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परता लघु नहर का निर्माण 18 वर्षों के बाद भी अधर में, 1.35 करोड़ रुपये अबतक हो चुके हैं खर्च - ईटीवी झारखंड न्यूज

उत्तर कोयल नहर से निकलने वाली पानी को क्षेत्र की जनता तक सिंचाई की सुविधाओं के लिए 21 आरडी से परता लघु नहर का निर्माण कराया जाना था, इस नहर के निर्माण के लिए 3 बार टेंडर निकाले गए, लेकिन अबतक नहर का निर्माण नहीं हो सका.

परता लघु नहर का निर्माण नहीं हुआ पूरा
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Published : Jul 28, 2019, 1:00 PM IST

पलामू: जिले का उत्तर कोयल नहर जो कि एक मुख्य नहर भी है. नहर का पानी झारखंड से बिहार की ओर जाती है. कोयल नहर के 21 आरडी से परता लघु नहर का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए अबतक 1 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन 18 वर्षों में अबतक सिर्फ1500 फिट ही इस नहर का निर्माण कार्य हो सका है.

देखें पूरी खबर


आंकड़े के अनुसार वर्ष 2000 में हुसैनाबाद की जनता ने संजय कुमार सिंह यादव को विधायक चुना. उन्होंने 2001 में परता लघु नहर के निर्माण की आधारशिला रखी थी, जिससे किसानों को लगा अब उन्हें सुखाड़ से मुक्ति मिल जाएगी. नहर के निर्माण के लिए 20 लाख रुपये की निविदा भी निकाली गई. इसके ठेकेदार को इसका टेंडर भी दे दिया गया और निर्माण कार्य के लिए पैसा भी निकाला गया, लेकिन नहर का निर्माण नहीं हो सका.

इसे भी पढ़ें:- स्कूल बस की टक्कर से जैप जवान की पत्नी की मौत, लोगों ने किया रोड जाम

2005 में कमलेश कुमार सिंह हुसैनाबाद के नए विधायक चुने गए और वो सरकार में सिंचाई मंत्री भी बने. कमलेश कुमार ने फिर परता लघु नहर के निर्माण का शिलान्यास किया, पूरी प्रक्रिया फिर से हुई. नहर के निर्माण के लिए 45 लाख रुपये का टेंडर भी दिया गया लेकिन जनता को फिर से धोखा ही मिला.

जनता ने 2009 में संजय कुमार सिंह यादव को विधायक बनाया. उन्होंने जीत के बाद परता लघु नहर की निविदा निकलवाई. इस बार नहर निर्माण का टेंडर 70 लाख तक पहुंच गया, ठेकेदारों ने नहर का निर्माण 2011 में सिर्फ1500 फिट करवा दिया और टेंडर के सारे पैसे निकाल लिए.

वर्तमान विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी नहर को बनवाने का जनता से वादा जरूर किया था, लेकिन अबतक उन्होंने उस नहर को देखा तक नहीं है. किसानों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और ठेकेदारों ने मिलकर परता लघु नहर को लूट का अड्डा बना दिया है. उन्होंने कहा कि परता लघु नहर का निर्माण हो जाने से तीन पंचायत रामबांध, परता और पंसा के किसानों की 5000 एकड़ भूमि सिंचित हो सकती है.

पलामू: जिले का उत्तर कोयल नहर जो कि एक मुख्य नहर भी है. नहर का पानी झारखंड से बिहार की ओर जाती है. कोयल नहर के 21 आरडी से परता लघु नहर का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए अबतक 1 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन 18 वर्षों में अबतक सिर्फ1500 फिट ही इस नहर का निर्माण कार्य हो सका है.

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आंकड़े के अनुसार वर्ष 2000 में हुसैनाबाद की जनता ने संजय कुमार सिंह यादव को विधायक चुना. उन्होंने 2001 में परता लघु नहर के निर्माण की आधारशिला रखी थी, जिससे किसानों को लगा अब उन्हें सुखाड़ से मुक्ति मिल जाएगी. नहर के निर्माण के लिए 20 लाख रुपये की निविदा भी निकाली गई. इसके ठेकेदार को इसका टेंडर भी दे दिया गया और निर्माण कार्य के लिए पैसा भी निकाला गया, लेकिन नहर का निर्माण नहीं हो सका.

