पलामूः आम तौर खेती किसानी से जीवन को चलाना बड़ी चुनौती मानी जाती है लेकिन एक महिला ने खेती के बदौलत ही परिवार का जीवन बदल दिया है. हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से करीब 140 किलोमीटर दूर पलामू के सतबरवा प्रखंड के रजडेरवा गांव की रहने वाली प्रभा देवी की.
इसे भी पढ़ें- Mothers Day Special: पुलिस और मां का फर्ज निभा रहीं तिलैया थाना एसआई पिंकी रानी, अपनी डेढ़ साल की बेटी के साथ करती हैं ड्यूटी
पलामू की प्रभा देवी और उसका परिवार छह वर्ष पहले तक पारंपरिक खेती करता था. प्रभा देवी ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खेती और किसानों का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के बाद प्रभा देवी ने अपनी खेती में तकनीक का इस्तेमाल किया. पहले जहां उनकी आमदनी 20 से 25 हजार रुपया सलाना हुआ करती थी. आज उनकी आमदनी 15 लाख रुपये सलाना से अधिक हो गई है.
प्रभा देवी की पहल से संवरा गांवः प्रभा देवी महिला स्वयं सहायता समूह से 2016-17 में जुड़ी थीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. प्रभा देवी की परिवार भी संवर गई और उनसे प्रेरणा लेकर पूरे गांव की भी धीरे-धीरे किसानी के तरीके बदल गए, उनके पति भी प्रभा देवी से किसानों के तरीके को सीखा है. प्रभा देवी के तीन बेटे हैं, बड़ा बेटा मनीष बिकटेक करके मल्टीनेशनल कंपनी में ट्रेनिंग ले रहा है, दूसरा बेटा रविरंजन झारखंड का स्केटिंग कोच है जबकि तीसरा बेटा अनूप कुमार निजी कंपनी में अधिकारी है. मां के संघर्ष को लेकर रविरंजन बताते हैं उनकी मां खुद दर्द में रहती थी लेकिन उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. खेती कर के बच्चों को पढ़ाना बड़ी चुनौती होती है लेकिन उनकी मां ने इस चुनौती को स्वीकार किया और इसे पार किया है.
प्रभा देवी दूसरे किसानों के लिए बनीं प्रेरणास्त्रोतः प्रभा देवी ने अपनी मेहनत के बदौलत कई लोगों के जीवन में बदलाव लाया है. प्रभा देवी के किसानी के रोल मॉडल मानने वाले उन्हें मां का दर्जा देते हैं. प्रभा देवी के पति ज्ञानेश्वर राम का कहना है कि उनके पत्नी ने जीवन मे कई बदलाव लाया है, किसानी एक तरीके को बदल दिया है. प्रभा देवी खाद और बीज के किस्मों को तय करती हैं.
ग्रामीण बताते है कि प्रभा देवी को देखकर इलाके के कई महिला पुरुष झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और खेती के तकनीक के बारे में जानकारी हासिल किया. इसका नतीजा है कि इलाके के किसान तीनों मौसम में मक्का, सब्जी और अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं. जेएसएल्पीएस के तरफ से सभी को ट्रेनिंग दिया गया है.
प्रभा देवी पहले पारंपरिक तरीके से खेती करती थीं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने कृषि के तकनीक के बारे में जानकारी हासिल किया. उन्होंने खुद से जैविक खाद तैयार करना सीखा और खेती में नए नए प्रयोग किए, धीरे-धीरे करके उनकी आमदनी बढ़ती गई. आमदनी बढ़ने के बाद उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी जगह शिक्षा दी और कई गांव वालों को भी खेती में तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी दी.