहल की जा रही है. बाघों की खोज और निगरानी के लिए अलग-अलग टीमें भी बनाई गई है.