पलामू: ग्रामीण इलाके के कई झोला छाप डॉक्टर नक्सलियों की मदद कर रहे हैं. झोला छाप डॉक्टर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों का इलाज के साथ-साथ उनको कई तरह से मदद कर रहे हैं. पुलिस ने ऐसे कई झोला छाप डॉक्टर को चिन्हित किया है जो नक्सलियों की मदद कर रहे हैं. पलामू, चतरा और लातेहार सीमा पर ऐसे कई डॉक्टर जो प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और जेजेएमपी की मदद कर रहे हैं. दरअसल, झोलाछाप डॉक्टर की ग्रामीणों के बीच पैठ अच्छी होती है. स्थानीय ग्रामीणों पर उनकी पकड़ होती है जिस कारण नक्सली उनकी मदद लेते हैं. झोलाछाप डॉक्टर जंगल में जाकर नक्सलियों को कई सूचनाएं देते हैं और उन्हें दवा की सप्लाई करते हैं.
केस स्टडी-1: कुछ दिनों पहले पलामू और चतरा सीमा पर माओवादी और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी, इस मुठभेड़ में टॉप माओवादी नंदकिशोर यादव को गोली लगी थी, नंदकिशोर यादव को पार्टी के इलाके के स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर विजय यादव ने मदद की थी. विजय यादव ने ही नंदकिशोर यादव का इलाज किया था और उसे छुपने में मदद की थी.
केस स्टडी-2: पलामू चतरा सीमा पर कुछ दिनों पहले टीएसपीसी के जोनल कमांडर शशिकांत गंझू की तबीयत खराब हो गई थी. एक झोलाछाप डॉक्टर ने जंगल में जाकर उसका इलाज किया था. एक दूसरे मामले में डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है. संबंधित झोलाछाप डॉक्टर नक्सलियों के दस्ते की भी मदद करता था और उसे हर तरह की सामग्री उपलब्ध करवाता था.
नक्सलियों की मदद करना है अपराध, होगी सख्त कार्रवाई: पलामू, गढ़वा और लातेहार की इलाके में दर्जनों झोला छाप डॉक्टर को चिन्हित किया गया है जो नक्सली संगठनों की मदद करते हैं. पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि नक्सली संगठनों को मदद करना कानून अपराध है, झोला छाप डॉक्टर या इस तरह के अन्य लोग जो नक्सलियों की मदद कर रहे हैं उनके खिलाफ का कानूनी कर्रवाई की जा रही है.
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