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नाबालिगों से दिल्ली के चूड़ी फैक्ट्री में 18 घंटे कराया जाता था काम, सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन की पहल पर हुआ रेस्क्यू - सीडब्ल्यूसी धीरेंद्र किशोर पलामू

पलामू सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन की मदद से दो नाबालिग मजदूरों का दिल्ली की चूड़ी फैक्ट्री से रेस्क्यू किया गया है. इन दोनों को बंद कमरों में रखा जाता था और खाने के लिए 24 घंटे में दो वक्त ही दिया जाता था.

Rescue of two children on the initiative of CWC and Childline in palamu
पलामू: CWC और चाइल्डलाइन की पहल पर दो बच्चों का रेस्क्यू, जानिए चूड़ी फैक्ट्री में कैसे झेल रहे थे प्रताड़ना
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Published : Jul 1, 2021, 6:32 PM IST

पलामू: पलामू में नाबालिगों की तस्करी (Minor Trafficking) और उनके साथ अत्याचार की कई खबरें सामने आ रही हैं. नाबालिगों से चूड़ी फैक्ट्री में 18 से 20 घंटे तक काम लिया जा रहा है और उन्हें खाना तक नहीं दिया जाता. इसका खुलासा खुद वहां प्रताड़ना झेल रहे दो बाल मजदूरों (Child Laborers) ने किया है.

इसे भी पढ़ें- रांची रेलवे स्टेशन से तीन नाबालिग लड़कियों का किया गया रेस्क्यू, बिन बताए घर से भागी थी लड़कियां

सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन की पहल लाई रंग

दोनों बच्चों को पलामू सीडब्ल्यूसी (CWC) और चाइल्डलाइन (Childline) की पहल पर दिल्ली के जहांगीरपुरी से रिकवर किया गया है. दोनों बच्चे पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के पदमा और मंझौली के रहने वाले हैं. दोनों बच्चे आठ महीने पहले तस्करी के शिकार (Minor Trafficking) हुए थे. दोनों बच्चों को तस्कर चूड़ी फैक्ट्री (Bangle Factory) में काम करवाने के लिए ले गए थे.

बच्चों ने सुनाई आपबीती

मानव तस्करी का शिकार हुए बच्चों ने बताया कि उन्हें बंद कमरों में रखा जाता था और 24 घंटे में मात्र दो वक्त ही खाने के लिए दिया जाता था. उनसे 18 से 20 घंटे काम लिया जाता था और बाहर नहीं निकलने दिया जाता था. मंझौली के बच्चे के बताया कि उसकी मां बीमार थी और पिताजी मजदूरी का काम करते हैं. तस्कर ने उन्हें पैसे का लालच दिया और काम करने के लिए दिल्ली बुलाया. आठ महीने तक वे दिल्ली में रहे, लेकिन उसे मजदूरी के रूप में एक रुपये भी नहीं मिले.

इसे भी पढ़ें- मानव तस्करी के कलंक को मिटाने की राह पर बढ़ रहा है झारखंड, सीएम की पहल का दिख रहा है असर

परिजनों ने सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन से लगाई थी गुहार

मानव तस्करी के शिकार हो गए बच्चों के परिजनों ने सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन से गुहार लगाई थी. मामले में सीडब्ल्यूसी ने पहल करते हुए दिल्ली स्थित सीडब्ल्यूसी से संपर्क किया और दोनों बच्चो को रेस्क्यू किया. दोनों बच्चों के परिजन और चाइल्डलाइन के सदस्य दिल्ली गए थे और पलामू लेकर आए. सीडब्ल्यूसी धीरेंद्र किशोर ने बताया कि दोनों बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है, काउंसलिंग के बाद दोनों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. सीडब्ल्यूसी दोनों बच्चों के पुनर्वास के लिए पहल करते हुए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाएगी.

पलामू: पलामू में नाबालिगों की तस्करी (Minor Trafficking) और उनके साथ अत्याचार की कई खबरें सामने आ रही हैं. नाबालिगों से चूड़ी फैक्ट्री में 18 से 20 घंटे तक काम लिया जा रहा है और उन्हें खाना तक नहीं दिया जाता. इसका खुलासा खुद वहां प्रताड़ना झेल रहे दो बाल मजदूरों (Child Laborers) ने किया है.

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सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन की पहल लाई रंग

दोनों बच्चों को पलामू सीडब्ल्यूसी (CWC) और चाइल्डलाइन (Childline) की पहल पर दिल्ली के जहांगीरपुरी से रिकवर किया गया है. दोनों बच्चे पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के पदमा और मंझौली के रहने वाले हैं. दोनों बच्चे आठ महीने पहले तस्करी के शिकार (Minor Trafficking) हुए थे. दोनों बच्चों को तस्कर चूड़ी फैक्ट्री (Bangle Factory) में काम करवाने के लिए ले गए थे.

बच्चों ने सुनाई आपबीती

मानव तस्करी का शिकार हुए बच्चों ने बताया कि उन्हें बंद कमरों में रखा जाता था और 24 घंटे में मात्र दो वक्त ही खाने के लिए दिया जाता था. उनसे 18 से 20 घंटे काम लिया जाता था और बाहर नहीं निकलने दिया जाता था. मंझौली के बच्चे के बताया कि उसकी मां बीमार थी और पिताजी मजदूरी का काम करते हैं. तस्कर ने उन्हें पैसे का लालच दिया और काम करने के लिए दिल्ली बुलाया. आठ महीने तक वे दिल्ली में रहे, लेकिन उसे मजदूरी के रूप में एक रुपये भी नहीं मिले.

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परिजनों ने सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन से लगाई थी गुहार

मानव तस्करी के शिकार हो गए बच्चों के परिजनों ने सीडब्ल्यूसी और चाइल्डलाइन से गुहार लगाई थी. मामले में सीडब्ल्यूसी ने पहल करते हुए दिल्ली स्थित सीडब्ल्यूसी से संपर्क किया और दोनों बच्चो को रेस्क्यू किया. दोनों बच्चों के परिजन और चाइल्डलाइन के सदस्य दिल्ली गए थे और पलामू लेकर आए. सीडब्ल्यूसी धीरेंद्र किशोर ने बताया कि दोनों बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है, काउंसलिंग के बाद दोनों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. सीडब्ल्यूसी दोनों बच्चों के पुनर्वास के लिए पहल करते हुए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाएगी.

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