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सड़क को रजखेता पहुंचने में लगे 73 साल, ग्रामीणों का भरोसा- अब बहेगी विकास की बयार

आज हम उस युग में जी रहे हैं, जहां एक ट्वीट से चुटकियों में समस्या का समाधान हो जाता है, लेकिन इसी युग में कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां एक सड़क पहुंचने में 73 वर्ष बीत गए. रोड विकास के द्वार को खोलती है, लेकिन इस द्वार को खुलवाने में दशकों बीत गए. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Road built in this village of Palamu after 73 years of independence
पलामू का रजखेता गांव
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Published : Sep 11, 2020, 6:38 PM IST

पलामू: झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 250 किलोमीटर दूर पलामू के मनातू प्रखंड में एक गांव है रजखेता. इस गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर बिहार की सीमा शुरू होती है. इस गांव में करीब 50 घर हैं. माना जाता है कि ये इलाका कभी नक्सलियों का सेफ जोन था. जाहिर है यहां के लोगों के लिए विकास किसी सपने जैसा था. सरकारी योजना के नाम पर यहां सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल है. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी विकास की पहल ही नहीं की जा सकी. ये गांव इतना पिछड़ा हुआ है कि यहां एक सड़क पहुंचने में 73 साल लग गए.

देखिए पूरी खबर

जवानों ने अपनी निगरानी में बनाई सड़क

रजखेता में पलामू पुलिस की पहल पर रोड बन कर तैयार हुआ है. रजखेता के इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. ऐसा एक दिन में संभव नहीं हुआ. पलामू में तैनात सुरक्षाबल और जवानों को इस बदलाव के लिए वर्षों लग गए. रजखेता बिहार सीमा से सटा हुआ है और महज तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.

पहाड़ियों को काटकर बनाया गया सड़क

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत रजखेता तक जाने के लिए रोड का काम पहले चरण का पूरा हो गया है. सड़क दो पहाड़ियों को काट कर बनाया गया है. पहले चरण में गांव में कच्ची सड़क पहुंचाई गई है. अगले चरण में पक्की रोड बनाई जानी है. पूरे रोड को पलामू पुलिस ने अपनी कड़ी निगरानी में बनवाई है. रोड बनाने के दौरान जवान तैनात रहते थे और पेट्रोलिंग करते थे.

नक्सल अभियान को लेकर महत्वपूर्ण है सड़क

रजखेता से करीब 12 किलोमीटर दूर मंसुरिया पिकेट की स्थापना की गई है. मंसुरिया पिकेट बन जाने के बाद नक्सली दस्ता लगातार रजखेता को अपना ठिकाना बना रहा था. 2018 में जब पलामू जिला प्रशासन की टीम 22 किलोमीटर पैदल चलकर गांव में पंहुची तो ग्रामीणों से वादा किया कि सड़क बनाई जाएगी. पलामू एसपी अजय लिंडा बताते हैं कि रोड पुलिस की सुरक्षा में बनवाई गई है. यह रोड पुलिस के अभियान को लेकर महत्वपूर्ण है. पुलिस लगातार इलाके में ग्रामीणों की समस्या को दूर करने का प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ें: पलामू का मलय डैम बनेगा पर्यटन स्थल, 40 गावों के हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार

रजखेता तक जाने वाली रोड बन जाने के बाद ग्रामीण बेहद खुश हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार सड़क पहुंची है. संतोष यादव नाम के ग्रामीण बताते हैं कि आजादी के बाद पहली बार सड़क बनी है. अब ये गांव मुख्य धारा से जुड़ जाएगा. वहीं, महेश यादव बताते हैं कि पहले पहाड़ों को पार करने में दम निकल जाता था, बीमार आदमी इलाज से पहले ही दम तोड़ देता था, लेकिन अब इस चीज की समस्या नहीं होगी.

पलामू: झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 250 किलोमीटर दूर पलामू के मनातू प्रखंड में एक गांव है रजखेता. इस गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर बिहार की सीमा शुरू होती है. इस गांव में करीब 50 घर हैं. माना जाता है कि ये इलाका कभी नक्सलियों का सेफ जोन था. जाहिर है यहां के लोगों के लिए विकास किसी सपने जैसा था. सरकारी योजना के नाम पर यहां सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल है. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी विकास की पहल ही नहीं की जा सकी. ये गांव इतना पिछड़ा हुआ है कि यहां एक सड़क पहुंचने में 73 साल लग गए.

देखिए पूरी खबर

जवानों ने अपनी निगरानी में बनाई सड़क

रजखेता में पलामू पुलिस की पहल पर रोड बन कर तैयार हुआ है. रजखेता के इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. ऐसा एक दिन में संभव नहीं हुआ. पलामू में तैनात सुरक्षाबल और जवानों को इस बदलाव के लिए वर्षों लग गए. रजखेता बिहार सीमा से सटा हुआ है और महज तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.

पहाड़ियों को काटकर बनाया गया सड़क

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत रजखेता तक जाने के लिए रोड का काम पहले चरण का पूरा हो गया है. सड़क दो पहाड़ियों को काट कर बनाया गया है. पहले चरण में गांव में कच्ची सड़क पहुंचाई गई है. अगले चरण में पक्की रोड बनाई जानी है. पूरे रोड को पलामू पुलिस ने अपनी कड़ी निगरानी में बनवाई है. रोड बनाने के दौरान जवान तैनात रहते थे और पेट्रोलिंग करते थे.

नक्सल अभियान को लेकर महत्वपूर्ण है सड़क

रजखेता से करीब 12 किलोमीटर दूर मंसुरिया पिकेट की स्थापना की गई है. मंसुरिया पिकेट बन जाने के बाद नक्सली दस्ता लगातार रजखेता को अपना ठिकाना बना रहा था. 2018 में जब पलामू जिला प्रशासन की टीम 22 किलोमीटर पैदल चलकर गांव में पंहुची तो ग्रामीणों से वादा किया कि सड़क बनाई जाएगी. पलामू एसपी अजय लिंडा बताते हैं कि रोड पुलिस की सुरक्षा में बनवाई गई है. यह रोड पुलिस के अभियान को लेकर महत्वपूर्ण है. पुलिस लगातार इलाके में ग्रामीणों की समस्या को दूर करने का प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ें: पलामू का मलय डैम बनेगा पर्यटन स्थल, 40 गावों के हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार

रजखेता तक जाने वाली रोड बन जाने के बाद ग्रामीण बेहद खुश हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार सड़क पहुंची है. संतोष यादव नाम के ग्रामीण बताते हैं कि आजादी के बाद पहली बार सड़क बनी है. अब ये गांव मुख्य धारा से जुड़ जाएगा. वहीं, महेश यादव बताते हैं कि पहले पहाड़ों को पार करने में दम निकल जाता था, बीमार आदमी इलाज से पहले ही दम तोड़ देता था, लेकिन अब इस चीज की समस्या नहीं होगी.

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