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2005 में कमलेश कुमार सिंह हुसैनाबाद के नए विधायक चुने गए और वो सरकार में सिंचाई मंत्री भी बने. कमलेश कुमार ने फिर परता लघु नहर के निर्माण का शिलान्यास किया, पूरी प्रक्रिया फिर से हुई. नहर के निर्माण के लिए 45 लाख रुपये का टेंडर भी दिया गया लेकिन जनता को फिर से धोखा ही मिला.

जनता ने 2009 में संजय कुमार सिंह यादव को विधायक बनाया. उन्होंने जीत के बाद परता लघु नहर की निविदा निकलवाई. इस बार नहर निर्माण का टेंडर 70 लाख तक पहुंच गया, ठेकेदारों ने नहर का निर्माण 2011 में सिर्फ1500 फिट करवा दिया और टेंडर के सारे पैसे निकाल लिए.

वर्तमान विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी नहर को बनवाने का जनता से वादा जरूर किया था, लेकिन अबतक उन्होंने उस नहर को देखा तक नहीं है. किसानों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और ठेकेदारों ने मिलकर परता लघु नहर को लूट का अड्डा बना दिया है. उन्होंने कहा कि परता लघु नहर का निर्माण हो जाने से तीन पंचायत रामबांध, परता और पंसा के किसानों की 5000 एकड़ भूमि सिंचित हो सकती है.

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Body:1.35 करोड़ खर्च के बावजूद 18 वर्ष में 17 हज़ार फिट लघु नहर का नही हो सका निर्माण

मुख्य नहर का बिहार जाता पानी देख किसानों को होता है दुःख, 18 वर्ष में भी उनके खेतो तक नही पंहुचा पानी

पलामू: ज़िला के मोहम्मदगंज से उत्तर कोयल मुख्य नहर निकली है। नहर का पानी बिहार जाता है। मुख्य नहर के 21 आरडी से परता लघु नहर के निर्माण पर अबतक 1 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च हो चुके है। 18 वर्षो में सिर्फ 1500 फिट नहर का निर्माण हो सका है। ये योजना नेताओं का मुद्दा और ठेकेदारों के लिये लूट का श्रोत बन कर रह गई है। आंकड़े के अनुसार वर्ष 2000 में हुसैनाबाद की जनता ने संजय कुमार सिंह यादव को विधायक चुना। उन्होंने 2001 में परता लघु नहर के निर्माण की आधारशिला रखी। किसानों को लगा अब उन्हें अकाल सुखाड़ से मुक्ति मिल जायेगी। 20 लाख रुपये की निविदा निकली। ठेकेदार नियुक्त हुए ,पैसा निकल गया। मगर काम नहीं हुआ। जनता ने 2005 में कमलेश कुमार सिंह को विधायक चुना। संयोग से वो सिंचाई मंत्री बने। उन्होंने भी परता लघु नहर के निर्माण का शिलान्यास किया। पूरी प्रक्रिया हुई। 45 लाख रुपये निकल गये। काम नहीं हुआ। जनता ने पुनः 2009 में संजय कुमार सिंह यादव को अवसर दिया। उन्होंने जीत के बाद परता लघु नहर की निविदा निकलवाई। इस बार प्राक्कलन 70 लाख था। 2011 में सिर्फ 1500 फिट में जैसे तैसे कुछ काम कर पैसे की निकाशी कर ली गई। वर्तमान विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी वादा किया था। इन्होंने उसे देखने तक कि जहमत नही उठाई। किसानों ने बताया कि जनप्रतिनिधियो और ठेकेदारो ने मिलकर परता लघु नहर को लूट का अड्डा बना लिया है। उन्होंने कहा कि परता लघु नहर का निर्माण हो जाने से तीन पंचायत रामबांध, परता और पंसा के किसानों की 5000 एकड़ भूमि सिंचित हो सकती है। किसानों और पंचायत प्रतिनिधियों ने जल पथ प्रमंडल मेदिनीनगर के कार्यपालक अभियंता, सिंचाई मंत्री, उपायुक्त व विधायक से कई बार मिल मगर कोई सुनवाई नही हुई। किसानों ने बताया कि जब जब चुनाव आता है नेताओ को परता लघु नहर की याद आती है। किसान गणेश मेहता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने की बात से एक बार फिर उम्मीद जगी। । मगर झारखंड सरकार की ओर से नहर के निर्माण की दिशा में कोई पहल नही होने से उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है।


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