पलामूः बूढ़ापहाड़ और सारंडा में सुरक्षाबलों की मौजूदगी से माओवादी बौखला गए हैं. माओवादियों ने माइंड गेम खेलना शुरू कर दिया है और खुद को बचाने के लिए कई संगठनों से मदद भी मांगी है. हाल के दिनों में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बूढ़ापहाड़ का दौरा किया था और नक्सल अभियान में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया था. इस दौरान ग्रामीणों के लिए करोड़ों की योजना की घोषणा की गई थी. बूढ़ापहाड़ के इलाके में प्रशासनिक तंत्र के पहुंचने के बाद माओवादी स्थानीय ग्रामीणों को बरगलाने की भी कोशिश कर रहे हैं.
बूढ़ापहाड़ और सारंडा में नक्सली 12 से 21 फरवरी तक मनाएंगे प्रतिरोध सप्ताहः माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ और सारंडा में सुरक्षाबलों के अभियान के खिलाफ 12 से 21 फरवरी तक प्रतिरोध सप्ताह मनाने की भी घोषणा की है. पिछले कुछ वर्षों में पहली बार माओवादियों ने नौ से 10 दिनों तक प्रतिरोध सप्ताह मनाने की घोषणा की है. माओवादी सारंडा के रेंगाहातु, सायतबा, हंजेदबेड़ा, जोजोहातु, पाटातारोप, हलमाद, लुइया, हाथीबुरु जाबकि बूढ़ापहाड़ के बूढ़ा, तिसिया, बहेराटोली आदि में सुरक्षाबलों के कैंप का विरोध कर रहे हैं.
प्रतिरोध सप्ताह को लेकर पुलिस अलर्टः माओवादियों ने खुद को बचाने के लिए कई संगठनों से भी मदद मांगी है. इस संबंध में माओवादियों के बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता बादल ने एक बयान भी जारी किया है. माओवादियों के प्रतिरोध सप्ताह को लेकर पुलिस ने भी अलर्ट जारी किया है और किसी भी पुलिस अधिकारी और जवान को लूज मूवमेंट नहीं करने की सख्त हिदायत दी गई है.
आईजी ने किया एसओपी जारीः पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि माओवादियों के प्रतिरोध सप्ताह को लेकर पुलिस द्वारा एसओपी जारी किया गया है और विभिन्न इलाकों में कड़ी निगरानी शुरू की गई है. कई इलाकों में माओवादियों के खिलाफ अभियान भी शुरू किया गया है. सारंडा माओवादियों का ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का मुख्यालय है. जहां से माओवादी झारखंड, बिहार, बंगाल और नार्थ ईस्ट में अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं.
सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बौखला गए हैं नक्सलीः बूढ़ापहाड़ से माओवादियों का झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ में अपनी गतिविधि का संचालन करते थे. इस इलाके में माओवादियों के कैंप और बंकर को सुरक्षाबलों ने तबाह कर दिया है और माओवादियों को इलाके से खदेड़ दिया है. बूढ़ापहाड़ के इलाके में पूरी तरह से सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. टॉप इनामी माओवादी कमांडर इलाके को छोड़कर भाग गए हैं.