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पलामू में खून की कमी से जूझ रहे हैं थैलेसीमिया के 114 मरीज, ब्लड बैंकों के पास नहीं है पर्याप्त स्टॉक

पलामू में थैलेसीमिया के मरीज खून की कमी से जूझ रहे हैं. जिले में 114 थैलेसीमिया के मरीज हैं जिन्हे प्रत्येक महीने ब्लड की आवश्यकता होती है. जिले में बढ़ती थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या पर चिंता जताई जा रही है.

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Published : May 9, 2022, 8:05 AM IST

पलामू: जिले में 114 थैलेसीमिया के मरीजों के जीवन को बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खून उपलब्ध नहीं है. पलामू में थैलेसीमिया से ग्रसित अधिकतर मरीजों की उम्र 6 से 8 वर्ष के बीच है जबकि दो बुजुर्ग महिला भी इस बीमारी से जूझ रही है. बीमारी से ग्रसित सभी मरीजों को प्रत्येक महीने ब्लड की जरूरत होती है. जनवरी से अब तक पलामू के ब्लड बैंक ने थैलीसेमिया के मरीजों की जान बचाने के लिए 235 यूनिट ब्लड डोनेट किया किया है लेकिन जिस अनुपात में मरीजों को खून की जरूरत है उस अनुपात में नहीं मिल रहा है. पलामू सिविल सर्जन के मुताबिक थैलेसीमिया के मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए स्वास्थ विभाग मुफ्त ब्लड उपलब्ध करवा रहा है. ब्लड लेने वाले मरीज के परिजन रिप्लेसमेंट नहीं करते हैं जिस कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें:- आने वाले नन्हें मेहमान को थैलेसिमिया से बचना है तो शादी से पहले एचबीए- 2 जांच करवाएं

थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ब्लड डोनेशन: पलामू में समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है. इस कैंप के माध्यम से थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ब्लड को जमा किया जाता है. पलामू के चैनपुर के इलाके में सबसे अधिक थैलेसीमिया के मरीज हैं. सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार सिंह बताते है कि विभिन्न सामाजिक संगठनों के कैंप द्वारा जरूरत को पूरा किया जा रहा है. ब्लड बैंक के संचालक प्रमोद कुमार ने बताया कि हर महीने 50 से 60 यूनिट ब्लड थैलेसीमिया के मरीजों को दिया जाता है. सभी मरीज छह से आठ वर्ष के उम्र के है. पलामू में थैलेसीमिया करीब एक दशक में चार गुणा तक बढ़ गए है. 2010 के आसपास पलामू में थैलेसीमिया के 25 से 30 मरीज ही थे.

देखें पूरी खबर
क्या है थैलेसीमिया: थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है. जिसके कारण मरीज के लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है. जिस कारण पीड़ित लोगों को बाहर से खून चढ़ाया जाता है. कई बार खून की कमी होने के कारण मरीज गंभीर बीमारियों के शिकार होता है और उसकी मौत हो जाती है.थैलेसीमिया होने पर सर्दी जुकाम बना रहता है और हर वक्त पीड़ित बीमार रहता है. थैलेसीमिया मरीजों समेत अन्य मरीजों के लिए रक्तदान करने वाले रविशंकर ने बताया कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है और पीड़ित लोगों की जान बचाने के लिए ब्लड डोनेशन की भी जरूरत है.

पलामू: जिले में 114 थैलेसीमिया के मरीजों के जीवन को बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खून उपलब्ध नहीं है. पलामू में थैलेसीमिया से ग्रसित अधिकतर मरीजों की उम्र 6 से 8 वर्ष के बीच है जबकि दो बुजुर्ग महिला भी इस बीमारी से जूझ रही है. बीमारी से ग्रसित सभी मरीजों को प्रत्येक महीने ब्लड की जरूरत होती है. जनवरी से अब तक पलामू के ब्लड बैंक ने थैलीसेमिया के मरीजों की जान बचाने के लिए 235 यूनिट ब्लड डोनेट किया किया है लेकिन जिस अनुपात में मरीजों को खून की जरूरत है उस अनुपात में नहीं मिल रहा है. पलामू सिविल सर्जन के मुताबिक थैलेसीमिया के मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए स्वास्थ विभाग मुफ्त ब्लड उपलब्ध करवा रहा है. ब्लड लेने वाले मरीज के परिजन रिप्लेसमेंट नहीं करते हैं जिस कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ब्लड डोनेशन: पलामू में समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है. इस कैंप के माध्यम से थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ब्लड को जमा किया जाता है. पलामू के चैनपुर के इलाके में सबसे अधिक थैलेसीमिया के मरीज हैं. सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार सिंह बताते है कि विभिन्न सामाजिक संगठनों के कैंप द्वारा जरूरत को पूरा किया जा रहा है. ब्लड बैंक के संचालक प्रमोद कुमार ने बताया कि हर महीने 50 से 60 यूनिट ब्लड थैलेसीमिया के मरीजों को दिया जाता है. सभी मरीज छह से आठ वर्ष के उम्र के है. पलामू में थैलेसीमिया करीब एक दशक में चार गुणा तक बढ़ गए है. 2010 के आसपास पलामू में थैलेसीमिया के 25 से 30 मरीज ही थे.

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क्या है थैलेसीमिया: थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है. जिसके कारण मरीज के लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है. जिस कारण पीड़ित लोगों को बाहर से खून चढ़ाया जाता है. कई बार खून की कमी होने के कारण मरीज गंभीर बीमारियों के शिकार होता है और उसकी मौत हो जाती है.थैलेसीमिया होने पर सर्दी जुकाम बना रहता है और हर वक्त पीड़ित बीमार रहता है. थैलेसीमिया मरीजों समेत अन्य मरीजों के लिए रक्तदान करने वाले रविशंकर ने बताया कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है और पीड़ित लोगों की जान बचाने के लिए ब्लड डोनेशन की भी जरूरत है.
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