पलामूः चतरा नक्सल मुठभेड़ में टॉप माओवादी ननकुरिया ने पुलिस रिमांड पर मुठभेड़ की पूरी दास्तां बताई है. कैसे पहाड़ के निचले हिस्से में सभी माओवादी जमा थे. इस मुठभेड़ में ननकुरिया के शरीर से गोली आरपार हो गई थी. इसके अलावा रिमांड में गिरफ्तार नक्सली ने पुलिस के कई सवालों के जवाब भी दिए.
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03 अप्रैल को पलामू चतरा सीमा पर लावालौंग थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में माओवादियों के टॉप पांच कमांडर मारे गए थे. इस मुठभेड़ की पूरी दास्तां गिरफ्तार माओवादी नंदकिशोर यादव उर्फ ननकुरिया ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष बताई है. इस मुठभेड़ में नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया के शरीर से गोली आरपार हो गई थी. जिसके बाद नंदकिशोर को पलामू पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. न्यायिक हिरासत में इलाज होने के बाद पलामू पुलिस ने नंदकिशोर को 72 घंटे के लिए रिमांड पर लिया था.
नंदकिशोर ने पुलिस के समक्ष लावालौंग मुठभेड़ की पूरी कहानी बताई है. नंदकिशोर ने पुलिस को बताया है कि टॉप माओवादी कमांडर गौतम पासवान, अजित उर्फ चार्लीस, अमर गंझू, अजय यादव समेत 07 माओवादी जमा हुए थे. खुद को सुरक्षित रखने के लिए सभी माओवादी पहाड़ के निचले हिस्से में जमा हुए थे. अमर गंझू कुछ ऊंचाई पर संतरी की ड्यूटी में था. उसने बताया कि सभी नित्य क्रिया के बाद आराम कर रहे थे, किसी को एहसास नहीं था कि मौके पर पुलिस पहुंच सकती है. लेकिन पुलिस को देखने के बाद ड्यूटी में तैनाती अमर ने गोली चलाई थी, उसके बाद सभी ने पोजिशन लेकर फायरिंग शुरू कर दी थी.
गोली लगने से एक घंटे तक बेहोश था नंदकिशोर उर्फ ननकुरियाः गिरफ्तार नक्सली नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया ने रिमांड पर पलामू पुलिस को बताया है कि गोली लगने के बाद वह एक घंटे तक बेहोश रहा था. होश में आने के बाद वह भाग रहा था, महुआ चुन रहे लोगों ने उसे स्थानीय गांव तक पंहुचाया. जहां एक ग्रामीण के माध्यम से स्थानीय डॉक्टर ने उसे तीन इंजेक्शन दिया. इसके बाद एक दूसरे गांव में गया जहां उसे एक ग्रामीण ने खिचड़ी खिलाई, उसके बाद वह रिमी गांव गया था जहां जगदीश नामक डॉक्टर ने उसका इलाज किया था. नंदकिशोर ने पुलिस को बताया है कि नक्सली कभी खुद से खाना नहीं बनाते थे. नक्सली ग्रामीणों के घर खाना खाने के बाद सभी जंगल के इलाके में चले जाते थे. होश में आने के बाद ग्रामीणों से पता चला कि उसके साथी मारे गए हैं.
घर निर्माण कार्य को नक्सलियों ने रोका, दस्ता छोड़ा तो टीएसपीसी तंग करने लगाः नंदकिशोर ने बताया है कि गांव में उसका जमीन विवाद था. गांव में उसका घर बन रहा था जिसके लिए लकड़ियों की जरूरत थी लेकिन माओवादियों ने जंगल से लकड़ी काटने से मना कर दिया था. जिसके बाद वह दस्ते में शामिल हो गया. कुछ दिनों के बाद उसने दस्ता छोड़ दिया था लेकिन टीएसपीसी के सदस्य उसे मारने के लिए खोजने लगे और परिवार को तंग करना शुरू किया. जिसके बाद वह फिर से भाकपा माओवादियों के दस्ते में शामिल हो गया. दस्ता में शामिल होने के बाद गौतम पासवान ने उसे इंसास रायफल दिया था.