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PTR Satellite Surveillance: पीटीआर के जंगलों को आग से बचाएगा सैटेलाइट सर्विलांस! वनकर्मियों को मोबाइल पर मिलेगी जानकारी - झारखंड न्यूज

पलामू टाइगर रिजर्व में सैटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की जा रही है. आग से बचाने के लिए सैटेलाइट सर्विलांस को पीटीआर से जोड़ा गया है, इससे वनकर्मियों को मोबाइल पर जानकारी मिलेगी कि जंगल में आग की घटना हुई है. जिससे जंगल में आग पर मौका रहते काबू पाया जा सकता है. इस रिपोर्ट से जानिए, क्या है ये तकनीक.

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Published : Feb 28, 2023, 9:20 AM IST

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पलामूः झारखंड वन संपदा से भरपूर है लेकिन प्रकृति के प्रकोप और मानवीय भूल के कारण इस संपदा को नुकसान पहुंचता है. जंगलों में आग लगने की घटना इतनी गंभीर और व्यापक समस्या है कि इससे ना सिर्फ जंगल बल्कि वन्य जीवों के साथ साथ आसपास के इलाकों को भी नुकसान होता है. पीटीआर के जंगलों में आग की घटना भी इससे अलग नहीं है. अगलगी की इन घटनाओं से बचने और इसकी रोकथाम के लिए शासन प्रशासन के साथ वन विभाग भी प्रयत्नशील है. इसी कड़ी में पलामू टाइगर रिजर्व में सैटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गयी है.

इसे भी पढ़ें- जंगलों को आग से बचाना है! पीटीआर की पहल, महुआ चुनने के लिए जाल का इस्तेमाल करेंगे ग्रामीण

पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में गर्मियों में लगने वाली आग से निपटने के लिए के लिए सैटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गई है. पलामू टाइगर रिजर्व के सभी कर्मियों के मोबाइल को सैटेलाइट सर्विलांस से जोड़ा गया है, आग लगने के साथ ही प्रभावित इलाके की जानकारी वन कर्मियों को मिल जाएगी. इसकी जानकारी मिलने के बाद इलाके में आग बुझाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

सैटेलाइट सर्विलांस ऐसे करता है कामः पीटीआर के 250 से भी अधिक वनकर्मियों के मोबाइल को सर्विलांस सिस्टम से जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि गर्मी के दिनों में स्थानीय ग्रामीण महुआ चुनने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं. जिस कारण वन्य जीव और जंगलों को नुकसान होने का खतरा बना रहता है. इस अगलगी की घटनाओं से बचने के लिए इस बार सेटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गई है, आग लगने के बाद ही वनकर्मियों को मोबाइल पर एक मैसेज आएगा. इस मैसेज के माध्यम से वनकर्मियों को जानकारी मिलेगी कि किस इलाके में आग लगी है. इसके बाद संबंधित वन कर्मी आग से प्रभावित इलाके में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर देंगे, जिससे आग पर मौका रहते काबू पाया जा सके.

वन समितियों के साथ बैठक कर ग्रामीणों को किया जाएगा जागरूकः पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि इस बार वन समितियों और ग्रामीणों के साथ विभाग बैठक करेगी. इसके माध्यम से ग्रामीणों को महुआ चुनने के लिए आग का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की जाएगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल कहीं से भी आगजनी की घटना की सूचना नहीं है लेकिन विभाग अलर्ट है. गर्मियों के दौरान कई इलाकों से आगजनी की खबरें निकल कर सामने आती है.

पलामू टाइगर रिजर्व का प्रसार लगभग 1129 वर्ग किलोमीटर तक का है. मार्च से लेकर मानसून के आगमन तक प्रति वर्ष इलाके में 50 से भी अधिक आगजनी की घटनाओं को रिकॉर्ड किया जाता है, गर्मी की शुरुआत के साथ जंगलों को आग से बचाना चुनौती बन जाती है. जंगल में लगने वाली आग से पेड़ों के साथ-साथ जंगली जीव को भी नुकसान पहुंचाता है. 2022 में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में आग से बचने के लिए ग्रामीणों को जाल का इस्तेमाल करने को भी कहा गया था. इलाके में विभाग ने ग्रामीणों को जाल भी उपलब्ध करवाया था ताकि महुआ चुनने के लिए स्थानीय ग्रामीण आग का इस्तेमाल ना करें.

