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Naxalites In Jharkhand: झारखंड के इन जिलों को नक्सल मुक्त घोषित करने की तैयारी, पुलिस मुख्यालय ने किया पत्र जारी

झारखंड के कई जिले अब लगभग नक्सल मुक्त हो गए हैं. इसके तहत कई जिलों को स्पेशल रीजन से बाहर करने का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिया है. इस संबंध में पुलिस मुख्यालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया है.

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Naxal Free Jharkhand
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Published : Jul 29, 2023, 8:24 PM IST

पलामू: झारखंड पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से नक्सल समस्या से जूझ रहा है. अविभाजित बिहार में पलामू के इलाके से ही नक्सल आंदोलन की शुरुआत हुई थी. पलामू का इलाका पिछले कई दशक से नक्सल हिंसा की चपेट में रहा है और यहां कई बड़े नरसंहार भी हुए हैं. इन सबके बीच पलामू समेत राज्य के छह जिलों को लेकर एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पलामू, हजारीबाग, धनबाद, दुमका, पूर्वी सिंहभूम को स्पेशल रीजन से बाहर करने का निर्णय लिया है. हालांकि इस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है.

ये भी पढ़ें-Bakoria Encounter Case: स्पेशल कोर्ट में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर बहस, परिजनों ने दाखिल किया है प्रोटेस्ट पिटीशन

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सात जुलाई को की थी समीक्षा बैठकः 20 जुलाई को पुलिस मुख्यालय की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सल मामले को लेकर जिलों के हालात के बारे में ब्योरा है. इससे पहले सात जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल मामले को लेकर समीक्षा की थी. इस समीक्षा बैठक में नक्सल इलाकों के मिलने वाले स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर को लेकर चर्चा हुई थी. स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर के तहत नक्सल प्रभावित जिलों के लिए केंद्र सरकार फंड जारी करती है. इस फंड से केंद्रीय बलों की तैनाती पर खर्च वहन किया जाता है और कई मदों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

पलामू और हजारीबाग में नक्सल हिंसा के आंकड़े हुए कम: पलामू और हजारीबाग के इलाके में पिछले कुछ वर्षों में नक्सल हिंसा से जुड़े मामलों में कमी आयी है. वर्ष 2015 के बाद से पलामू में नक्सलियों के द्वारा एक हत्या का मामला रिकॉर्ड किया गया है. वर्ष 2017 में पलामू में नक्सल हिंसा से जुड़े हुए 59 मामले रिकॉर्ड किए गए थे. वहीं वर्ष 2023 में यह घटकर मात्र तीन रिकॉर्ड किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से पलामू की मॉनिटरिंग कर रहा था. नक्सल हिंसा के आंकड़ों को देखते हुए पलामू और हजारीबाग को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर से बाहर करने का निर्णय लिया गया है.

झारखंड के 19 जिलों को मिलता था स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर: नक्सल हिंसा को देखते हुए झारखंड के 19 जिलों को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर का फंड दिया जाता था. केंद्र सरकार ने धनबाद, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग और पलामू को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर से बाहर करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार के आग्रह पर सरायकेला-खरसावां, खूंटी और रांची एसआरई रीजन में रखने का निर्णय लिया है. जिसमें से रांची, बोकारो, गढ़वा, सरायकेला-खरसावां, चतरा और खूंटी को मॉनिटरिंग में रखा गया है. गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर का फंड जारी करने का निर्णय लिया है. इस संबंध में पलामू जोन के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि मामले में उन्हें अधिक जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पुलिस मुख्यालय से जुड़ा हुआ मामला है.

पलामू: झारखंड पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से नक्सल समस्या से जूझ रहा है. अविभाजित बिहार में पलामू के इलाके से ही नक्सल आंदोलन की शुरुआत हुई थी. पलामू का इलाका पिछले कई दशक से नक्सल हिंसा की चपेट में रहा है और यहां कई बड़े नरसंहार भी हुए हैं. इन सबके बीच पलामू समेत राज्य के छह जिलों को लेकर एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पलामू, हजारीबाग, धनबाद, दुमका, पूर्वी सिंहभूम को स्पेशल रीजन से बाहर करने का निर्णय लिया है. हालांकि इस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है.

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सात जुलाई को की थी समीक्षा बैठकः 20 जुलाई को पुलिस मुख्यालय की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सल मामले को लेकर जिलों के हालात के बारे में ब्योरा है. इससे पहले सात जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल मामले को लेकर समीक्षा की थी. इस समीक्षा बैठक में नक्सल इलाकों के मिलने वाले स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर को लेकर चर्चा हुई थी. स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर के तहत नक्सल प्रभावित जिलों के लिए केंद्र सरकार फंड जारी करती है. इस फंड से केंद्रीय बलों की तैनाती पर खर्च वहन किया जाता है और कई मदों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

पलामू और हजारीबाग में नक्सल हिंसा के आंकड़े हुए कम: पलामू और हजारीबाग के इलाके में पिछले कुछ वर्षों में नक्सल हिंसा से जुड़े मामलों में कमी आयी है. वर्ष 2015 के बाद से पलामू में नक्सलियों के द्वारा एक हत्या का मामला रिकॉर्ड किया गया है. वर्ष 2017 में पलामू में नक्सल हिंसा से जुड़े हुए 59 मामले रिकॉर्ड किए गए थे. वहीं वर्ष 2023 में यह घटकर मात्र तीन रिकॉर्ड किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से पलामू की मॉनिटरिंग कर रहा था. नक्सल हिंसा के आंकड़ों को देखते हुए पलामू और हजारीबाग को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर से बाहर करने का निर्णय लिया गया है.

झारखंड के 19 जिलों को मिलता था स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर: नक्सल हिंसा को देखते हुए झारखंड के 19 जिलों को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर का फंड दिया जाता था. केंद्र सरकार ने धनबाद, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग और पलामू को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर से बाहर करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार के आग्रह पर सरायकेला-खरसावां, खूंटी और रांची एसआरई रीजन में रखने का निर्णय लिया है. जिसमें से रांची, बोकारो, गढ़वा, सरायकेला-खरसावां, चतरा और खूंटी को मॉनिटरिंग में रखा गया है. गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम को स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर का फंड जारी करने का निर्णय लिया है. इस संबंध में पलामू जोन के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि मामले में उन्हें अधिक जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पुलिस मुख्यालय से जुड़ा हुआ मामला है.

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