पलामूः जिले की बड़ी आबादी नदी और तालाबों के किनारे बसी हुई है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर कोयल नदी के तट पर बसा हुआ है. यहां निगम क्षेत्र की आबादी करीब दो लाख है. निगम समेत पूरे पलामू की बड़ी आबादी प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है. शहरों की नालियां तालाबों तक जा रही हैं, जिस कारण तालाब की पानी प्रदूषित हो गई है. मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम नहीं है जिस कारण सारा प्रदूषित पानी कोयल नदी में जा रही है.
जानलेवा बीमारी को निमंत्रण
पलामू के निवासी जितेंद्र कुमार बताते हैं कि यह प्रशासनिक लापरवाही है, कि लोगों को प्रदूषित पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. लोग मजबूरी में प्रदूषित पानी का इस्तेमाल करते हैं. कोयल नदी के तट पर बसे मोहम्मद कलाम बताते हैं कि कोरोना महामारी से बढ़ कर यह बीमारी है. पानी पीने के लायक नही है, कचरा साफ तौर पर नदियों और तालाबो में फेंके जा रहे हैं. पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में तैनात डॉक्टर केके सिंह का कहना है कि प्रदूषित पानी पीने से लोगों की तबियत खराब हो सकती है, वे गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. नदियों और तालाबों में फेंके जाने वाले कचरे से कई जानलेवा बीमारी हो सकती है.
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मेदिनीनगर नगर निगम में बनेगा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
मेदिनीनगर नगर निगम के आयुक्त दिनेश प्रसाद बताते हैं कि निगम की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की योजना है. इस प्लांट के माध्यम से कचरों का निबटारा किया जाएगा. मामले में पहल की गई है और डीपीआर भी बनकर तैयार है. प्लांट के लिए जमीन खोजी जा रही है, जमीन मिलने के साथ ही प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि नगर निगम का प्लान है कि शहर की सारी नालियों को उपर से ढ़क दिया जाए, ताकि कोई कचरा तालाबों और नदियों में नहीं जा पाए. शहर के बड़े तालाब में ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम पर काम किया जा रहा है.