मार्च के पहले दूसरे सप्ताह से महुआ चुनते हैं ग्रामीणः पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महुआ को चुनने के लिए जंगल जाते हैं. इस इलाके के ग्रामीणों के लिए यह आय का यह एक बड़ा साधन है. मार्च के पहले और दूसरे सप्ताह से ग्रामीण महुआ को चुनते हैं. महुआ को चुनने से पहले पेड़ के अगल-बगल आग लगाया जाता है ताकि खर-पतवार जल जाए और आसानी से महुआ को चुना जा सके. पलामू टाइगर रिजर्व के 206 गांव और जंगलों में एक लाख से अधिक महुआ के पेड़ हैं.

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पलामूः झारखंड वन संपदा से भरपूर है लेकिन प्रकृति के प्रकोप और मानवीय भूल के कारण इस संपदा को नुकसान पहुंचता है. जंगलों में आग लगने की घटना इतनी गंभीर और व्यापक समस्या है कि इससे ना सिर्फ जंगल बल्कि वन्य जीवों के साथ साथ आसपास के इलाकों को भी नुकसान होता है. पीटीआर के जंगलों में आग की घटना भी इससे अलग नहीं है. अगलगी की इन घटनाओं से बचने और इसकी रोकथाम के लिए शासन प्रशासन के साथ वन विभाग भी प्रयत्नशील है. इसी कड़ी में पलामू टाइगर रिजर्व में सैटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गयी है.

इसे भी पढ़ें- जंगलों को आग से बचाना है! पीटीआर की पहल, महुआ चुनने के लिए जाल का इस्तेमाल करेंगे ग्रामीण

पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में गर्मियों में लगने वाली आग से निपटने के लिए के लिए सैटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गई है. पलामू टाइगर रिजर्व के सभी कर्मियों के मोबाइल को सैटेलाइट सर्विलांस से जोड़ा गया है, आग लगने के साथ ही प्रभावित इलाके की जानकारी वन कर्मियों को मिल जाएगी. इसकी जानकारी मिलने के बाद इलाके में आग बुझाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

सैटेलाइट सर्विलांस ऐसे करता है कामः पीटीआर के 250 से भी अधिक वनकर्मियों के मोबाइल को सर्विलांस सिस्टम से जोड़ा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि गर्मी के दिनों में स्थानीय ग्रामीण महुआ चुनने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं. जिस कारण वन्य जीव और जंगलों को नुकसान होने का खतरा बना रहता है. इस अगलगी की घटनाओं से बचने के लिए इस बार सेटेलाइट सर्विलांस की शुरुआत की गई है, आग लगने के बाद ही वनकर्मियों को मोबाइल पर एक मैसेज आएगा. इस मैसेज के माध्यम से वनकर्मियों को जानकारी मिलेगी कि किस इलाके में आग लगी है. इसके बाद संबंधित वन कर्मी आग से प्रभावित इलाके में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर देंगे, जिससे आग पर मौका रहते काबू पाया जा सके.

वन समितियों के साथ बैठक कर ग्रामीणों को किया जाएगा जागरूकः पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि इस बार वन समितियों और ग्रामीणों के साथ विभाग बैठक करेगी. इसके माध्यम से ग्रामीणों को महुआ चुनने के लिए आग का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की जाएगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल कहीं से भी आगजनी की घटना की सूचना नहीं है लेकिन विभाग अलर्ट है. गर्मियों के दौरान कई इलाकों से आगजनी की खबरें निकल कर सामने आती है.

पलामू टाइगर रिजर्व का प्रसार लगभग 1129 वर्ग किलोमीटर तक का है. मार्च से लेकर मानसून के आगमन तक प्रति वर्ष इलाके में 50 से भी अधिक आगजनी की घटनाओं को रिकॉर्ड किया जाता है, गर्मी की शुरुआत के साथ जंगलों को आग से बचाना चुनौती बन जाती है. जंगल में लगने वाली आग से पेड़ों के साथ-साथ जंगली जीव को भी नुकसान पहुंचाता है. 2022 में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में आग से बचने के लिए ग्रामीणों को जाल का इस्तेमाल करने को भी कहा गया था. इलाके में विभाग ने ग्रामीणों को जाल भी उपलब्ध करवाया था ताकि महुआ चुनने के लिए स्थानीय ग्रामीण आग का इस्तेमाल ना करें.

मार्च के पहले दूसरे सप्ताह से महुआ चुनते हैं ग्रामीणः पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महुआ को चुनने के लिए जंगल जाते हैं. इस इलाके के ग्रामीणों के लिए यह आय का यह एक बड़ा साधन है. मार्च के पहले और दूसरे सप्ताह से ग्रामीण महुआ को चुनते हैं. महुआ को चुनने से पहले पेड़ के अगल-बगल आग लगाया जाता है ताकि खर-पतवार जल जाए और आसानी से महुआ को चुना जा सके. पलामू टाइगर रिजर्व के 206 गांव और जंगलों में एक लाख से अधिक महुआ के पेड़ हैं.

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